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पूर्णिया के इस गांव में दर्जनों ग्रामीण साइबर फ्रॉड का शिकार, पीड़ितों में मजदूर अधिक

साइबर चोरी में पैसे खोने वालों में अधिकतर बैंक खाते महिलाओं के हैं। जालसाज़ों ने उन लोगों को शिकार बनाया है, जो सीएसपी यानी ग्राहक सेवा केन्द्रों पर जाकर अपना पैसा निकलवाते हैं, इनमें से अधिकतर खाता धारकों के पास डेबिट कार्ड भी नहीं है।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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बिहार के पूर्णिया जिले के अमौर प्रखंड स्थित एक ही गांव के कई लोग पिछले कुछ महीनों में साइबर फ्रॉड का शिकार हुए हैं। मामला मछट्टा पंचायत के बेंगदह गांव का है, जहां ग्रामीणों के बैंक अकाउंट से बिना किसी सूचना के पैसे कट गए। ग्रामीण, बैंक में शिकायत लेकर गए और ज़रूरी कागज़ात जमा किए, लेकिन उनका पैसा उन्हें वापस नहीं मिला।

साइबर चोरी में पैसे खोने वालों में अधिकतर बैंक खाते महिलाओं के हैं। जालसाज़ों ने उन लोगों को शिकार बनाया है, जो सीएसपी यानी ग्राहक सेवा केन्द्रों पर जाकर अपना पैसा निकलवाते हैं, इनमें से अधिकतर खाता धारकों के पास डेबिट कार्ड भी नहीं है।

बेंगदह निवासी साबरीन के खाते से करीब एक साल पहले 17,000 रुपये निकाल लिए गए। उन्होंने मछट्टा बाज़ार स्थित ग्राहक सेवा केंद्र पर जाकर शिकायत की, तो सीएसपी ऑपरेटर ने कहा कि पैसे कब और कैसे कटे इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।


“मेरे खाते में 30,000 रुपया आया था तो उसमें से आधा निकाले और आधा काट लिया। वह (सीएसपी प्रचालक) बोला कि कल आइएगा और निकाल लीजिएगा। अगले दिन गए तो नहीं दिया। बैंक का स्टेटमेंट भी उसी के पास है, वो हमको नहीं दिया,” साबरीन कहती हैं।

आगे उन्होंने बताया कि वह एक ही सीएसपी से पैसे निकालती थीं। पैसा कटने पर वह उस सीएसपी ऑपरेटर के पास गईं, लेकिन उसने किसी तरह की कोई सहायता नहीं की।

गांव की एक बुज़ुर्ग महिला शहनाज़ ने 48,000 रुपये लोन के तौर पर लिए थे जिसमें 10,000 रुपये उनके खाते से ग़ायब हो गए। शहनाज़ ने बताया कि सीएसपी परिचालक ने बैंक और पुलिस को शिकायत करने का कह कर उनका बैंक स्टेटमेंट मांग कर रख लिया और जब वह पैसे के बारे में पूछने गईं, तो उन्हें डांट कर घर भेज दिया।

“मेरे बैंक खाते में 48,000 रुपये थे। निकालने गए तो 38,000 निकला और 10 हज़ार नहीं निकला। उसकी दुकान में हम अपना फिंगर दिए थे। यह 2 फरवरी की बात है, इसी साल। शिकायत करने हम गए सीएसपी वाले के पास, वह बोला हमको काम करने दीजिये आप जाइए, पैसा नहीं निकल सकेगा आपका। हम बार बार गए उसके पास, नहीं दिया। वह हमको बोला था पुलिस में जाकर आपका काम कर देंगे, लेकिन वह नहीं किया,” शहनाज़ ने कहा।

“थाना और बैंक में कोई सुनता ही नहीं”

गांव के एक और बुज़ुर्ग अली मोहम्मद की पत्नी मेहमूदा खातून के खाते से 50,000 रुपये साइबर फ्रॉड की भेंट चढ़ गए। उन्होंने बैंक और साइबर थाने में आवेदन दिया, पर इस मामले में आगे कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई।

“हमारे अकाउंट में 50,000 रुपया था। पैसा निकालने गए तो उसमें 18,000 रुपया बचा था। दूसरी बार गए, तो वो पैसा भी कट गया। बैंक मैनेजर से पूछे, तो बोला हम नहीं बता सकेंगे, थाना जाओ। दो बार हम थाना गए तो बोला कि यहां मुकदमा नहीं हो सकेगा, ऊपर जाओ। पैसा कटे हमारा आठ महीना हो गया। पूर्णिया के साइबर थाने में भी लिख कर दिए फिर पूर्णिया में एक और जगह रजिस्ट्री कर के दिए , लेकिन कोइ सुनवाई नहीं हुई,” अली मोहम्मद बोले।

