वर्तमान परिस्थिति पर चाय उद्योग के जानकारों का कहना है कि उत्तर बंगाल के बाजारों में पैकेट-बंद चाय के बाजार में दक्षिण भारत की चाय ने धीरे-धीरे घुसपैठ कर ली है। 50, 100, 250, 500 ग्राम से लेकर एक किलो-दो किलो तक के पैकेट बना कर बेचने वाली कंपनियां पहले उत्तर बंगाल की बॉटलीफ फैक्ट्रियों द्वारा उत्पादित चाय खरीदती थीं। अब उन्होंने दक्षिण भारत से चाय की पत्तियां मंगाना शुरू कर दिया है।
मई से ही बारिश कम होने के चलते बहुत सारे जिलों में लक्ष्य से कम बिचरा डाला गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भागलपुर डिविजन, जिसमें भागलपुर और बांका जिले आते हैं, में लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 4 प्रतिशत बिचरा ही अब तक खेतों में डाला गया है।
सुरजापुरी आम में कीड़े पड़ने की एक बीमारी ने पहले इस आम की व्यावसायिक प्रतिष्ठा छीन ली। फल में लगातार कीड़े पड़ने के कारण एक समय बाद आम लोगों ने भी अपने पेड़ों को उजाड़ना शुरू कर दिया।
किशनगंज बिहार का एकलौता जिला है जहां चाय की खेती होती है। इसको मद्देनज़र रखते हुए बिहार के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत शुक्रवार को किशनगंज की चाय फैक्ट्री पहुंचे। कृषि मंत्री ने फरिंगोला स्थित चाय फैक्ट्री का जायज़ा लिया और चाय प्रसंस्करण की बारीकियों को जाना।
किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड मुख्यालय स्थित ई-किसान भवन में कृषि विभाग द्वारा खरीफ महाअभियान 2023-24 के तहत प्रखंड स्तरीय कर्मशाला सह प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
सहरसा जिला मुख्यालय से तकरीबन छह किलोमीटर की दूरी पर बसा सत्तर कटैया प्रखंड की विशनपुर पंचायत का आरण गांव को 'मोर गांव' के नाम से भी जाना जाता है।
कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस बात को एक बार फिर सही साबित किया है सहरसा के सौरबाजार प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बैजनाथपुर गांव के दिनेश कुमार यादव और उनके भतीजे शशि यादव ने।
स्थानीय किसानों का कहना है कि कुछ बड़ी कंपनी मक्का के मूल्य को कम करने के लिए रेक पॉइंट पर लगने वाले इंडेन को खरीद कर फ़र्ज़ी इंडेन लगा कर मक्का के मूल्य को कम कर रहे हैं।
शनिवार की शाम आई तेज आंधी के साथ ओलावृष्टि से जिले के दिघलबैंक प्रखंड के धनतोला में फसलों के साथ-साथ घरों को भी नुकसान पहुंचा है। वहीं, एक विशाल आम के पेड़ गिरने से भी आधा दर्जन घर क्षतिग्रस्त हो गये।
शनिवार रात आए तेज़ आंधी और मूसलाधार बारिश ने किशनगंज की दौला पंचायत के समदा गांव में भारी तबाही मचायी। कई एकड़ में फैली मक्के की फ़सल बर्बाद हो गई और ग्रामीणों के कई घर क्षतिग्रस्त हो गए।
बिहार का कोसी दियारा इलाका, जहां आने जाने से लोग कतराते हैं और दूर-दूर तक कोई व्यक्ति नहीं दिखता, वहां उत्तर प्रदेश से लगभग 100 किसान आकर खेती कर रहे हैं।
साल 2020 में भारत में दूध की कुल मांग 1990 लाख मेट्रिक टन थी, जो साल 2022 में 2030 लाख मेट्रिक टन हुई और अब 2023 में बढ़कर 2070 लाख मेट्रिक टन होने की उम्मीद है।