“आग लगने की सही वजह अभी तक सामने नहीं आई है। कोई शाॅट-सर्किट की बात कह रहा तो कोई चूल्हे की चिंगारी की बात। कुछ दिन पहले भी इसी गांव में आग लगी थी। इस बार 200 से अधिक घर जल गये उस बार भी लगभग 100 घर जल कर राख हो गये थे।” घूरन गांव के ही युवा शोयब अहमद बताते है।
पछुआ मौसम के शुरुआती दौर में ही आग ने सुपौल में गांवों में अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। स्थानीय न्यूज के मुताबिक 3 जनवरी 2024 को सुपौल की बैरिया पंचायत के सुरती पट्टी वार्ड नं 01 में आग लगने से 6 परिवारों के घर जल गये थे। कुछ लोग गंभीर रूप से झुलस भी गए थे। फिर सुपौल स्थित सदर प्रखंड के घूरन गांव में ही एक सप्ताह के भीतर ही 300 से ज्यादा घर जलकर राख हो गये हैं।
2 दिन में 2 बार लगा घूरन गांव में आग
सुपौल स्थित सदर प्रखंड के घूरन गांव के युवा शोयब अहमद बताते हैं, “5 जनवरी 2024 को सुपौल स्थित सदर प्रखंड के घूरन गांव के वार्ड नंबर 6,7 और 8 में आग लगने से लगभग 200 घर जलकर राख हो गये थे। 9 नंबर वार्ड के भी कुछ घर के जलने की खबर आई है। लगभग 5 दिन पहले ही घूरन पंचायत के वार्ड नंबर 10 और 11 में आगलगी की घटना से लगभग 100 घर जलकर राख हो गये थे।”
घूरन गांव के ही वार्ड नंबर 7 के शंकर राय बताते हैं, “जिस वक्त आग लगी थी हम लोग खेत में थे। जब तक खेत से आएं पूरा घर जल चुका था। वार्ड नंबर 6 के मो सुलतान के घर में सबसे पहले आग लगी थी। आग लगने से गांव के कुछ मवेशी भी जल गए।”
शंकर राय के मुताबिक उनके घर में आग लगने से कम से कम 4-5 लख रुपए का नुकसान हुआ है। ग्रामीणों के मुताबिक दोनों बार लगी आग से कम से कम एक से डेढ़ करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। वहीं कुछ ग्रामीणों के मुताबिक, कम से कम 2 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
गांव के छह नंबर वार्ड की सानो बिलखते हुए तेज आवाज में कहती हैं कि घर का पूरा सामान जल गया। बकरीद के बाद शादी है बेटी की। पता नहीं अब क्या होगा।”
गांव के ही जंगली राय बताते हैं, “3 वार्ड के 200 से ज्यादा घर में आग लगी हुई थी, लेकिन शुरू में सिर्फ प्रशासन ने दो दमकल भेजा था। बाद में छह-सात और दमकल आया था। इस मौसम में आगलगी की घटना तो होती रहती है। प्रशासन को तो सचेत रहना चाहिए,तब कुछ राहत जरूर होती। गांव के लोग बाल्टी व पंपसेट की भी मदद लिए। ग्रामीणों ने अपने दम पर आग बुझया नहीं तो पूरा गांव जल गया होता।”
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गांव के ही करिया राय के मुताबिक आगलगी के वक्त बच्चे, महिला हो या बुजुर्ग सब के हाथ में बाल्टी जरूर दिख रही थी और सभी लोग आग पर पानी छिड़क रहे थे। लेकिन स्थिति इतनी भयावह थीं कि जब तक एक घर को आग से बुझा लेते तब तक दूसरे घर को आग अपने चपेट में ले लेती थी। आग लगने के बाद गांव में सगे-सबंधी भी पहुंच रहे हैं और अपने-अपने संबंधियों को अपने-अपने घर ले जाने के प्रयास करते हुए देखें गए हैं।
गांव में जिन परिवार का अधिक क्षति हुआ वह रोते-बिलखते देखे गये तो वहीं गरीब लोग अपने फूस के घर जलने के गम में बेसुध हो गये है। गांव के लोग सरकारी अधिकारी के पास आपदा पीड़ितों की सूची में अपने नाम को जुड़वाने की कोशिश भी कर रहे हैं। ताकि कुछ सरकारी मदद मिल सकें।
आग लगने की कोई जानकारी नहीं!
गांव के दरजी जैबार बताते हैं, “गैस सिलेंडर की वजह से पूरे गांव में तेजी से आग लग गयी। आग जब गैस सिलेंडरों में लगनी शुरू हुई तो ऐसा लगता था कि बम ब्लास्ट हो रहा है। सिलेंडर ब्लास्ट होने की वजह से लोग भागते नजर आए। पछुआ हवा भी लोगों की मुश्किल बढ़ा रहा था। आग कैसे लगी यह अभी तक पता नहीं चल पाया है।” एक सप्ताह के भीतर गांव में दो बड़ी-बड़ी आगजनी की घटना को लेकर गांव के लोग काफी आशंकित हैं।
इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी सुपौल शाखा के अभय तिवारी बताते हैं, “आग लगी की घटना के बाद हमारी टीम ने प्रत्येक प्रभावित परिवार को तिरपाल, बाल्टी, तौलिया, हाइजीन किट, मच्छर दानी, हाफ पैंट आदि प्रदान किया था।”
एसडीएम के प्रभारी मोहम्मद इकरामुल बताते हैं कि सरकार के दिशा निर्देश के मुताबिक प्रशासन ने तुरंत राहत सामग्री मुहैया कराई थी। आगे भी प्रशासन की तरफ से पूरी मदद रहेगी।
सदर सीओ अलका कुमारी बताती हैं,”आग लगने की घटना पर प्रशासन पूरी तरह सजग है। हमने पड़ोसी जिला सहरसा से भी दमकल मंगवाया था। क्षति व पीड़ित परिवार की लिस्ट बनाई जा रही है। राहत सामग्री दी जा रही है।”
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