वह आगे कहते हैं, “एक बार मुंबई से फ़ोन आया और पूछा कि मेहमूदा खातून नाम है खाताधारी का? हम बोले हाँ। उसके बाद से वहां से भी कुछ खबर नहीं आया। थाना और बैंक में जाते हैं तो वहां कुछ सुनता ही नहीं है। पूर्णिया गए वहां दो तीन हज़ार खर्च हुआ फिर 3 बार अमौर गए। वहां भी 1,500 लग गया। फोटो, कागज़ सब दिए लेकिन कुछ नहीं हुआ।”

अली मोहम्मद के बेटे बाहर मज़दूरी करते हैं, उन्होंने पैसा कमाकर भेजा लेकिन घर वालों को पैसे नसीब नहीं हुए। अली मोहम्मद की मानें तो साइबर थाने में उनसे कहा गया था कि उनके पैसे काफी दिन पहले कटे हैं इसलिए अब मिलना मुश्किल है।

प्रवासी मज़दूरों के घर वाले हो रहे हैं फ्रॉड का शिकार

बेंगदह गांव के अधिकतर युवा राज्य से बाहर जाकर मज़दूरी करते हैं। वे अपने घर पैसा भेजते हैं और घर की महिलाएं पैसे निकालने जाती हैं। मोहम्मद इस्लाम हरियाणा में मज़दूरी करते हैं और वहां से अपने घर पैसे भेजते हैं। अभी सीज़न नहीं है इसलिए वह घर आए हुए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मां के साथ साइबर धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं।

इस्लाम ने कहा, “हम बाहर काम करते हैं। मेरी मां का बहुत बार पैसा चोरी हुआ है। वह जाती है फिंगर देती है, तो कहता है पैसा आया ही नहीं है। सीएसपी वाला बोलता है, जो करना है करो। यहां कोई सुनवाई नहीं है। यह सब सीएसपी वाला ही कर रहा है। एक सीएसपी दुकान परसरे का है और भी है कई सारा। शिकायत करने जाते हैं तो पुलिस वाला भी पैसा मांगता है। 2 हज़ार रुपया के लिए उसको 5 हज़ार देंगे? हम से अमौर थाने में पैसा माँगा था।”

आगे वह कहते हैं, “हम लोग बाहर रहते हैं, सीज़न में काम करते हैं। पैसा खाता में भेजते हैं तो यहां काट लेता है। कोई सुनवाई ही नहीं है यहां पर। हम हरियाणा में जाकर काम करते हैं, धान काटते हैं।”

बेंगदह निवासी बीबी महरज़िया खातून के पति पंजाब में मज़दूरी करते हैं। वह कहती हैं कि उनके पति कमाकर थोड़े थोड़े पैसे उन्हें भेजा करते थे, लेकिन एक के बाद एक 4 बार उनके बैंक खाते से पैसे कट गए। कुल मिलाकर उनके 9,600 सौ रुपये कटे। जब वह बैंक शाखा शिकायत लेकर पहुंची तो मैनेजर ने उनसे कहा कि इतने कम पैसे कटे हैं, इसमें क्या छानबीन की जाएगी।

“पहले 4600 रुपया कटा, फिर 2500 कटा उसी महीने में। फिर 700 कट गया और फिर 1800 कटा, चार बार मेरे बैंक खाते से पैसा कट गया। मोबाइल में मेसेज भी नहीं आया। जब पैसा निकालने सीएसपी दुकान गए तो बोला कि खाते में रुपया नहीं है। फिर हम बैंक के मुख्य ब्रांच गए, पलसा में, तो बोला इतने कम रुपये में क्या छानबीन कीजिएगा, छोड़िए हटाइए,” बीबी मेहरज़िया कहती हैं।

वह आगे बोलीं, “हमलोग फिर वहां से वापस आ गए। फिर हम कहीं नहीं गए, न बैंक गए न थाना। हम लोग ग़रीब आदमी हैं, मेरा शौहर बाहर कमाता है और भेजता है 2500-3000 तो यहां सीएसपी वाला काट लेता है। हमलोग बाल बच्चा को क्या खिलाएंगे। यह सरकार ना जानेगा कि क्या करना है, मेरा जो पैसा काटा है वो सरकार वापस करे।”

इसी गांव के एक निवासी मोहम्मद इस्लामुद्दीन गांव के उन दो लोगों में से एक है जिनके अकाउंट से गायब हुए पैसे उन्हें वापस मिले हैं। उन्होंने बताया कि उनके साले के बैंक खाते से अचानक एक रात 20,000 रुपये कट गए, जिसके बाद उन्होंने अपने बैंक खाते की जांच की तो पता चला कि उनके खाते से भी 10,000 रुपये कट चुके हैं। लंबी प्रक्रियाओं के बाद करीब 3 महीने बाद पैसे मिल गए।

