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कटिहार में गेहूं की फसल में लगी भीषण आग, कई गांवों के खेत जलकर राख

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि आग बेलवा पंचायत के एक गांव में लगी और फैलकर मादरगाछी गांव होते हुए आबादपुर पंचायत के मिस्त्री टोला तक पहुंच गई। तेज़ हवा के कारण आग बहुत तेज़ी से बढ़ती गई और कई बीघा जमीन में फैली फसलों को तबाह कर गई जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है।

Aaquil Jawed Reported By Aaquil Jawed |
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बिहार के कटिहार जिले में बीते 3 अप्रैल को एक भयावय आग ने कई बीघा खेत को जलाकर राख कर दिया। कटिहार के आबादपुर थाना अंतर्गत बेलवा पंचायत और आबादपुर पंचायत के कई गांवों में गेहूं की फसलें भीषण आग का शिकार हो गईं।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि आग बेलवा पंचायत के एक गांव में लगी और फैलकर मादरगाछी गांव होते हुए आबादपुर पंचायत के मिस्त्री टोला तक पहुंच गई। तेज़ हवा के कारण आग बहुत तेज़ी से बढ़ती गई और कई बीघा जमीन में फैली फसलों को तबाह कर गई जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है।

तबाही के चश्मदीद मतीउर्रहमान ने बताया कि जब आग लगी तो वह खेत में ही थे। आग एक किलोमीटर दूर थी लेकिन देखते ही देखते काफी पास आ गई। आग इतनी तेज़ी से बढ़ रही थी कि उसे बुझाने का प्रयास भी संभव नहीं हो सका।


मतीउर्रहमान ने आगे कहा कि फायर ब्रिगेड की गाड़ी जब मौके पर पहुंची तब तक आग काफी हद तक नुकसान कर चुकी थी। दमकल कर्मी काम में सुस्ती न दिखाते तो काफी फसल को आग की लपटों से बचाया जा सकता था।

खेतों में आग कैसे लगी इसके बारे में किसी को स्पष्ट जानकारी नहीं है। मिस्त्री टोला निवासी एहतेशाम आलम ने 2 बीघा जमीन पर गेहूं की खेती की थी जो पूरी तरह से जलकर राख हो चुकी है। उन्होंने बताया कि उनकी लगाई हुई फसल पक चुकी थी, दो दिन बाद उसकी कटाई होनी थी लेकिन उससे पहले यह हादसा हो गया। एहतेशाम जैसे दर्जनों किसान सरकारी मुआवज़े की आस में बैठे हैं।

स्थानीय ग्रामीण और चश्मदीद मोहम्मद ज़ैनुद्दीन बताते हैं कि जले हुए अधिकतर खेत बड़े जमींदार के हैं लेकिन उसमें फसल लगाने वाले छोटे किसान हैं जो पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मुआवजा लेने के लिए जमीन के कागज की जरूरत होती है, ऐसे में बटाई पर खेत लेने वाले किसान कागज कहां से लाएंगे। सरकार को फसल लगाने वाले किसानों को चिन्हित कर उन्हें सरकारी मुआवज़ा देना चाहिए।

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इस भीषण आग ने किसानों के अलावा फसल काटने वाले मजदूरों के लिए भी अकाल जैसी समस्या उत्पन्न कर दी है। हर साल स्थानीय मजदूर सैकड़ो एकड़ में लगी फसल काटते थे जिसके बदले उन्हें साल भर के लिए अनाज मिलता था। खेतों में आग लग जाने से मज़दूरों के जीवनयापन के लिए भी अनाज नहीं बचा है।

स्थानीय मजदूर साजिमा और दिनार खातून खेत में जले गेहूं को चुनती दिखीं। उन्होंने कहा कि फसल तो बची नहीं, अब इन जले हुए गेहूं का सत्तू बनाकर बच्चों को खिलाएंगे।

इस पूरे मामले में हमने बारसोई अनुमंडल पदाधिकारी श्वेतम दीक्षित और बारसोई के अंचलाधिकारी अमर कुमार राय से बात की। उन्होंने बताया कि लगभग 57 बीघे की खेत में लगी फसल जल गई है।

मुआवजे के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि कर्मचारी व सरकारी अमीन सभी किसानों से बात कर रहे हैं। जल्द इसकी रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी और फसल लगाने वाले किसानों को ही मुआवजे की राशि दी जाएगी। बटाई पर फसल लगाने वाले किसानों को भी मुआवजा मिलेगा।

आग की घटना पर स्थानीय ग्रामीणों ने दमकल कर्मियों पर देरी से पहुंचने और आग बुझाने में सुस्ती का आरोप लगाया है। इस पर अनुमंडल अग्निशमन कार्यालय बारसोई के पदाधिकारी रामनिवास पांडे ने कहा कि सूचना मिलने के 20 मिनट के अंदर 5,000 (पांच हज़ार) लीटर क्षमता वाली दो गाड़ियां सहित एक छोटी गाड़ी घटनास्थल पर पहुंच गई थी।

वहीं, दमकल चालक नीरज कुमार ने बताया कि खेत में जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था इसके बावजूद जोखिम उठाकर दमकल कर्मी खेत में 3 किलोमीटर अंदर तक गाड़ी ले गए और काफी फसलों को जलने से बचाया।

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Aaquil Jawed is the founder of The Loudspeaker Group, known for organising Open Mic events and news related activities in Seemanchal area, primarily in Katihar district of Bihar. He writes on issues in and around his village.

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