Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

दार्जिलिंग के चाय बागान श्रमिक ₹232 में मज़दूरी करने पर मजबूर

पश्चिम बंगाल और असम में चाय बागान के श्रमिकों को फिलहाल 232 रुपए दिहाड़ी की दर से मज़दूरी दी जाती है। त्रिपुरा और बिहार के किशनगंज को छोड़ दें तो यह देश में बाकी राज्यों के मुक़ाबले काफी कम है।

Sumit Dewan Reported By Sumit Dewan |
Published On :

1948 में न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम के तहत संगठित क्षेत्र में काम करने वाले सभी मज़दूरों को महंगाई के अनुसार दैनिक मज़दूरी मिलने का प्रावधान है। पश्चिम बंगाल स्थित दार्जिलिंग के चाय बगानों में काम करने वाले श्रमिक प्रति दिन 232 रुपये की मज़दूरी पर रोज़ाना 8 घंटे काम करते हैं। इन चाय बागानों में अधिकतर मजदूर महिलाएं हैं, जिन्हें प्रति घंटा 29 रुपये की दर से मज़दूरी दी जाती है। इन महिला मज़दूरों का कहना है कि इतनी कम मजदूरी में परिवार का खर्च चला पाना मुश्किल है।


पश्चिम बंगाल और असम में चाय बागान के श्रमिकों को फिलहाल 232 रुपए दिहाड़ी की दर से मज़दूरी दी जाती है। त्रिपुरा और बिहार के किशनगंज को छोड़ दें तो यह देश में बाकी राज्यों के मुक़ाबले काफी कम है। अगस्त 2022 के एक आंकड़े के अनुसार केरल में चाय बागान श्रमिकों का दैनिक वेतन 461 रुपये है जबकि तमिलनाडु में श्रमिकों को 376 रुपये दिये जाते हैं ।

Also Read Story

बिहार: शौचालय की टंकी में उतरे मजदूर की मौत, बचाने गए तीन अन्य की हालत गंभीर

किशनगंज DM कार्यालय परिसर में बाल मजदूरी, कैमरे में कैद हुआ मामला

किशनगंज: तस्करों के चंगुल से लुधियाना से भागी महिला ने सुनाई आपबीती

मधेपुरा में महादलित महिलाओं के साथ लोन घोटाला : “जब लोन का ₹1 हम नहीं लिए तो हम क्यों चुकाएं?”

सुपौल: सऊदी अरब गए व्यक्ति की हत्या की आशंका को देखते परिजन ने शव बरामदगी की लगाई गुहार

“250 रुपये की दिहाड़ी से नहीं होता गुजारा”- दार्जिलिंग के चाय श्रमिक

“कार्ड मिला है तो धो धोकर पीजिये” – कई सालों से रोजगार न मिलने से मनरेगा कार्डधारी मज़दूर निराश

किशनगंज: बच्चों की तस्करी के खिलाफ चलाया गया जनजागरूकता अभियान

सूरत में मारे गये प्रवासी मजदूर का शव कटिहार पहुंचा

सरिता तामांग पिछले 20 वर्षों से दार्जिलिंग के मार्गरेट्स होप चाय बागान में काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में 5 लोग हैं और 232 रुपये प्रति दिन की मजदूरी से बहुत मुश्किल से घर चलता है। राशन पानी के अलावा बच्चों की पढ़ाई और दवाइयों का खर्च अलग से देखना होता है।


सरिता कहती हैं कि अस्थायी कामगारों को स्वास्थ सुविधाएँ भी नहीं मिलती हैं, ऐसे में मज़दूरी कम से कम 500 रुपए प्रत्येक दिन तो होनी ही चाहिए।

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में चाय बागान श्रमिक की न्यूनतम मज़दूरी 232 रुपए रोजाना रखी गई है। अप्रैल 2023 में पश्चिम बंगाल के अलीपुरदुआर जिले में तृणमूल कांग्रेस के नेता व सांसद अभिषेक बनर्जी ने राज्य के सभी चाय बागान श्रमिकों का दैनिक वेतन जुलाई महीने तक 232 रुपए से बढ़ा कर 250 रुपए करने का एलान किया था।

दैनिक मज़दूरी में 18 रुपए की बढ़ोतरी पर चाय बागान श्रमिक दिल कुमारी कुछ ख़ास खुश नहीं दिखीं। उन्होंने कहा कि उनके दो बच्चे हैं और वर्तमान में जो तनख्वाह है उससे बच्चों के स्कूल की फीस के पैसे पूरे नहीं हो पाते हैं इसलिए वेतन कम से कम 300 रुपए रोजाना होना चाहिए।

दिपमाया राय पिछले 24 वर्ष से इस चाय बागान में मज़दूरी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी करने वालों को 50 हज़ार से 60 हज़ार रुपए मासिक वेतन मिलता है। लेकिन चाय बागान मज़दूरों को रोज़ाना का 500 भी नहीं मिलता है। दीपमाया आगे कहती हैं कि हज़ारों पत्तियां तोड़ने के बाद हमें 232 रुपए मिलते हैं। अगर घर में कोई बीमार हो गया, तो उसमे भीं हमें किसी तरह की सहायता नहीं मिलती है।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

सुमित दिवान पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग ज़िले की ख़बरों पर नज़र रखते हैं।

Related News

पलायन का दर्द बयान करते वायरल गाना गाने वाले मज़दूर से मिलिए

“यहाँ हमारी कौन सुनेगा” दिल्ली में रह रहे सीमांचल के मज़दूरों का दर्द

चाय बागान मजदूरों का करोड़ों दबाए बैठे हैं मालिकान!

मोतिहारी ईंट-भट्ठा हादसा: “घर में छोटे छोटे पांच बच्चे हैं, हम तो जीते जी मर गए”

नौकरी के नाम पर म्यांमार में बंधक बनाए गए किशनगंज के दो युवक मुक्त

सीमांचल में क्यों बढ़ रही नाबालिग शादियां व तस्करी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

बिहार के इस गांव में कुत्तों का आतंक, दर्जनों घायल, लाठी ले घूम रहे बच्चे

बिहार भू-सर्वे के बीच कैथी में लिखे दस्तावेजों को लेकर लोग परेशान

किशनगंज में लो वोल्टेज की समस्या से बेहाल ग्रामीण, नहीं मिल रही राहत

अप्रोच पथ नहीं होने से तीन साल से बेकार पड़ा है कटिहार का यह पुल

पैन से आधार लिंक नहीं कराना पड़ा महंगा, आयकर विभाग ने बैंक खातों से काटे लाखों रुपये