किशनगंज में हाथियों का उत्पात जारी है। सोमवार की अहले सुबह हाथियों के झुंड ने जिले की दिघलबैंक पंचायत अंतर्गत रामपुर काॅलोनी बस्ती में उत्पात मचाया। हाथियों ने रामपुर काॅलोनी के लखीराम सोरेन, बुध रॉय, राजू दास, लक्ष्मी देवी सहित कुल छह परिवारों के कच्चे घरों को तोड़ दिया है जबकि घर अंदर रखा अनाज जिसमें चावल, धान, सब्जी आदि को बर्बाद कर दिया। हाथियों ने फसलों को भी नुकसान पहुंचाया।
नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार मूसलाधार बारिश होने से किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड की 12 पंचायतों में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।
दरअसल ज़िले से होकर बहनेवाली महानंदा, कनकई, डोंक, मेची और रतुआ नदियां भारी बारिश के चलते उफान पर हैं। भारी बारिश से जिले के चार प्रखंड बुरी तरह से प्रभावित हैं।
पूर्णिया जैसी ही स्थिति किशनगंज और अररिया के साथ-साथ समस्तीपुर, सुपौल और बेगूसराय के किसानों की भी है। बारिश के कारण इन जिलों की फसल भी ख़राब हो गई है।
तीखापन थोड़ा कम है, लेकिन धूप पूरी खिली हुई है। अपनी उम्र के लिहाज से काफी दुबले और उम्रदराज दिख रहे 58 साल के अब्दुल मजीद अपनी खटारा साइकिल पर सामान लादकर घर से निकल पड़े हैं। साइकल के अगले हिस्से में दो झोले टंगे हुए हैं और पिछले हिस्से में तीन झोले हैं। सभी में सामान भरा हुआ है।
किशनगंज सहित सीमांचल और कोशी क्षेत्र में रहनेवाले लोग हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलते हैं। तमाम दावों के बावजूद तमाम व्यवस्थायें और उम्म्मीदेँ प्रत्येक वर्ष ध्वस्त हो जाती हैं।
पिछले दिनों पश्चिम भारत के इलाकों पर चक्रवाती तूफान (Tauktae) ‘तौकते’ ने कहर बरपाया जिसमें करीब 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। अब मौसम विभाग ने चेतावानी जारी कर दी है कि पूर्वी भारत के इलाके बंगाल, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, झारखंड और बिहार में लोगों को चक्रवाती तूफान ‘यास’ (Yaas) का सामना करना पड़ सकता है।
किशनगंज से लगभग सात किलोमीटर दुरी पर स्थित है गाछपाड़ा पंचायत और इसी गांव होकर गुजरती है महानंदा और डोंक नदी। राज्य सरकार ने दोनों नदियों से ग्रामीणों की जान माल की रक्षा करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बांध का निर्माण करवाया था। लेकिन चंद पैसे की लालच में बालू माफिया इसी पंचायत के खाड़ी बस्ती के समीप बांध को काटकर अवैध तरीके से बालू ढुलाई के लिए रास्ता बना दिया है जिससे नदी किनारे बसे ग्रामीणों को डर सता रहा है की वर्ष 2017 की भांति पुन बाढ़ की स्थिति उत्पन्न ना हो।