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बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023: इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सरकार कितनी छूट देगी, जान लीजिए

इलेक्ट्रिक वाहनों में दोपहिया, तिपहिया, चारपहिया, मोटर वाहन (मालवाहक) और बसें शामिल हैं। वाहनों की खरीद में अनुदान, टैक्स में छूट तो दी ही जाएगी, साथ साथ पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। ‘बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023’ अगले पांच साल तक जारी रहेगी और इस नीति तक मिलने वाला लाभ इसी अवधि तक मिलेगा।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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बीते 5 दिसंबर को बिहार सरकार की कैबिनेट बैठक में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कई घोषणाएं की गईं । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में ‘बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023’ का एलान हुआ। पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट को देखते हुए बिहार सरकार ने राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी बड़ी नीति का एलान किया है।

इससे पहले कि हम बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023 के बारे में विस्तार से जानें, आइये पहले यह जानते हैं कि इस बड़ी नीति को लाने के पीछे सरकार की क्या सोच है। बिहार के जिलों में प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है। देश में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स में सबसे खराब शहरों की सूची में बिहार के शहर अक्सर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। ऐसे में राज्य में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बिहार सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को राज्य में लोकप्रिय करने का प्रयास कर रही है।

बिहार में प्रदूषण कितना है ?

AQI (Air Quality Index) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 7 दिसंबर 2023 की लाइव रेटिंग में देश के सबसे प्रदूषित शहरों में बिहार के दो जिले शामिल रहे। सहरसा 178 एक्यूआई अंक के साथ नौवें स्थान पर रहा जबकि पूर्णिया जिला देश का दसवां सबसे प्रदूषित शहर रहा, जिसका एक्यूआई अंक 176 रहा।


AQI वेबसाइट पर मौजूद विश्व के 50 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में बिहार का सहरसा 30वें नंबर पर रहा। इस सूची में बिहार के कुल 20 शहर शामिल हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ताज़ा आंकड़ों में बिहार के 13 जिलों की हवा गुणवत्ता (एयर क्वालिटी) खराब/बहुत खराब /गंभीर रूप से खराब पाई गई।

6 दिसंबर को लिए गए इन आंकड़ों में कटिहार, सहरसा, पूर्णिया की हवा बहुत खराब श्रेणी में रखी गई जबकि बेगुसराय की हवा गंभीर रूप से खराब पाई गई। ‘खराब’ श्रेणी में बिहार के 9 जिले शामिल रहे।

बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति में क्या है ?

बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023 को हाल के दिनों में नीतीश कुमार सरकार की सबसे बड़ी नीतियों में से एक कहा जा सकता है। इस नीति में वो कौन कौन सी चीज़ें हैं जो आपके काम की है और किन घोषणाओं से आप पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ेगा, आइये जानते हैं।

बिहार सरकार ने साल 2028 तक राज्य के सभी पंजीकृत वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 15% रखने का लक्ष्य रखा है। यह नीति 2023 से 2030 तक बिकने वाले तमाम वाहनों में 30% इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री करने का लक्ष्य रखा है जिसे EV 30@30 का नाम दिया गया है। राज्य के 6 जिलों में 400 इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रचलित करने के लिए सब्सिडी और टैक्स में छूट दी जाएगी।

इलेक्ट्रिक वाहनों में दोपहिया, तिपहिया, चारपहिया, मोटर वाहन (मालवाहक) और बसें शामिल हैं। वाहनों की खरीद में अनुदान, टैक्स में छूट तो दी ही जाएगी, साथ साथ पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। ‘बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023’ अगले पांच साल तक जारी रहेगी और इस नीति तक मिलने वाला लाभ इसी अवधि तक मिलेगा।

दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों पर इतनी सबिसडी मिलेगी

दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रति किलोवाट-घंटे के लिए 5,000 रुपये क्रय प्रोत्साहन यानी ‘पर्चेज़िंग इंसेंटिव’ के तौर पर मिलेंगे। खरीदे गए पहले 10,000 इलेक्ट्रिक वाहनों पर अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति के लिए अधिकतम 10,000 रुपये सब्सिडी मिल सकेगी, वहीं, अन्य श्रेणियों के लिए अधिकतम राशि 7,500 रुपये होगी।

राज्य में पहले 10,000 दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने और पंजीकृत करने वालों को मोटर वाहन कर यानी मोटर व्हीकल टैक्स में 75% की छूट मिलेगी। पहले 10,000 वाहनों के बाद अगर आप कोई दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदते हैं, तो मोटर व्हीकल टैक्स में 50% की छूट दी जाएगी।

बिहार टैक्सी एग्रीगेटर परिचालन निदेश, 2019 के अंतर्गत अधिकृत टैक्सी एजेंसियों को ‘बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023’ के प्रकाशित होने के दो साल के अंदर कम से कम 20% दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करना होगा।