इसलमउद्दीन ने कहा कि अमौर थाना प्रभारी ने बड़ी मुश्किल से प्राथमिकी दर्ज की थी और बैंक प्रबंधक ने भी कदम उठाने में ढिलाई की। उनकी मानें तो गांव मेंं साइबर फ्रॉड का शिकार होने वालों की संख्या दर्जनों में है।

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“हमलोग जब अमौर थाना गए, तो थानेदार सुनता ही नहीं था। कहता था कि आज आइये कल आइये। डेढ़ महीना इसमें लग गया फिर एक जिला परिषद की सहायता से सनहा बनवाए। फिर बैंक में कागज़ भर के दिए उसके बाद 3 महीना बाद हमारा पैसा वापस आया। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रशासन कुछ सुनता ही नहीं, थाना जाईये तो भगा देता है। इस गांव से दसियों, बीसियों आदमी का पैसा कटा है,” इस्लामुद्दीन ने कहा।

ग्राहक सेवा केंद्र चलाने वालों पर ग्रामीण ने लगाया धोखाधड़ी का आरोप

ग्रामीणों का कहना है कि बेंगदह गांव में साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों में आसपास के बाज़ारों में मौजूद ग्राहक सेवा केंद्र चलाने वालों की भूमिका संदिग्ध है। पैसे कटने की शिकायत लेकर पहुंचने पर अक्सर ये सीएसपी परिचालक ग्राहकों से बदसुलूकी करते हैं। ग्रामीणों ने मच्छट्टा और आसपास के सीएसपी परिचालकों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।

इस्लाम, साबरीन, अकबरी और महरज़िया जैसे कई ग्रामीणों ने मोहम्मद क़य्यूम नामक एक सीएससी प्रचालक का नाम लिया। मोहम्मद क़य्यूम मच्छट्टा हाट के पास जन सेवा केंद्र चलाते हैं। उन्होंने ‘मैं मीडिया’ के साथ बातचीत में कहा कि उनकी दुकान पर किसी भी ग्राहक की शिकायत नहीं आई है। अगर कोई शिकायत करता है, तो वह जांच के लिए तैयार हैं।

“मेरे पास एक भी ग्राहक की शिकायत नहीं आई है। मेरे पास कंप्लेन लेकर आएं, हम जांच कर लेंगे कि उस तारीख में मेरे यहां से ट्रांजैक्शन हुआ है कि नहीं। हम आधार कार्ड और फिंगर से पैसा निकालते हैं, एक दिन में एक ही बार पैसा निकालते हैं चाहे आप 100 रुपए निकालिए या 10,000, और महीने में तीन बार ही मेरे पास पैसा निकल सकता है,” मोहम्मद क़य्यूम ने कहा।

वह आगे बोले, “जिसको भी शिकायत है उसको बोलिये मेरे खिलाफ कंप्लेन करेगा, मेरे आईडी की जांच होगी, अगर मेरे आईडी में कोई ग़लती निकली, तो उसका ज़िम्मेदार मैं खुद होऊंगा। मेरे ऊपर कंप्लेन करने बोलिये मैं इसके लिए तैयार हूँ। अगर मेरे किसी ग्राहक का कोई ऐसा प्रॉब्लम होगा, तो उसको हक़ दिलाना मेरा काम है।”

पूर्णिया साइबर थाना के प्रभारी ने दिया कार्रवाई का आश्वासन

इस मामले में हमने पूर्णिया साइबर थाने के प्रभारी पुलिस उपाधीक्षक कौशल किशोर कमल से बात की। उन्होंने कहा कि अमौर से कुछ मामले सामने आए हैं जिन पर कार्रवाई की गई है। हालांकि बेंगदह गांव से अभी शिकायत संज्ञान में नहीं आई है। आगे उन्होंने कहा कि ग्रामीण अपने बैंक खाते की जानकारी लेकर साइबर थाना पहुंचें, मामले की छानबीन कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

“जितने भी फ्रॉड के शिकार लोग हैं वे पूर्णिया साइबर थाना आएं। हमलोग इस पर देख कर छानबीन करेंगे। वे अपने कागज़ात लेकर आएं हम देख लेंगे कौन कौन सा अकाउंट है। अगर धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति की पहचान हो गई तो उसको मुआवज़ा देना होगा और जेल तो उसको हमलोग भेजेंगे ही। अमौर वाले इलाके में तीन चार ऐसे मामले आए हैं जिसमें फिंगरप्रिंट वगैरह बनाकर फ्रॉड करते थे। संज्ञान में आने के बाद हमलोग कार्रवाई करेंगे ही,” कौशल किशोर कमल ने ‘मैं मीडिया’ से कहा।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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