लाल मोहम्मद एक फेरीवाला हैं और कटिहार जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में बच्चों के कपड़े बेचने का काम करते हैं। हर दिन वह अपने घर कटिहार से ट्रेन पकड़ कर बारसोई अनुमंडल क्षेत्र आते हैं और गांव में घूम घूम कर छोटे बच्चों और लड़कियों के कपड़े बेचते हैं। लाल मोहम्मद लगभग 7 सालों से यह काम कर रहे हैं और यही उनकी रोजी रोटी का साधन है।
लेकिन फिर अचानक एक दिन उनकी जिंदगी में बदलाव आता है और काम पर जाते हुए उन्हें घबराहट महसूस होती है, डर लगता है।
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दरअसल, उत्तर प्रदेश से बच्चा चोरी की अफवाह अब धीरे धीरे बिहार पहुंच चुकी है। हर दूसरे दिन बच्चा चोरी के शक में किसी न किसी शख्स को भीड़ द्वारा पीटा जाता है।
सीमांचल में भी इस सप्ताह कई बेकसूर लोग इस अफवाह का शिकार बने और बुरी तरह पिटाई हुई।
कटिहार जिले में लगातार तीन दिन अलग अलग जगहों पर ऐसी तीन घटनाएं घटीं।
‘मैं मीडिया’ से बातचीत करते हुए लाल मोहम्मद बताते हैं कि 7 सालों तक इस इलाके में वह कपड़े बेचते रहे, कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। लेकिन आजकल दिल में एक डर बना रहता है कि मेरे साथ भी कोई अनहोनी ना हो जाए। इसीलिए वह अब उसी गांव में जाते हैं जहां लोग उन्हें पहचानते हों। वह उस गांव में जाने से बचते हैं, जहां लोग उन्हें नहीं पहचानते।
पहले वह हर गांव के अंदर जाकर कपड़ा बेच लेते थे, लेकिन अब मेन रोड से ही आवाज लगाकर बेचा करते हैं। गांव के अंदर जाने पर लोग शक की निगाह से देखते हैं और पूछताछ करते हैं। गांव के अंदर नहीं जाने से उन्हें नुकसान हो रहा है क्योंकि गांव के लोग मुख्य सड़क पर कपड़ा लेने नहीं आते हैं।
कुछ ऐसी ही कहानी मोहम्मद मंजूर खान की भी है। वह कुशीदा (पश्चिम बंगाल) से बारसोई अनुमंडल क्षेत्र में नारियल बेचने का काम करते हैं। लगभग 10-11 साल से वह इस काम को करते आ रहे हैं और इसी से रोजी-रोटी चलती है।
बच्चा चोरी की अफवाह के बारे में पूछने पर मंजूर खान कहते हैं, “हां, इलाके में इस तरह की अफवाह तो है और इसी को देखते हुए हम लोग भी सतर्कता के साथ सामान बेचते हैं। हम उसी गांव में जाते हैं जहां हमें लोग पहले से पहचानते हों, अनजान गांव में जाने से बचते हैं।” आगे वह कहते हैं, “2-4 नारियल कम बिकेगा, पर जान तो बची रहेगी।”
मोहम्मद हाशिम कबाड़ी का काम करते हैं। वह गांव-गांव घूमकर लोगों से टूटा फूटा लोहा और कबाड़ का सामान खरीदते हैं और समेली कटिहार मार्ग पर एक बार खाने में बेच देते हैं।
बच्चा चोरी की अफवाह पर मोहम्मद हाशिम कहते हैं कि गांवों में इस तरह की अफवाह है और इसी अफवाह की वजह से बाहर के कबाड़ी वाले या बाकी सामान बेचने वाले कम आ रहे हैं।
“हम खुद सिर्फ अपने गांव इलाके में ही आजकल कबाड़ खरीदते हैं अनजान इलाके में नहीं जाते हैं,” उन्होंने कहा।
बच्चा चोरी की अफवाह पर पिटाई की घटनाएं लगातार सामने आने से क्षेत्र के भिखारियों, कबाड़ी वालों, आइसक्रीम वालों और गांव में घूम घूम कर छोटे-मोटे सामान बेचने वाले दुकानदारों में दहशत का माहौल है। भिखारियों और साधुओं ने इलाके में आना ही छोड़ दिया है। इससे उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है।
