Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

डोंक नदी में कटाव से गांव का अस्तित्व खतरे में

हजारों आदिवासी और शेरशाहवादी समुदाय के लोग अपने गाँव के अस्तित्व को लेकर चिंता में हैं। डोंक नदी के धीरे धीरे गांव के समीप आने से लोगों में डर का माहौल है।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
Published On :

हजारों आदिवासी और शेरशाहवादी समुदाय के लोग अपने गाँव के अस्तित्व को लेकर चिंता में हैं। डोंक नदी के धीरे धीरे गांव के समीप आने से लोगों में डर का माहौल है।

लोगों का कहना है कि समय रहते तटबंध नहीं बनाया गया तो आने वाले कुछ वर्षों में गांव की एक मात्र सड़क नदी में समाहित हो जाएगी और देखते ही देखते हजारों आदिवासी और शेरशाहवादी न सिर्फ समाज की मुख्यधारा से कट जाएंगे बल्कि यहां के लोगों का जीना भी मुश्किल हो जाएगा।

Also Read Story

बारसोई में ईंट भट्ठा के प्रदूषण से ग्रामीण परेशान

बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023: इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सरकार कितनी छूट देगी, जान लीजिए

बारिश ने बढ़ाई ठंड, खराब मौसम को लेकर अगले तीन दिनों के लिये अलर्ट जारी

पूर्णिया : महानंदा नदी के कटाव से सहमे लोग, प्रशासन से कर रहे रोकथाम की मांग

बूढी काकी नदी में दिखा डालफिन

‘हमारी किस्मत हराएल कोसी धार में, हम त मारे छी मुक्का आपन कपार में’

कटिहार के कदवा में महानंदा नदी में समाया कई परिवारों का आशियाना

डूबता बचपन-बढ़ता पानी, हर साल सीमांचल की यही कहानी

Bihar Floods: सड़क कटने से परेशान, रस्सी के सहारे बायसी

यह मामला धोबीडांगा नामक गांव का है जो किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत बुधरा पंचायत के वार्ड संख्या 2 के अंतर्गत आता है।


मो. इस्माइल बताते हैं कि ये नदी पहले दूर से बहती थी जो कटते हुए गाँव के एक मात्र सड़क तक आ पहुंची है, वे कहते हैं कि अगर समय रहते तटबंध नहीं बनाया गया तो आने वाले दिनों में पूरा गाँव बर्बाद हो जाएगा

रमई हेम्ब्रम आदिवासी समुदाय से आते हैं, वे बताते हैं कि इस वार्ड में लगभग 50 परिवार रहते हैं, सभी लोग दिहाड़ी मजदूर है जो मुश्किल से प्रतिदिन ₹150-₹200 कमा पाते हैं। इन्हें चिंता है कि दिहाड़ी मजदूरी से बामुश्किल घर चलती है, कटान जैसा कुछ हुआ है इन लोगों के पास कोई चारा नहीं बचेगा

नदी के मुहाने पर बसे तफेजुल हक़ परेशान हैं, नदी के मामूली कटान से इनका पूरा आशियाना उजड़ सकता है। इनके पास यहां के अलावे कहीं और भूमि नहीं है।

स्थानीय समाजसेवी मुदस्सिर नजर बताते हैं कि गाँव का कुछ अंश पहले नदी के तरफ़ भी हुआ करता था लेकिन कटान के कारण लोग विस्थापित होकर सड़क के पूर्व में जा बसे है। हालात ऐसे हैं कि पूर्व में बसी आबादी भी ख़तरे में दिख रही है। ऐसे में ये बिहार के आपदा मंत्री शाहनवाज़ आलम से इस दिशा में कुछ बेहतरी की उम्मीद करते हैं।

वहीं, इस संबध में स्थानीय विधायक इज़हारुल हुसैन ने बताया कि “वह विभागीय लोगों के साथ बहुत जल्द वहां जाएंगे और जो भी काम किया जाना चाहिए, कराएंगे”।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

Related News

भारी बारिश से अररिया नगर परिषद में जनजीवन अस्त व्यस्त

जलवायु परिवर्तन से सीमांचल के जिले सबसे अधिक प्रभावित क्यों

सीमांचल में हीट वेव का प्रकोप, मौसम विभाग की चेतावनी

पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण जाँच केन्द्र का आदेश महज दिखावा

सुपौल शहर की गजना नदी अपने अस्तित्व की तलाश में

महानंदा बेसिन की नदियों पर तटबंध के खिलाफ क्यों हैं स्थानीय लोग

क्या कोसी मामले पर बिहार सरकार ने अदालत को बरगलाया?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?