हजारों आदिवासी और शेरशाहवादी समुदाय के लोग अपने गाँव के अस्तित्व को लेकर चिंता में हैं। डोंक नदी के धीरे धीरे गांव के समीप आने से लोगों में डर का माहौल है।
लोगों का कहना है कि समय रहते तटबंध नहीं बनाया गया तो आने वाले कुछ वर्षों में गांव की एक मात्र सड़क नदी में समाहित हो जाएगी और देखते ही देखते हजारों आदिवासी और शेरशाहवादी न सिर्फ समाज की मुख्यधारा से कट जाएंगे बल्कि यहां के लोगों का जीना भी मुश्किल हो जाएगा।
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यह मामला धोबीडांगा नामक गांव का है जो किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत बुधरा पंचायत के वार्ड संख्या 2 के अंतर्गत आता है।
मो. इस्माइल बताते हैं कि ये नदी पहले दूर से बहती थी जो कटते हुए गाँव के एक मात्र सड़क तक आ पहुंची है, वे कहते हैं कि अगर समय रहते तटबंध नहीं बनाया गया तो आने वाले दिनों में पूरा गाँव बर्बाद हो जाएगा
रमई हेम्ब्रम आदिवासी समुदाय से आते हैं, वे बताते हैं कि इस वार्ड में लगभग 50 परिवार रहते हैं, सभी लोग दिहाड़ी मजदूर है जो मुश्किल से प्रतिदिन ₹150-₹200 कमा पाते हैं। इन्हें चिंता है कि दिहाड़ी मजदूरी से बामुश्किल घर चलती है, कटान जैसा कुछ हुआ है इन लोगों के पास कोई चारा नहीं बचेगा
नदी के मुहाने पर बसे तफेजुल हक़ परेशान हैं, नदी के मामूली कटान से इनका पूरा आशियाना उजड़ सकता है। इनके पास यहां के अलावे कहीं और भूमि नहीं है।
स्थानीय समाजसेवी मुदस्सिर नजर बताते हैं कि गाँव का कुछ अंश पहले नदी के तरफ़ भी हुआ करता था लेकिन कटान के कारण लोग विस्थापित होकर सड़क के पूर्व में जा बसे है। हालात ऐसे हैं कि पूर्व में बसी आबादी भी ख़तरे में दिख रही है। ऐसे में ये बिहार के आपदा मंत्री शाहनवाज़ आलम से इस दिशा में कुछ बेहतरी की उम्मीद करते हैं।
वहीं, इस संबध में स्थानीय विधायक इज़हारुल हुसैन ने बताया कि “वह विभागीय लोगों के साथ बहुत जल्द वहां जाएंगे और जो भी काम किया जाना चाहिए, कराएंगे”।
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