प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि साल 2022 तक देश के किसानों की कमाई दोगुनी हो जाएगी, लेकिन अब खेती के लिए सबसे जरूरी चीज खाद खरीदना ही किसानों के लिए एक जंग बन गया है।
एक साल के protest और सैंकड़ों किसानों की शहीद के बाद 19 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने विवादित Farm Bills या हिंदी में कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषण की और उन्होंने इसके लिए देश से माफ़ी भी मांगी। 2014 में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद ये शायद पहला मौका था, जब उन्होंने देश से माफ़ी मांगी हो। 30 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही उन्होंने अपनी घोषणा को अमलीजामा पहनाते हुए आधिकारिक तौर पर Farm Bills वापस ले लिया। देश के किसान इसकी ख़ुशी मना सकते हैं, लेकिन बिहार के किसान नहीं। क्यूंकि, बिहार में ये कानून पिछले पंद्रह सालों से लागू है। और बिहार की राजनीति में इसको लेकर जितना सन्नाटा है, लगता नहीं है आने वाले दिनों में भी बिहार से ये कृषि कानून हटेगा।
किशनगंज सहित सीमांचल और कोशी क्षेत्र में रहनेवाले लोग हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलते हैं। तमाम दावों के बावजूद तमाम व्यवस्थायें और उम्म्मीदेँ प्रत्येक वर्ष ध्वस्त हो जाती हैं।
नीति आयोग की Sustainable Development Goals पर 3 जून को जारी हुई रिपोर्ट में बिहार विकास के मामले में सभी राज्यों में सबसे नीचे रहा जिसकी वजह से उसकी काफी आलोचना हुई। लेकिन इस मामले पर एक मांग उठने लगी है कि बिहार Bihar को विशेष राज्य का दर्जा मिले क्योंकि बिहार के पिछड़ने के पीछे इसी को कारण माना जा रहा है।
भारी विरोध और हंगमाने के बीच केंद्र सरकार ने 2019 में तीन तलाक़ बिल या मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम बनाकर तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये बिल तीन तलाक देने को कानूनी रूप से अमान्य और गैरकानूनी बनाता है। बावजूद इसके कुछ लोगों में इस कानून का खौफ अभी भी नहीं है। ताज़ा मामला बिहार के किशनगंज से सामने आया है। जहाँ एक 40 वर्षीय महिला और उसके छः बच्चों को तीन तलाक देकर उसके हाफिज पति ने घर से बाहर निकाल दिया। इसके बाद पति ने दूसरी शादी भी कर ली है।
इस बार बिहार विधानसभा में 19 मुस्लिम विधायक हैं, जिनमें 8 RJD से हैं, 5 AIMIM से, 4 कांग्रेस से, एक BSP से और एक भाकपा माले से। लेकिन जिस गठबंधन ने सरकार बनाया है यानी NDA से एक भी मुस्लिम विधायक नहीं है। भाजपा, VIP और HAM ने कोई मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा किया ही नहीं था, जदयू से 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन सबके सब हार गए।