तीसरे वर्ष के समाप्त होने पर, यह आवश्यकता 40% तक बढ़ेगी जबकि पांचवें वर्ष 50% दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करना अनिवार्य होगा। बाइक टेक्सी सेवा देने वाली एजेंसी अगर इन नीतियों के पालन करने में असफल रहती है, तो उनपर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहन लेने पर मिलेंगी यह सुविधाएं

राज्य में यात्रिवाहक और मालवाहक दोनों तिपहिया गाड़ियों जैसे ई-रिक्शा और थ्री व्हीलर माल उठाने वाली गाड़ियों के खरीदने और पंजीकरण करने पर मोटर व्हीकल टैक्स पर 50% की छूट मिलेगी। इसके अलावा सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के प्रावधानों के अनुसार परमिट लेने पर परमिट शुल्क पर छूट मिलेगी।

चारपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों पर 1,50,000 तक सब्सिडी

अब जान लेते हैं कि चारपहिया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर राज्य सरकार क्या लाभ दे रही है। चारपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रति किलोवाट-घंटे के लिए 10,000 रुपये का इंसेंटिव मिलेगा।

खरीदे गए पहले 1,000 चारपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों पर अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति के लिए अधिकतम 1,50,000 रुपये सब्सिडी मिल सकेगी, वहीं अन्य श्रेणियों के लिए मिलने वाली अधिकतम राशि 1,25,000 रुपये होगी।

राज्य में पहले 10,000 चारपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने और पंजीकृत करने वालों को मोटर वेहिकल टैक्स में 75% की छूट मिलेगी। पहले 10,000 वाहनों के बाद चारपहिया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर इस टैक्स में 75% की जगह 50% की छूट मिलेगी।

टैक्सी कंपनियों को 40% इलेक्ट्रिक कार चलानी होगी

टैक्सी सेवा प्रदान करने वालों को दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की तरह ही नीति के प्रकाशित होने के दो साल खत्म होने तक 20% इलेक्ट्रिक कारों को अपने टैक्सी सिस्टम में शामिल करना होगा। अगले दो सालों में अनिवार्य इलेक्ट्रिक कारों का प्रतिशत 40% हो जाएगा। गाड़ियों के परमिट शुल्क में भी छूट दी जाएगी।

मालवाहक चारपहिया गाड़ियों पर मोटर व्हीकल टैक्स में 50% की छूट मिलेगी, साथ ही परमिट शुल्क में भी अलग से छूट का प्रावधान होगा। ध्यान रहे कि बताए गए सभी अनुदान और छूट का लाभ इस नीति के अवधि यानि 2028 तक मान्य होंगे।

बस और भारी वाहनों को ये लाभ मिलेंगे

राज्य के 6 शहरों में इलेक्ट्रिक बस की सुविधा दी जायेगी। इन शहरों में पटना, गया, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर और पूर्णिया शामिल हैं। नई इलेक्ट्रिक बस और भारी वाहनों के लिए मोटर व्हीकल टैक्स में 75% छूट मिलेगी, वहीं दो वर्षों बाद ये छूट 50% होगी।

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चार्जिंग स्टेशन की स्थापना पर सब्सिडी

सभी व्यक्तिगत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हर शहर और नगर में सार्वजानिक और निजी स्ट्रीट पार्किंग और चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। पहले 600 धीमे/मध्यम अल्टरनेट करंट चार्जर (3 GUNS) खरीदने पर टैक्स में 75% की छूट मिलेगी, वहीँ 10,000 रुपये अनुदान के रूप में दिये जाएंगे। पहले 300 फ़ास्ट अल्टरनेट करेंट चार्जर (2 GUNS) की खरीदारी पर 75% टैक्स की छूट के अलावा 25,000 रुपये का अनुदान मिल सकेगा।

डायरेक्ट करंट चार्जर खरीदने पर भी अनुदान की रकम दी जाएगी। धीमा/मध्यम डायरेक्ट करंट चार्जर (2 GUNS) खरीदने पर 75% टैक्स छूट के अलावा 25,000 रुपये अनुदान के रूप में मिलेंगे। चार्ज-डी-मूव तेज़ चार्जर पर पहले 60 चार्जर खरीदने पर 50% टैक्स छूट मिलेगा, वहीं अनुदान की रकम के तौर पर 1 लाख रुपये दिए जाएंगे।

हर शहर में होंगे कई चार्जिंग स्टेशन

राज्य में अलग अलग प्रकार के चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे जिनमें निजी चार्जिंग स्टेशन, सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन, और अर्ध सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन शामिल हैं। निजी चार्जिंग स्टेशन और अर्ध सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन पर अनुदान दिए जाएंगे। अनुदान की राशि चार्जिंग उपकरणों की संख्या और स्टेशन की जगह के अनुसार दी जाएगी।