प्रवीण कुमार भी गांव-गांव घूमकर झुमका बेचने का काम करते हैं। इस अफवाह के बारे में वह कहते हैं, “हम तो सिर्फ अपने इलाके में सामान बेचते हैं लेकिन फिर भी लोग पूछताछ करते हैं। ऐसी परिस्थिति में हम अपने क्षेत्रीय भाषा में बात कर बताते हैं कि हम इसी क्षेत्र से हैं, कोई बच्चा चोर नहीं।”
“लेकिन, सोचिए जो बाहर से आते होंगे और जिन्हें इस क्षेत्र की भाषा नहीं आती होगी, तो गांव वाले उसके साथ क्या करेंगे,” उन्होंने कहा।
बच्चा चोरी के संदेह में पिटाई की घटनाएं
कटिहार जिले में बच्चा चोरी के संदेह पर पिटाई का पहला मामला शुक्रवार 9 सितंबर को कोढ़ा प्रखंड में सामने आया था। इसमें भीख मांगने आए दो साधुओं को गांव वालों ने बच्चा चोर समझकर पीटा था।
पीड़ित परिवार का कहना था कि एक साधु बिना पूछे घर के अंदर कमरे में घुसा और बिस्तर में सोए हुए बच्चे को गोद में उठा लिया और दूसरा आंगन में खड़ा था जिसके बाद बच्चे की मां द्वारा शोर मचाने पर लोग जमा हो गए और उन्हें पकड़ लिया। हालांकि, पुलिस छानबीन में दोनों भिखारी निकले।
दूसरी घटना शनिवार यानी 10 सितंबर को कटिहार जिले के आजमनगर प्रखंड अंतर्गत गायघट्टा गांव में हुई, जहां पश्चिम बंगाल के मालदा से मदरसा का चंदा लेने आए छह लोगों को ग्रामीणों ने बच्चा चोर समझकर कर पिटाई की और बंदी बना लिया।
गायघट्टा गांव बिहार पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्र में होने के कारण बड़ी संख्या में लोग यहां व्यापार और बाकी कारणों से आते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार चंदा लेने आए लोगों में से एक व्यक्ति बिना पूछे सीधे आंगन में आ गया और बरामदे में खेल रहे तीन वर्षीय बच्चे को गोद में उठाने की कोशिश की। शोर मचाने के बाद उन्हें खदेड़ कर पकड़ लिया गया।
हालांकि, स्थानीय सरपंच और जनप्रतिनिधियों की सूझबूझ से उन लोगों को भीड़ से बचाकर पंचायत भवन में बंद कर दिया और पुलिस को सूचना दी। इधर आक्रोशित ग्रामीणों ने उनके वाहन को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया।
भीड़ के गुस्से को देखते हुए आनन-फानन में आसपास के कई थानों की पुलिस पहुंची। साथ ही बारसोई डीएसपी प्रेमनाथ भी मौके पर पहुंचे और लोगों को समझा बुझाकर शांत कराया।
बाद में बच्चा चोरी की कोशिश महज़ एक अफवाह निकली। आजमनगर थाना प्रभारी राजीव कुमार झा ने फोन पर बताया कि पीड़ित लोगों ने गाड़ी क्षतिग्रस्त करने को लेकर FIR दर्ज कराया है।
तीसरी घटना में रविवार 11 सितंबर को कटिहार जिले के तेलता रेलवे स्टेशन (चांदनी चौक) के समीप एक व्यक्ति को लोगों ने बच्चा चोर समझ कर बुरी तरह पीटा।
सूचना मिलने के बाद तेलता पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़ित व्यक्ति को बचाकर थाने ले आई। तेलता ओपी अध्यक्ष मुन्ना कुमार पटेल ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि वह व्यक्ति ने खुद को किशनगंज जिले के बहादुरगंज का रहने वाला बताया और वह एक प्रवासी मजदूर था और गलत ट्रेन में बैठने की वजह से तेलता रेलवे स्टेशन पहुंच गया था।
“मानसिक रूप से थोड़ा विछिप्त था। लेकिन लोगों ने उसे बच्चा चोर समझ लिया,” मुन्ना कुमार पटेल ने बताया।
नेपाल के सीमावर्ती इलाके में भी इन दिनों बच्चा चोरी की अफवाह चरम पर है। किशनगंज ज़िले के ठाकुरगंज मार्केट स्थित काली मंदिर के निकट कटिहार के एक युवक की बच्चा चोरी की संदेह में ग्रामीणों ने बुरी तरह पिटाई कर दी गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
