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Investigation

बिहार में ऐसे होता था टेंडर पास करवाने का गोरखधंधा

Fact Check: Kishanganj को लेकर अफवाह फैला रहा Jitendra, PM Modi भी हैं follower

Fact Check: अररिया में कर्ज़ में डूबे परिवार ने 9 हज़ार रुपये में अपने डेढ़ वर्षीय बेटे को बेचा?

Investigation की अन्य ख़बरें

बिहार: सजा पूरी होने के बावजूद 8 महीने से बांग्लादेशी नागरिक जेल में बंद

न्यायाधीश ने दोनों बांग्लादेशियों को सजा पूरी होने के बाद रिहाई के आदेश दे दिए हैं, लेकिन अररिया जिला प्रशासन और गृह विभाग के ढुलमुल रवैये के कारण दोनों अपने वतन वापस नहीं लौट सके हैं।

पटना में वक्फ संपत्ति विवाद: ‘पूरा गांव’ नहीं, 21 डिसमिल जमीन का मामला है

बिहार की राजधानी पटना से करीब 30 किलोमीटर दूर फतुहा नगर परिषद का वार्ड नंबर 6, जो गोविंदपुर गांव के नाम से जाना जाता है, इन दिनों सुर्खियों में है। दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक महीने पहले एक नोटिस जारी कर 21 डिसमिल जमीन पर दावा ठोकते हुए इस पर बने 15 मकानों को खाली करने का नोटिस जारी किया था।

जन सुराज ने बिना सहमति के जिला कार्यवाहक समिति में डाले नेताओं के नाम

लॉन्चिंग से पहले जिलावार पार्टी की कार्यवाहक समिति की घोषणा की जा रही है। प्रत्येक ज़िले की लिस्ट में सैकड़ों नाम शामिल हैं। लेकिन, लिस्ट में मौजूद कई नेता दूसरी पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं या उनसे जन सुराज ने किसी तरह सहमति नहीं ली है या न ही उन्हें इसकी सूचना दी है।

जहानाबाद के सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में क्यों मची भगदड़

सोमवार तड़के मंदिर में जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट गई थी, तभी भगदड़ मच गई, जिसमें 8 लोगों की मृत्यु की खबर है वहीं, तीन दर्जन लोग घायल हो गये हैं। मृतकों में अधिकतर महिलाएं हैं।

कटिहार: बारसोई गोलीकांड के एक साल बाद न कोई गिरफ्तारी, न कोई मुआवज़ा

बारसोई गोलीकांड में मरने वाले मो. ख़ुर्शीद के भाई ख़ालिद भी बताते हैं कि एक साल गुज़रने के बाद भी उनलोगों को मुआवज़ा नहीं मिल पाया है। मृतकों के परिजन जनप्रतिनिधि के नामों की लिस्ट गिनाते हुए कहते हैं कि नेताओं ने मुआवज़े का आश्वासन दिया था, लेकिन, कोई मुआवज़ा नहीं दिला पाया।

कौन हैं बिहार में 65% आरक्षण ख़त्म करने के लिये हाईकोर्ट जाने वाले याचिकाकर्ता?

कोर्ट के रिकॉर्ड बताते हैं कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में कुल 11 याचिकाएं डाली गई थीं। इन याचिकाकर्ताओं में वकील, आरक्षण विरोधी संगठन यूथ फॉर इक्वालिटी और कुछ स्वतंत्र लोग शामिल हैं, जो सवर्ण जातियों से जुड़े संगठन चलाते हैं। दिलचस्प है कि इनमें से कई याचिकाएं तो काफी बाद में डाली गई, जब सुनवाई चल रही थी।

क्या जाति केंद्रित हॉस्टलों के वर्चस्व की लड़ाई में हुई पटना यूनिवर्सिटी के छात्र हर्ष की हत्या?

हर्ष पर हमला तब किया गया, जब वह परीक्षा देकर बाइक पर चढ़ रहा था। हमले की जानकारी हर्ष के पिता व पेशे से पत्रकार अजीत कुमार को कॉलेज की ही एक छात्रा ने हर्ष के फोन से दी। अजीत कुमार ने कहा कि वह छात्र रहते हुए छात्र संघ का चुनाव लड़ना चाहता था। उन्होंने बताया कि वह परीक्षा हॉल से निकल कर बाइक पर चढ़ ही रहा था कि नकाबपोश लोगों ने उस पर हमला कर दिया।

सरकारी स्कूलों में तय मानक के अनुरूप नहीं हुई बेंच-डेस्क की सप्लाई

जिन स्कूलों में नये बेंच-डेस्क मिले हैं, वहां पर डेस्क का पटरा जिसकी मोटाई 25 एमएम (1 इंच) होनी चाहिये, उसकी मोटाई 15 एमएम के आसपास है। बेंच और डेस्क दोनों एक साथ लोहे के फ्रेम से जुड़े होने चाहिये, ताकि दोनों को मज़बूती मिलती रहे। लेकिन, ऐसा नहीं पाया गया।

हिन्दी अख़बार ‘स्वदेश’ की लापरवाही, कथित आतंकी की जगह पर लगा दी AIMIM नेता की तस्वीर

एनआईए द्वारा गिरफ्तार पीएफआई कार्यकर्ता का नाम अब्दुल सलीम है। वह तेलंगाना के निजामाबद में एक मामले में आरोपी था। समाचार पत्र की मानें तो एनआईए ने उसके ऊपर दो लाख रुपये का इनाम भी रखा हुआ था। उसी कार्यकर्ता की गिरफ्तारी से संबंधित खबर पर ‘स्वदेश’ समाचार पत्र ने एमआईएम नेता अब्दुल्लाह सालिम चतुर्वेदी की तस्वीर लगा दी।

बिहारशरीफ दंगे का एक साल: मुआवजे के नाम पर भद्दा मजाक, प्रभावित लोग नहीं शुरू कर पाये काम

'मैं मीडिया' ने दंगे से प्रभावित आधा दर्जन लोगों से बातचीत की। बातचीत में सभी लोगों ने कहा कि काफी दौड़-भाग करने के बावजूद जिला प्रशासन में मुआवजे को लेकर संजीदगी नहीं दिखी और मुआवजे के रूप में जितनी रकम की पेशकश की गई, वे उनके लिए भद्दा मजाक से अधिक नहीं।

बिहार में बढ़ते किडनैपिंग केस, अधूरी जांच और हाईकोर्ट की फटकार

अपहरण की शिकायत के महीनों बीत जाने के बाद भी कोई ठोस सुराग नहीं मिलने के बाद विपिन किशोर मिश्रा के परिजनों ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पटना हाईकोर्ट ने शुरुआती सुनवाइयों में पुलिस से केस डायरी व अन्य सामग्रियां मांगी। पुलिस से संतुष्ट होकर कोर्ट ने इसी महीने इस मामले में अररिया के एसपी को कोर्ट में हाजिर होने का फरमान सुनाया।

क्या अवैध तरीके से हुई बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सचिव की नियुक्ति?

बिहार सरकार ने पिछले साल एक अक्टूबर को बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सचिव के पद पर संविदा पर विनोद कुमार की नियुक्ति की थी। इससे पहले वह विधान परिषद में ही निदेशक-सह-कार्यकारी सचिव थे और पिछले ही साल सितंबर में इस पद से रिटायर हुए थे।

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सड़क निर्माण में गड़बड़ी, ग्रामीणों ने किया विरोध