हादसा उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुआ है। पहले बताया जा रहा था कि सुरंग में 40 व्यक्ति फंसे हुए हैं, लेकिन बाद में पता चला कि वहां कुल 41 लोग फंसे हुए हैं।
मृतक के परिजनों को मुआवजे के सवाल पर उन्होंने कहा कि दुर्घटना का शिकार हुए श्रमिकों को राज्य सरकार के श्रम संसाधन विभाग की तरफ से 1 लाख 25 हज़ार रुपये दिये जाते हैं। जल्द ही पीड़ित परिवार को यह रकम दिलाने का प्रयास करेंगे। साथ ही नाडेक कंपनी की तरफ से इंश्योरेंस की रकम भी मिलने की उम्मीद है।
मनरेगा मजदूरों को इस योजना से फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा हो रहा है। काम करने के बाद वे महीनों भुगतान के इंतजार में बैठे रहते हैं जिससे उन्हें और उनके परिवारों को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता है। इसी वजह से ज्यादातर मजदूर प्रदेश पलायन कर रहे हैं।
रेलवे सुरक्षा बलों द्वारा बच्चों के ले जा रहे तीन व्यक्तियों को पकड़ कर जीआरपी थाना किशनगंज के हवाले कर दिया गया।
ये नज़ारा है सहरसा जंक्शन पर खड़ी सहरसा - अमृतसर एक्सप्रेस के जेनरल डब्बे का। ट्रैन के किसी भी जनरल डब्बे में पैर रखने तक की जगह नहीं है। ट्रेन में भारी भीड़ होने से रोज़ी रोटी के लिए बिहार से बाहर जा रहे मज़दूरों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
श्रीकांत कोरोमंडल एक्सप्रेस के थर्ड एसी में बी-5 डिब्बे में सफर कर रहे थे। पहले दो हादसे में श्रीकांत प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं हुए थे, लेकिन बालासोर ट्रेन हादसे में वह बुरी तरह ज़ख़्मी हो गए।
ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के टकराने से बिहार के 51 व्यक्तियों की मौत हो गई थी। हादसे में बाल-बाल बचे लोगों को बस के द्वारा अररिया लाया गया। अररिया ज़िला प्रशासन की पूरी टीम ने वापस आए लोगों को रिसीव किया। फिर यहां से ज़िला प्रशासन ने उन लोगों को अपने घर तक पहुंचाया।
अररिया जिले के पलासी प्रखंड अंतर्गत बेलबाड़ी के रहने वाले मोहम्मद वारिस के दो बच्चे शौक़ीन (17 वर्ष) और निसार (15 वर्ष) भी इस समय नासिक स्थित बाल विकास विभाग में हैं। वारिस ने 'मैं मीडिया' से बताया, कि अपने बच्चों को उन्होंने अपनी मर्ज़ी से मदरसा भेजा था और जिसके साथ भेजा था, वह उनका ममेरा भाई है लेकिन पुलिस ने उसे तस्कर कह कर गिरफ्तार कर लिया है।
सूडान में बीते कई हफ्तों से सूडान की आर्मी और पैरामिलिट्री समूह आरएसएफ के बीच संघर्ष चल रहा है। यह संघर्ष आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान और पैरामिलिट्री( रैपिड सपोर्ट फोर्स) के चीफ हमदान दगालो के बीच चल रहा है।
गोढ़ी चौक के निकट एनएच 57 के किनारे बंजारों का एक छोटा सा समूह रह रहा है। ये लोग बांस और प्लास्टिक की बनी झोपड़ियों में रहते हैं और ठंड में भी ज़मीन पर सोने को मजबूर हैं।
लाल मोहम्मद एक फेरीवाला हैं और कटिहार जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में बच्चों के कपड़े बेचने का काम करते हैं। हर दिन वह अपने घर कटिहार से ट्रेन पकड़ कर बारसोई अनुमंडल क्षेत्र आते हैं और गांव में घूम घूम कर छोटे बच्चों और लड़कियों के कपड़े बेचते हैं। लाल मोहम्मद लगभग 7 सालों से […]
सड़क दुर्घटना में नागालैंड में कटिहार के चार मजदूरों के मौत के बाद अब चारों मजदूरों का शव गांव पहुंचा है। बताते चलें चारों मजदूर कटिहार कोढ़ा विधानसभा के राजीगंज से है। पंकज, शिवम, संजय और रघुनंदन कंस्ट्रक्शन मजदूरी के काम के लिए नागालैंड गये हुए थे, जहां सड़क हादसे में चारों की मौत हो […]