यूथ फॉर इक्वेलिटी एक आरक्षण विरोधी संगठन है, जो साल 2006 में अस्तित्व में आया था। इसे आईआईटी, आईआईएम, जेएनयू और कुछ अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं के छात्रों ने बनाया था। संस्थापकों में एक अरविंद केजरीवाल भी हैं, जो फिलहाल आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।
बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में कहा है कि जाति आधारित डेटा का संग्रह संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक आदेश है।
हाल ही में मैं मीडिया ने एक रिपोर्ट में तथ्यों के आधार पर बताया था कि बिहार में जाति आधारित गणना को रोकने के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिका डालने वालों के संबंध भाजपा व आरएसएस से हैं।
जातिगत जनगणना पर हाईकोर्ट की रोक के खिलाफ जल्दी सुनवाई के लिए बिहार सरकार की तरफ से दायर याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी और कहा कि 3 जुलाई को ही इस मामले पर सुनवाई की जाएगी।
पूर्व उप मुख्यमंत्री व बिहार भाजपा के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी ने एक ट्विटर थ्रेड में नीतीश सरकार पर हमला किया और जातीय जनगणना के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका दर्ज होने में भाजपा की भूमिका होने से इनकार किया।
जातिगत सर्वेक्षण के खिलाफ दो संगठनों और कुछ व्यक्तियों ने याचिकाएं डाली थीं। जिन दो संगठनों के नाम याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं, उनमें एक ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ और दूसरा ‘एक सोच एक प्रयास’ शामिल हैं।
बिहार में जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी गई थी। बिहार सरकार ने फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे पटना हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। 9 मई को इस याचिका पर सुनवाई होगी।
तेजस्वी यादव ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को लेकर बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग जाति आधारित सर्वे पर रोक लगने से खुशी मना रहे हैं। ये दोहरे चरित्र के लोग हैं। केंद्र में इनकी सरकार जातिगत जनगणना से मना करती है।
जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच ने इस पर रोक का आदेश देते हुए अगली सुनवाई 3 जुलाई को मुकर्रर की है।
15 अप्रैल से बिहार में जातीय जनगणना का दूसरा फेज़ शुरू होने जा रहा है और उसके लिए बिहार सरकार ने सूबे की 215 जातियों का कास्ट कोड तय कर दिया है। जिसके माध्यम से जातियों की पहचान करने में आसानी होगी।
बिहार सरकार ने सूबे की 215 अलग-अलग जातियों के लिए कोड निर्धारित किए हैं। लेकिन, बिहार में रह रहे सिख समुदाय के लोगों के लिए जाति कोड जारी नहीं करने से वे नराज हैं।
जातियों की लिस्ट में 22 नंबर पर 'किन्नर / कोथी / हिजड़ा / ट्रांसजेंडर (थर्ड जेंडर)' लिखा गया है यानी राज्य सरकार किन्नर समुदाय को एक अलग जाति में शुमार कर रही है। इस पर किन्नर समाज में आक्रोश देखा जा रहा है।