एक एकड़ 23 डिसमिल जमीन पर वर्ष 2011 में इस भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 2013 में पूरा हो गया था। लेकिन, जिस जमीन पर सरकार भवन का निर्माण कराया गया है, उस पर निजी लोगों ने दावा ठोक दिया और मामले को लेकर पटना उच्च न्यायालय चले गए।
कूड़ा जमा होने का यह स्थान किशनगंज के सबसे बड़े शिक्षा संस्थानों में से एक मारवाड़ी कॉलेज से ज़्यादा दूर नहीं है। कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र रोज़ाना उसी रास्ते से आना जाना करते हैं। पास में कई नर्सिंग होम और बाकी दुकानें भी मौजूद हैं।
लोगों ने बताया कि बारिश के मौसम में लगभग 1 किलोमीटर पानी में घुसकर लोगों को आना-जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में सबसे ज्यादा दिक्कत यहां के बच्चों को स्कूल जाने में होती है।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव और स्कूल के रास्ते में डोकरा नदी बहती है। रास्ते में साल भर पानी रहता है। खासकर बरसात में पानी का स्तर इतना बढ़ जाता है कि हफ़्तों तक स्कूल में ताला लगा रहता है।
मोहगौर गांव निवासी रफ़ीक़ आलम ने बताया कि वह और गांव के अन्य लोग किशनगंज विधायक इज़हारुल हुसैन के पास कई बार गए और पुल निर्माण की मांग की। तब विधायक इज़हारुल हुसैन ने कहा था कि काम 3 महीने में हो जाएगा लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद पुल का काम नहीं किया गया।
कल्वर्ट की स्थिति जर्जर होने की वजह से लोगों को हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। गांव में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों के लिए तो बारिश के बाद मुश्किलें और बढ़ जाती है।
बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग ने बीते 9 अक्टूबर को एक निर्देश जारी कर मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना अंतर्गत राज्य भर में 172 सड़कों के निर्माण की घोषणा की। इन 172 सड़कों में किशनगंज जिले की 27 सड़कों का भी ज़िक्र है। निर्माण होने वाली ये सभी 27 सड़कें पोठिया प्रखंड की हैं। पूरे […]
बिहार के किशनगंज में दिघलबैंक प्रखंड सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्र के लोग इन दिनों लोडशेडिंग के नाम पर लगातार बिजली कटने से त्रस्त हैं। इस समस्या से अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि सब बेखबर हैं। लोडशेडिंग के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की स्थिति चरमरा गई है। दिघलबैंक में मंगलवार की शाम 7 बजे से […]
पुल के ऊपर हल्की सी बारिश होते ही जलजमाव हो जाता है जिससे ब्रिज का सक्रिय हिस्सा सिकुड़ जाता है। पुल पर दो पहिया और चार पहिया वाहनों के अलावा बड़ी तादाद में बस और बड़े ट्रक चलते हैं।
स्थानीय लोगों ने गिट्टी बालू माफिया पर अविलंब कार्रवाई कर सड़क किनारे से अतिक्रमण हटाने की मांग की है। लोगों ने कहा कि पर बड़े-बड़े गड्ढे होने से आये दिन दुर्घटना हो रही है। स्कूल कॉलेज के छात्र छात्राओं सहित आमजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कटिहार जिले के कदवा प्रखंड अंतर्गत सबनपुर गांव आजादी के बाद से एक मामूली सी सड़क के लिए तरस रहा है। इस गांव में लगभग एक हजार परिवार रहते हैं, जो सड़क न होने के कारण कीचड़ भरे रास्तों से होकर आना-जाना करते हैं। उन्हें बरसात के 3-4 महीने पानी और कीचड़ और बाकी दिनों में धुल, मिट्टी को पार कर हाट, पंचायत, थाना, प्रखंड और अस्पताल आदि जाना पड़ता है।
मज़दूर इरफ़ान अली ने 5 कढ़ाई गिट्टी, 3 कढ़ाई बालू में आधा बोरा सीमेंट का उपयोग करने की बात कही। इरफ़ान की बात की सत्यता की जांच करने के लिए हमने मसाला बनाने की पूरी प्रक्रिया को कैमरे में कैद किया तो पाया कि आधा बोरा सीमेंट में 5 कढ़ाई गिट्टी और 3 कड़ाई बालू की जगह 4 कढ़ाई गिट्टी और 4 कढ़ाई बालू डालकर सामग्री तैयार की जा रही है।