बिहार के किशनगंज में कुछ मक्का किसान फसल न आने से परेशान हैं। किसानों का कहना है कि जिले में पहली बार सरकारी दर पर मक्के का बीज दिया गया लेकिन इन बीजों की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि जिन जिन किसानों ने अपने खेत में इन्हें लगाया, उन्हें भारी नुक्सान उठाना पड़ा।
प्रखंड कार्यालय में बांटे गए बीज के बोरों पर बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड को विपणनकर्ता यानी वितरक बताया गया है।
किशनगंज के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत हल्दीखोड़ा पंचायत के धर्मटोला वार्ड संख्या 4 के निवासी सद्दाम हुसैन पिछले चार सालों से मक्के की खेती कर रहे हैं। उन्होंने नवंबर महीने में अनुमंडल कार्यालय से मक्के के बीज लिए थे जिन्हें लगाने के हफ़्तों बाद भी पौधे नहीं आए।
सदाम हुसैन ने बताया कि कुल खेत के केवल 15% हिस्से में ही पौधे निकले। बाकी जगहों पर बोए हुए बीज बर्बाद हो गए। उनके अनुसार आसपास के गावों के कई किसानों ने सरकारी दर पर बीज खरीदे थे, लेकिन उनकी भी फसलें नहीं आईं।
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“हमने यह सोच कर कोचाधामन प्रखंड कार्यालय से बीज लिया था कि सरकार रियायती दर पर बीज दे रही है और इससे अच्छी फसल होगी। लगाने के तकरीबन 12 दिन बाद पौधा सही से नहीं आया। यहां के 90% लोगों को ब्लॉक के बीज या दूसरे सामान से कोई उम्मीद नहीं है। मैंने इसके उलट भरोसा जताया कि ब्लॉक से मिलने वाले बीज से अच्छी फसल होगी लेकिन फसल तो दूर की बात पौधा भी देखने को नहीं मिला,” सद्दाम हुसैन ने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि कोचाधामन प्रखंड में 93 किलो मक्के का बीज बांटा गया है ऐसे में न जाने ऐसे कितने किसान होंगे जो इसी समस्या से जूझ रहे होंगे। सद्दाम के अनुसार अधिकतर किसान इस तरह की घटना के बाद बाज़ार से बीज लाकर बो देते हैं और विभाग में शिकायत करने से बचते हैं क्योंकि विभागीय कार्यवाही में लंबा समय लगता है और मामले का परिणाम आते आते महीनों बीत जाते हैं।
सद्दाम ने बीज की गुणवत्ता को लेकर प्रखंड कृषि अधिकारी और जिला कृषि पदाधिकारी को लिखित शिकायत दी जिसके बाद जिला कृषि पदाधिकारी और वैज्ञानिकों की टीम ने उनके खेत की जांच की। उन्होंने बताया कि प्रखंड कृषि अधिकारी ने उनके आवेदन को आगे बढ़ाने में देर की। इसके बाद उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारी को भी एक आवेदन दिया, जिसके कुछ दिनों बाद एक जांच टीम उनके खेत का निरीक्षण करने आई।
“हमारे नुकसान की भरपाई कौन करेगा”
सद्दाम हुसैन कहते हैं, “मेरी आज भी जिला कृषि पदाधिकारी से बात हुई तो उन्होंने कहा कि मेरा आवेदन अभी आगे नहीं भेजे हैं, भेजेंगे। हमको लग रहा है मेरा काम नहीं होगा और जो मेरा नुकसान हुआ है उसका मुआवज़ा भी नहीं मिलेगा। अगर हमारी बात आगे नहीं पहुंचेगी तो हम कृषि मंत्री से बात करेंगे और फिर भी नहीं हुआ तो हम नीतीश कुमार के जनता दरबार तक पहुंचेंगे।”
उन्होंने आगे कहा , “हमने एक बार सरकार से बीज लेकर लगाया और फिर बाज़ार से लेकर दोबारा लगाया। इसमें जो 20-25 हज़ार रुपये का नुकसान हुआ, उसकी भरपाई कौन करेगा। सरकार ने खराब बीज दिया और मेरा नुकसान हुआ तो इसका ज़िम्मेदार कौन है। सरकार इतने बड़े पैमाने पर बीज बांट रही है तो इसकी ज़िम्मेदारी क्यों नहीं ले रही है। हमारे प्रखंड में कुट्ठी पंचायत है और एक जगह बघाल है, वहां से भी 8-9 किसानों ने बीज लगाया था। उनके साथ भी मेरे जैसी दिक्कत आई है।”
धर्मटोला गांव के एक और किसान गुलाम अशरफ ने बताया कि वह भी अनुमंडल कार्यालय से मक्के का बीज लेने वाले थे लेकिन सद्दाम हुसैन की फसलें खराब होती देख वह बाज़ार से बीज लेकर लाए। उनके पौधे काफी अच्छे हुए हैं।
पहले भी सरकारी बीज की फसल हुई है खराब
