रंजू देवी और फूदनी देवी की तरह ही गांव की लगभग 50 महिलाओं के नाम पर लोन उठाया गया है। एक-एक महिला के नाम चार से पांच लोन लिए गए हैं। इसी क्रम में गीता देवी पर चार लोन, रूबी देवी के नाम दो और अभिलाषा देवी के नाम पर चार लोन लिये गये हैं।
रोजगार की तलाश में लाल बहादुर साह 9 माह पहले यानी 4 सितंबर 2023 को कमाने के लिए सऊदी अरब गए। फिर लगभग 7 महीने बाद 27 मार्च को एक वीडियो बनाकर अपने परिजन को भेजे थे।
दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में चाय उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा जिला है। चाय बागान श्रमिकों का कहना है कि महंगाई के जमाने में उन्हें 250 रुपये प्रति दिन की मजदूरी दी जाती है, जिससे उनका गुज़ारा नहीं हो पाता है। पिछले वर्ष जून में चाय श्रमिकों की मज़दूरी 232 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 250 रुपये की गई थी लेकिन श्रमिक इससे नाखुश हैं और वेतन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं।
मज़दूरों ने बताया कि गांव के दर्जनों परिवार बेरोजगारी से जूझ रहे हैं जिसक कारण कई लोग मज़दूरी के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं। गांव की कई महिलाएं मनरेगा श्रम कार्ड बनवा कर रोजगार पाने की आस में बैठी हैं लेकिन सालों से उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है।
आंकड़े बताते हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों में बाल दुर्व्यापार या बच्चों की ट्रैफिकिंग को रोकना दशकों से एक बड़ी चुनौती रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 2021 के आंकड़ों की मानें तो, देश में हर घंटे नौ बच्चे लापता होते हैं, जबकि रोजाना आठ बच्चे ट्रैफिकिंग का शिकार होते हैं। संस्था के जिला परियोजना समन्वयक मुजाहिद आलम ने कहा कि रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देश में 77,535 बच्चे लापता हुए जो 2020 के मुकाबले 31% अधिक है।
कटिहार जिले के बलरामपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सिहागांव पंचायत के निवासी मोहम्मद मुश्फिक का शव रविवार को घर पहुंचा। 30 वर्षीय मोहम्मद मुश्फिक सूरत में प्रवासी मजदूर थे, जहां साइट पर सरिया लगने के कारण गंभीर चोट आई थी।
इन दिनों एक मजदूर की दर्द भरी आवाज में पलायन के ऊपर गाए गए इस गाने को खूब पसंद किया जा रहा है। इसका वायरल वीडियो आपने किसी ना किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जरूर देखा होगा जिसमें यह मजदूर दो ट्रेनों के बीच खड़ा होकर इस गाने के माध्यम से अपना दुख व्यक्त कर रहा है।
आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की मानें, तो किशनगंज में 2020 तक पंजीकृत मज़दूरों की संख्या 39,244 थी लेकिन कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन के बाद राज्य वापस लौटने वाले मज़दूरों की अनुमानित संख्या 56,320 बताई गई थी।
पश्चिम बंगाल और असम में चाय बागान के श्रमिकों को फिलहाल 232 रुपए दिहाड़ी की दर से मज़दूरी दी जाती है। त्रिपुरा और बिहार के किशनगंज को छोड़ दें तो यह देश में बाकी राज्यों के मुक़ाबले काफी कम है।
आज से 10 बरस पहले यानी 2012 का ही आंकड़ा देखें, तो असम में 429 करोड़, तमिलनाडु में 70 करोड़, पश्चिम बंगाल में 30 करोड़ व केरल में 27 करोड़ रुपये बकाया हैं।
पिछले दिनों मोतिहारी के रामगढ़वा थाना क्षेत्र में स्थित ईंट-भट्ठा की चिमनी में ब्लास्ट में हो गई थी। हादसे में चिमनी मालिक सहित 10 लोगों की मृत्यु हुई थी और 8 लोग घायल हुए थे।
कम्बोडिया में अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर म्यांमार में बंधक बनाकर गलत तरीके से कार्य करा रहे दो भारतीय युवकों को किशनगंज पुलिस ने मुक्त कराया है।