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‘हमारी किस्मत हराएल कोसी धार में, हम त मारे छी मुक्का आपन कपार में’

कोसी बराज से 4 लाख 62 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण व्यथा का यह गीत लोगों की जुबां पर फिर से आ गया है। बराज से पानी छोड़े जाने से कोसी दियारा क्षेत्र में बाढ़ की प्रबल आशंका बन गई है। कोसी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।

Sarfaraz Alam Reported By Sarfraz Alam |
Published On :
kosi flooding due to increase in water

“हमारी किस्मत हराएल कोसी धार में, हम त मारे छी मुक्का आपन कपार में” अर्थात मेरी किस्मत तो कोसी की धारा में खो गई और मैं तो बस अपने भाग्य को ही कोसता हूं। यह लोकगीत बाढ़ का दंश झेल रहे कोसी क्षेत्र के लोगों की ज़ुबान पर अकसर सुना जा सकता है।


कोसी बराज से 4 लाख 62 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण व्यथा का यह गीत लोगों की जुबां पर फिर से आ गया है। बराज से पानी छोड़े जाने से कोसी दियारा क्षेत्र में बाढ़ की प्रबल आशंका बन गई है। कोसी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में नवहट्टा प्रखंड और महिषी के कोसी तटबंध के अंदर बसी दर्जनों पंचायतों के लोगों को एक बार फिर से बाढ़ का डर सताने लगा है। कोसी का जलस्तर बढ़ने को लेकर कविता देवी कहती हैं कि उन्हें डर सता रहा है कि अगर बाढ़ आ गई, तो वे लोग कहां पर पनाह लेंगे।

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वर्षों से बाढ़ की मार झेल रहे दियारा के लोग श्रापित जीवन जीने को मजबूर हैं। लोगों को जनप्रतिनिधियों से विकास के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है। हर साल बाढ़ आती है, राहत और बचाव का कार्य चलता है। लेकिन बाढ़ के खत्म होते ही सब लोग भूल जाते हैं। ऐसा लगता है कि बाढ़ की समस्या का कोई स्थाई हल सरकार के पास है ही नहीं। इन सबके बीच झेलना तो गरीब जनता को ही पड़ता है। एक बार फिर कोसी अपनी पूरी रवानी पर है और लोगों को सैलाब का डर सताने लगा है। अनिल पासवान का घर भी तटबंध के अंदर बसे एक गांव में है। अनिल को भी अपना घर कटने का डर सता रहा है। अनिल कहते हैं कि घर कटने के बाद वह कहां शरण लेंगे, यह सोच कर घबरा जाते हैं।


इलाके के पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना ने भी दौरा कर हालात का जायज़ा लिया। उन्होंने जिला प्रशासन की व्यवस्था को लेकर सवाल उठाये। वह कहते हैं कि जिस स्तर पर प्रशासन की व्यवस्था होनी चाहिए वैसी देखने को नहीं मिल रही है।

हालांकि कोसी बराज पर 4 लाख 62 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जिला प्रशासन और जल संसाधन विभाग के अधिकारी पूरी तरह से सतर्क हो गये हैं। विभाग द्वारा लोगों को सतर्क करने के लिए माइकिंग (माइक से घोषणा) भी करवाई जा रही है। माइकिंग के लिए विभाग द्वारा कई टीमें लगायी गयी हैं। एसडीआरएफ की टीम भी कोसी तटबंध पर पूरी तरह से मुस्तैद है। पदाधिकारी सहित अन्य टीम माइकिंग कर लोगों को ऊंची जगह पर शरण लेने की सलाह दे रही हैं। राजस्व पदाधिकारी हर्षा कोमल कहती हैं कि अभी जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर नहीं गया है और बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है।

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एमएचएम कॉलेज सहरसा से बीए पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर सहरसा से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

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