घटना की सूचना पर ठाकुरगंज पुलिस मौके पर पहुंची और युवक को इलाज आए लिए ठाकुरगंज पीएचएससी में भर्ती करवाया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
ठाकुरगंज थाना प्रभारी मोहन कुमार ने लोगों से अपील की कि किसी भी तरह की अफवाह से बचें और कोई भी संदिग्ध व्यक्ति कहीं दिखे इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें।
दूसरी तरफ, अररिया के फारबिसगंज में बच्चा चोरी के आरोप में एक अधेड़ महिला को ग्रामीणों ने पकड़ कर लिया और पुलिस के हवाले किया।
बताया जाता है कि फारबिसगंज के हवाई अड्डा रोड के पास एक महिला बच्चा चुराने के आरोप में पकड़ी गई। ग्रामीणों के अनुसार, वह महिला बच्चों को चॉकलेट देने के बहाने अपने पास बुला रही थी, तभी ग्रामीणों की इस पर नजर पड़ गई और महिला की पिटाई कर दी और बाद में उसे फारबिसगंज थाने को सौंप दिया।
सोशल मीडिया के जरिए फैल रही अफवाह
गायघट्टा हाट में एक ग्रामीण आजाद आलम ने इस अफवाह को फ़ैलाने का जिम्मेदार मोबाइल और सोशल मीडिया को बताया। उन्होंने कहा कि गांव में औरतें फेसबुक और यूट्यूब में इस तरह की घटनाओं को देखने के बाद हर अनजान व्यक्ति पर शक करने लगती हैं।
ज्यादा शिक्षित नहीं होने की वजह से वे फेसबुक और यूट्यूब के हर वीडियो को सही मान लेती हैं और इस तरह घर आने वाला हर अनजान व्यक्ति और भिखारी उन्हें बच्चा चोर लगने लगता है। इस वजह से इस तरह की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं।
आगे उन्होंने बताया कि प्रशासन और स्थानीय संगठनों के द्वारा गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए, जिससे लोगों की शंकाएं खत्म की जा सकें।
जब ‘मैं मीडिया’ ने आजमनगर थाना प्रभारी राजीव कुमार झा से इस अफवाह के बारे में जानना चाहा, तो उन्होंने बताया, “यह मात्र एक अफवाह है और आजमनगर थाना क्षेत्र के गायघट्टा में जिन लोगों की पिटाई बच्चा चोर समझ कर हुई थी, वे लोग जांच में निर्दोष पाए गए। वे सभी सज्जन लोग थे।”
राजीव कुमार झा कहते हैं कि आजकल सबके पास एंड्रॉयड मोबाइल है जिसमें डाटा भरा हुआ रहता है। लोग सोशल मीडिया और फेसबुक चलाते हैं,उसमें न्यूज़ और बाकी वीडियोज देखते हैं लेकिन अशिक्षित होने के कारण बिना सोचे समझे उन वीडियोज पर भरोसा कर लेते हैं सही मान लेते हैं।
आगे वह कहते हैं, “दूसरा कारण हमें यह लगता है कि आजकल युवा बेरोजगार बैठे हैं और थोड़ा भी कहीं कुछ होता है, तो उग्र हो जाते हैं। इसी वजह से इस तरह की घटना गायघट्टा में हुई।”
इस तरह की अफवाहों पर ‘मैं मीडिया’ से बातचीत करते हुए तेलता ओपी अध्यक्ष मुन्ना कुमार पटेल ने कहा कि मोबाइल और सोशल मीडिया के वजह से इस तरह की घटनाएं हो रही है।
“लोग जब सोशल मीडिया देखते हैं, तो न्यूज़ हैडलाइन में और वीडियो शुरू होते ही एंकर, दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए जो इंट्रो देते हैं, उसे गांव के लोग सही मान लेते हैं और यकीन कर लेते हैं। अज्ञानता और अशिक्षा के कारण ऐसा हो रहा है। जनता को फेक न्यूज़ से और इस तरह का वीडियो देखने से बचना चाहिए,” उन्होंने कहा।
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