व्यावसायिक उपयोग के लिए चार्जिंग स्टेशन, सरकारी और गैर-सरकारी ज़मीन पर स्थापित किये जा सकेंगे। राज्य में चिन्हित किए गए स्थानों पर भी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा। चार्जिंग स्टेशन अधिक से अधिक लगे, इसके लिए बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग, केंद्र की एन.एच.ए.आई, पटना नगर निगम जैसे कई सरकारी संस्थानों की भूमि पर भी चार्जिंग स्टेशन खोले जाने की योजना है।

बिहार सरकार के ऊर्जा विभाग द्वारा बिजली की आपूर्ति के लिए ख़ास तैयारियां की जाएंगी। चार्जिंग स्टेशनों को पॉवर टैरिफ में 30% तक का अनुदान दिया जाएगा। परिवहन विभाग भी बिजली बिल में अनुदान देगा।

इलेक्ट्रिक वाहनों की रीसाइक्लिंग और पुनः उपयोग पर ज़ोर

बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति में उपकरणों की रीसाइक्लिंग पर भी ज़ोर दिया गया है। जिन इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियां की क्षमता का 70 से 80% तक उपजोग हो चुका है, उन्हें बदलना आवश्यक होगा। बैटरियों का जीवनकाल समाप्त होने पर उन्हें रीसाइक्लिंग कर दोबारा उपयोग में लाना अनिवार्य होगा। पर्यावरण को नुकसान न हो, इसलिए रीसाइक्लिंग पर बिहार सरकार इस नीति में अधिक ज़ोर दे रही है।

इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग होने वाली बैटरियों के निस्तारण में कई तरह की विषैली गैस उत्पन्न होती है, इसके अलावा इन बैटरियों में लिथियम और कोबाल्ट जैसे रासायनिक तत्व सीमित मात्रा में मौजूद हैं। ऐसे में बैटरियों की रीसाइक्लिंग प्रक्रिया काफी अहम हो जाती है।

बैटरियों की रीसाइक्लिंग कर उन्हें दोबारा उपयोग में लाने की व्यवस्था तैयार की जाएगी जिसके लिए बिहार उद्योग विभाग, पर्यावरण वन व जलवायु परिवर्तन विभाग राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद का सहयोग लिया जाएगा।

नीति को अमल में लाने के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था होगी तैयार

बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था बनाई जाएगी। इसे आप ‘थ्री-लेवल’ व्यवस्था भी कह सकते हैं। पहले स्तर पर राज्य स्तरीय इलेक्ट्रिक वाहन संचालन समिति बनेगी।

पहले स्तर पर वाहन नीति से जुडी नीतियां और कार्यान्वन के लिए शीर्ष स्तर की समिति बनाई जाएगी। इस समिति में बिहार के मुख्य सचिव को अध्यक्ष बनाया जाएगा और बाकी कई अलग अलग विभागों के अपर मुख्य सचिव को समिति में सदस्य के तौर पर रखा जाएगा।

दूसरे स्तर पर परिवहन विभाग, इलेक्ट्रिक वाहन अनुश्रवण समिति तैयार करेगा। यह समिति नीतियों को सफलतापूर्वक लागू करने और प्रोत्साहन योजनाओं की राशि की मंज़ूरी की जिम्मेदारी संभालेगी।

तीसरे स्तर पर जिलास्तरीय इलेक्ट्रिक वाहन समिति का गठन किया जाएगा। जिला पदाधिकारी इस समिति की अध्यक्षता करेंगे। इस समिति में विद्युत कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण विभाग कार्यपालक अभियंता और जिला परिवहन पदाधिकारी, सदस्य होंगे।

इस इलेक्ट्रिक वाहन नीति में कितना खर्च आएगा

कैबिनेट की बैठक में ‘बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023’ 2023 से 2028 तक लागू होगी। इन पांच सालों में मोटरसाइकिल टैक्स पर छूट देने के लिए कुल 6.375 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। तमाम इलेक्ट्रिक वाहनों के खरीद प्रोत्साहन में पांच सालों में कुल 25 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

चार्जिंग स्टेशन प्रोत्साहन की राशि में पहले तीन वर्षों में 18 करोड़ रुपए का बजट बनाया गया है। इन चार्जिंग स्टेशनों में पावर टैरिफ प्रोत्साहन राशि में पहले तीन वर्षों में 7.17 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

सभी प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहनों में दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि में पांच सालों में 56.545 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इनमें पहले तीन वर्षों तक हर साल 14.665 करोड़ रुपए का बजट होगा जबकि अगले 2 वर्षों के लिए हर साल 6.275 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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