हल्दीखोड़ा पंचायत वार्ड संख्या 05 के वार्ड सदस्य शोएब आलम खुद भी किसान हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी दफ्तरों से मिलने वाले बीज की गुणवत्ता में खराबी होना कोई नई बात नहीं है। पिछले साल भी ब्लॉक ऑफिस से मिले गेहूं के बीज खराब निकले थे और पौधों में फल ही नहीं आए थे।
“किसानों का पैसा मुफ्त का नहीं है। सरकार तो ब्लॉक में बीज दे देती है कि जाओ सस्ते में माल लेके आओ। उससे ज्यादा खर्चा खेत जोतने और बीज में आ जाता है। इस तरह से खर्च करने के बावजूद फसल न आए तो किसान के दिल में क्या गुज़रेगा। हम वार्ड सदस्य हैं लेकिन किस मुंह से किसानों को बोलें कि जाकर सरकारी बीज ले लो। ब्लॉक के सामान पर कैसे एतबार करें हम लोग?,” शोएब आलम ने कहा।
बहादुरगंज प्रखंड में भी मक्का किसानों को हुआ नुकसान
किशनगंज जिले के बहादुरगंज प्रखंड स्थित लौचा पंचायत के तेघड़िया गांव निवासी मुजीबुर रहमान ने भी प्रखंड कार्यालय से मक्के का बीज खरीदा था। उन्होंने कहा कि किशनगंज जिले में पहली बार किसानों को सरकारी दर पर मक्के का बीज दिया गया, लेकिन बोने के बाद आधे से अधिक खेत में बीजों का अंकुरण नहीं हुआ।
मुजीबुर रहमान की मानें, तो उनके गांव में करीब 10 किसानों ने ब्लॉक ऑफिस से बीज लिया, लेकिन उन सब को नुक्सान झेलना पड़ा। बाद में उन्होंने बाज़ार से खरीद कर दोबारा बीज लगाया, जिसमें अलग से हज़ारों रुपये खर्च हुए।
“हम ब्लॉक ऑफिस से बीज लेकर लगाए तो देखे कि आधा बीज आया है, आधा नहीं आया। और भी लोग को फ़ोन करके पूछे, तो उन लोगों ने भी यही बताया कि हमारे साथ भी ऐसा ही हुआ है। प्रखंड से कुछ लोग आए थे, वो फोटो भी लेकर गए। हम फिर बाज़ार से बीज खरीद कर लगाए और एक बीघा खेत में दोबारा रोपे और बाकी 3 बीघा खेत में उजाड़ कर गेहूं का बीज लगा दिए,” मुजीबुर रहमान ने कहा।
वह आगे कहते हैं, “पहली बार मक्के का बीज बंटा है ब्लॉक में। बीज तो दिया गया लेकिन फायदा की जगह किसानों का नुकसान हो गया। नहीं देना हो सरकार को तो मत दे, लेकिन किसानों को इस तरह धोका न दे। सरकार पर किसान विश्वास कैसे करेगा। किसान मजबूर होता है इसलिए बाज़ार से अनाप शनाप दाम पर बीज लेता है।”
वहीं, स्थानीय वार्ड सदस्य और किसान मरग़ूब आलम ने कहा कि फसल न आने के कारण किसानों को दोबारा बाज़ार से बीज खरीद कर लगाना पड़ा, जिससे फसल के उत्पादन में आने वाला खर्च दोगुना हो गया। ऐसा होने से अब फसल की कटाई भी कुछ दिनों की देरी से होगी।
कृषि पदाधिकारी ने व्यापक जांच का दिया आश्वासन
इस मामले में किशनगंज के जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती ने कहा कि जिले में इस बार 500 क्विंटल मक्के का बीज बांटा गया था। हज़ारों की संख्या में किसानों ने बीज लिया, जिनमें अब तक केवल 2 लोगों की शिकायत प्राप्त हुई है। जल्द ही दोनों जगहों पर वैज्ञानिक और अधिकारियों की एक टीम भेजकर जांच कराई जाएगी।
“पूरे जिले में दो जगह से शिकायत मिली है। एक जांच टीम गई थी, लेकिन उसमें वैज्ञानिक मौजूद नहीं थे, इसलिए दोबारा जांच टीम शिकायतकर्ता तक जाकर जाँच करेगी। इन दो जगहों पर किस कारण से अंकुरण कम हुआ है यह जांच कराकर उसकी रिपोर्ट हमलोग विभाग को भेजेंगे। इस बीज का सैंपल भी हमने विभाग को जांच के लिए भेजा है,” कृषि पदाधिकारी बोले।
जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती ने आगे कहा कि हज़ारों किसानों को बीज दिया गया था जिसमें केवल दो ही जगह से शिकायत आई है। इसकी तकनीकी जांच की जायेगी। शिकायतकर्ताओं ने किस तरह बीज बोया था, ये भी जांच का विषय है।
उन्होंने कहा, “अगर बीज ख़राब होगा, तो विभाग निर्णय लेगा। विभाग जो निर्देश देगा, उसका हमलोग पालन करेंगे। पूरे जिले में 500 क्विंटल बीज का हमलोग वितरण किये हैं, जिसमें सिर्फ दो ही की शिकायत आई है। खेतों में जाकर देखा गया है, अधिकतर लोगों का बीज जमा हुआ है।”
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