बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इन पुलों के निर्माण की स्वीकृति मिली। बताते चलें कि मंगलवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में विभिन्न विभागों के कुल 14 योजनाओं पर मुहर लगी।
प्लस टू प्रोजेक्ट गर्ल्स हाईस्कूल आजमनगर का 6 वर्ष पहले बना 50 बेड का यह महिला छात्रावास आज तक धूल फांक रहा है। छात्रावास में कमरे तो बना दिए गए हैं लेकिन उसमें रहने के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। तत्कालीन विधायक विनोद कुमार सिंह ने इस छात्रावास का उद्घाटन किया था।
BSRDCL की आगामी परियोजनाओं में सीमांचल और कोसी के जिलों के लिये सिर्फ एक परियोजना शामिल है। BSRDCL की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक़, यह एजेंसी आने वाले समय में 10 सड़कों के चौड़ीकरण और विकास से संबंधित परियोजनाओं पर काम करेगी।
आश्रय स्थल में आने वाले लोगों को एंट्री करनी पड़ती है। एंट्री करने वाली कॉपी में लिखे नाम के मुताबिक, 9 जनवरी को 6, 10 जनवरी को 13 और 11 जनवरी को 12 व्यक्ति ठहरने आए हुए थे। ऐसे ही लगभग प्रत्येक दिन 10-20 लोगों की एंट्री का साइन रहता है, जबकि इसकी क्षमता लगभग 100 लोगों की है।
शुक्रवार को पटना के मोइनुल हक स्टेडियम में छत्तीसगढ़ और बिहार के बीच आयोजित रंजी ट्रॉफी के पहले दिन के मैच देखने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान तेजस्वी यादव ने ये बातें कहीं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि जब नदी का पानी खतरनाक रूप से बढ़ता है, तो लोगों को अररिया तक पहुंचने के लिए 10 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। हालांकि नदी को पार करके अररिया बाजार सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर है।
दौला पंचायत के मुखिया और किशनगंज मुखिया संघ के अध्यक्ष अख़लाक हुसैन ने बताया कि 2001 में जब दौला पंचायत विखंडित हुआ था, तब से ही पंचायत में भवन का अभाव था। पंचायत में बिहार सरकार की जमीन न होने के कारण ग्रामीणों को भवन के लिए 23 वर्षों का लंबा इंतज़ार करना पड़ा।
बिजौल पंचायत और कमरा पंचायत के सीमावर्ती क्षेत्र में बसे बिजौल-सबनपुर गांव तक पहुंचने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं है। ग्रामीण अपनी सभी जरूरतों के लिए महानंदा नदी की एक धारा को जुगाड़ नाव से पार करने पर मजबूर हैं।
राजकीय मध्य विद्यालय में पहली से लेकर आठवीं कक्षा के बच्चे बढ़ते हैं, लेकिन अब यह स्कूल, दो कमरों में सिमट कर रह गया है। विद्यालय में केवल तीन शिक्षक और 48 नामांकित बच्चे हैं। बताया जाता है कि कभी यह शहर के सबसे ख्याति प्राप्त विद्यालयों में से एक हुआ करता था लेकिन आज स्कूल का अधिकतर हिस्सा खंडहर में तब्दील हो चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने बिहार के पटना और सारण जिले के एनएच-139 डब्ल्यू पर गंगा नदी पर केबल पुल के निर्माण की मंजूरी दे दी है।
किशनगंज में सरकारी विवाह भवन का अभाव था जो इस भवन के निर्माण से दूर हुआ है। स्थानीय महिलाओं ने कहा कि कमेटी को चाहिए कि भवन का किराया कम से कम रखे ताकि गरीब परिवारों को इसका लाभ मिल सके।
प्रदर्शन में मौजूद नव निर्माण मंच के संस्थापक और पूर्व विधायक किशोर कुमार ने कहा कि पुल नहीं बनने से शहर में भयावह जाम की समस्या उत्पन्न होती है जिससे गंभीर अवस्था के मरीज़ों को जान से हाथ धोना पड़ता है। वहीं, स्कूल के छात्र छात्राओं को स्कूल कॉलेज पहुंचने में देरी होने से अक्सर परीक्षाएं छूट जाती हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पुल दो प्रखंडों के बीचोबीच स्थित है इसलिए इसके निर्माण कार्य में दिक्कतें आ रही हैं। जर्जर पुल की समस्या के साथ साथ पक्की सड़क का भी अभाव है।
स्कूल के प्रधान शिक्षक वीरेंद्र रजक ने बताया कि पहले इस प्राथमिक विद्यालय की जमीन उपलब्ध नहीं थी, इसलिए अन्य जगहों पर स्कूल चला रहे थे। जब इस विद्यालय को बागेश्वरी प्राथमिक विद्यालय में टैग किया गया तो वहां केवल एक कमरा मिला था जिसमें स्कूल चलाना संभव नहीं हो पाया।
ट्रेन सुबह 6 बजे न्यू जलपाईगुड़ी से खुलेगी। सिर्फ किशनगंज और कटिहार जंक्शन पर इसका क्रमशः 2 मिनट और 5 मिनट ठहराव होगा। यह ट्रेन 67.28 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से कुल 471 किलोमीटर की दूरी सात घंटे में तय कर लेगी।