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किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

पुल नहीं होने से महिलाओं को भी कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। डाला गांव निवासी मीना कहती हैं कि साल भर घाट पर पानी रहता है जिससे आवाजाही में बहुत समस्या होती है। आगे उन्होंने कहा कि पुल का काम नहीं हुआ तो वह चुनाव में वोट भी नहीं देंगी।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :
villagers disappointed with public representatives after waiting for bridge for decades in kisanganj district

बिहार के किशनगंज जिलांतर्गत बहादुरगंज प्रखंड स्थित डाला महियोदीनपुर गांव के लोग दशकों से पुल के इंतज़ार में हैं। चिकाबाड़ी पंचायत वार्ड संख्या 8 के घाट बस्ती पर पुल नहीं होने के कारण ग्रामीणों को बाज़ार, स्कूल, अस्पताल आदि जाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।


स्थानीय लोगों ने बताया कि जब पानी सूख जाता है तो सैकड़ों लोग इसी उबड़ खाबड़ रास्ते से आते जाते हैं जिससे अक्सर बाइक सवार दुर्घटना का शिकार होते हैं।

सबसे अधिक समस्याएं बरसात के दिनों में होती हैं। ग्रामीणों को डाला गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित दर्निया हाट कई किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है। पुल का निर्माण होने से यह रास्ता डाला महियोदीनपुर गांव को दर्निया, डांगी और जनता हाट से सीधे जोड़ेगा, जिससे ग्रामीणों को आवाजाही में आसानी होगी।


मिस्बाहुल चौथी कक्षा में पढ़ता है। वह रोजाना इसी रास्ते से पैदल स्कूल जाता है। उसने बताया कि बरसात के दिनों में स्कूल जाते समय कपड़े और जूते भीग जाते हैं। पुल न होने के कारण मिस्बाहुल की तरह गांव के दूसरे बच्चे भी स्कूल पहुंचने के लिए हर दिन दिक्कतों का सामना करते हैं।

पुल नहीं होने से महिलाओं को भी कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। डाला गांव निवासी मीना कहती हैं कि साल भर घाट पर पानी रहता है जिससे आवाजाही में बहुत समस्या होती है। आगे उन्होंने कहा कि पुल का काम नहीं हुआ तो वह चुनाव में वोट भी नहीं देंगी।

बहादुरगंज प्रखंड के चिकाबाड़ी और देसियाटोली पंचायत की सीमा पर स्थित इस घाट पर ग्रामीण लंबे समय से पुल की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि दो पंचायतों की सीमा पर होने के कारण यह घाट अक्सर नजरअंदाज हो जाता है।

हमने दोनों पंचायतों के मुखिया प्रतिनिधियों से बात की। देसियाटोली के मुखिया प्रतिनिधि अनवार आलम इस मामले से अनजान दिखे वहीं चिकाबाड़ी के मुखिया प्रतिनिधि सलमान ने बताया कि स्थानीय विधायक तक बात रखी गई है, उन्होंने एक दिन आकर देखा भी था लेकिन पुल कब बनेगा यह कह पाना मुश्किल है।

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पुल नहीं बनने से ग्रामीण, जन प्रतिनिधियों से नाराज़ हैं। उनका कहना है कि स्थानीय सांसद और विधायक को कई बार पुल के लिए कहा गया है लेकिन उनकी तरफ से आश्वासन के अलावा अब तक कुछ नहीं मिला।

इस मामले में हमने बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक मोहम्मद अंजार नईमी से फ़ोन पर बात की। उन्होंने कहा कि इस पुल के निर्माण का काम शुरुआती प्रक्रिया में है। जगह की मापी कर ली गई है। डीपीआर तैयार होने के बाद जल्द पुल बनवाने का प्रयास किया जाएगा।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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