पूरे सीमांचल सहित अररिया में बरसात के दिनों में नदियां उफनने लगती हैं, जिसके परिणामस्वरूप नदी के आसपास के इलाके व निचले इलाकों के रिहायशी क्षेत्रों में बाढ़ का पानी आ जाता है। अररिया के कोशकीपुर, झमटा, महिषाकोल सहित कई इलाकों में बाढ़ के पानी ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है।
बायसी प्रखंड की सुगवा महानन्दपुर पंचायत अंतर्गत झौंवाटोली-चटांगी गाँव में मुख्य सड़क कट गयी है। चटांगी से डंगरा जाने वाली इस सड़क से रोज़ाना हज़ारों लोग आते-जाते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि शुक्रवार शाम से पानी सड़क पर बहना शुरू हुआ, शनिवार की सुबह रोड कट गया।
सीमांचल सहित नेपाल के तराई क्षेत्र में हो रही लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण अररिया जिले से होकर गुजरने वाली परमान नदी उफान पर है।
बिहार में जलवायु परिवर्तन से सबसे असुरक्षित जिलों की सूची में सीमांचल का किशनगंज पहले पायदान पर रहा जबकि दूसरे स्थान पर कटिहार जिला रहा। चौथा स्थान पूर्णिया को मिला, वहीं, अररिया 7वां सबसे असुरक्षित जिला बताया गया है।
बिहार के उत्तरी जिलों में अगले पांच दिनों तक गर्म लहर के चरम पर रहने का अनुमान है। पिछले चार दिनों से बिहार के 8 जिलों में हीट वेव का प्रकोप देखने को मिल रहा है।
बीते सप्ताह बिहार के सभी जिलों में विशेष वाहन जाँच अभियान चलाया गया। अभियान में वाहनों के प्रदूषण की जाँच के अलावा फिटनेस, इन्श्योरेंस, परमिट और सार्वजनिक परिवहन वाहनों में आपातकालीन बटन की जाँच की गई।
सुपौल शहर के बीचों-बीच गजना नदी बहती है। शहर के बीएसएस कॉलेज के पश्चिमी छोर से लेकर बकौर तक बहने वाली गजना धार कोशी की सहायक नदियों में एक है। जल्द ही प्रशासनिक उपेक्षा और भू माफियाओं की वजह से यह नदी अपने अस्तित्व की तलाश में रहेगा। शुरुआत में शहर के लोगों ने नदी को नाले में तब्दील किया और अब तेजी से धार के बीचोंबीच घर बनाए जा रहे हैं।
सीमांचल और पूर्वोत्तर बिहार को बाढ़ के बचाने के मक़सद से सरकार महानंदा बेसिन की नदियों पर 1200 किलोमीटर लंबा तटबंध बनाने की तैयारी कर रही है।
पटना हाईकोर्ट ने 4 फरवरी को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार से कोसी प्रभावितों को लाभ पहुंचाने के लिए कोसी विकास प्राधिकार स्थापित करने को कहा।
30 अप्रैल, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री और तत्कालीन उद्योग मंत्री ने पूर्णिया ज़िले के परोरा में एक ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट का उद्घाटन किया।
बिहार के कटिहार जिले के अमदाबाद प्रखंड अंतर्गत भवानीपुर खट्टी पंचायत के बबला बन्ना गांव पिछले 5 साल में आधा से ज़्यादा गंगा कटान में समा चुका है।
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, बिहार में 150 से अधिक वनस्पतियां औषधीय गुणों से भरपूर हैं।