सिलीगुड़ी : कलकत्ता हाई कोर्ट के हालिया आदेश से यूं तो पश्चिम बंगाल राज्य भर में एकबारगी ही 25,753 शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों की नौकरियां चली गई हैं लेकिन उन सब में दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी शहर की अनामिका राय का मामला औरों से एकदम अलग व खास है। अनामिका ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश से ही शिक्षक की नौकरी पाई थी और अब कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश से ही उनकी नौकरी अवैध हो गई है।
इससे पीड़ित अनामिका राय एकदम हताश हो उठी हैं। उनका कहना है कि, “राज्य में शिक्षकों की बहाली को लेकर बहुत से मुकदमे बहुत दिनों से अदालत में चल रहे थे। इस पर फैसला आएगा ही। यह मैं जानती थी। पर, मैं यह भी सोचती थी कि योग्य अभ्यर्थियों के लिए चिंता की कोई बात नहीं होगी। उन्हें कोई समस्या नहीं होगी। ऐसा ही कुछ फैसला आएगा। मगर, इस तरह का फैसला देख कर अब मैं यह सोचने को मजबूर हो गई हूं कि, न्याय व्यवस्था के प्रति मेरी जो आस्था थी वह क्या गलत थी? इस तरह के फैसले की कभी कल्पना भी नहीं की थी। इसमें योग्य अभ्यर्थियों के बारे में किसी तरह से नहीं सोचा गया। केवल अयोग्य अभ्यर्थियों को ध्यान में रख कर ही फैसला दिया गया। ऐसे में तो योग्य अभ्यर्थियों का फिर कोई महत्व ही नहीं रह गया। मैं हताश हो कर रह गई हूं। क्योंकि, इस फैसले से योग्य और अयोग्य में कोई अंतर नहीं रह गया। कौन योग्य, और कौन अयोग्य, यह कोर्ट प्रमाणित नहीं कर पाया। पूरे पैनल को ही रद्द कर दिया। अयोग्यों के चलते योग्यों को पहले भी बार-बार मुसीबतों में घिरना पड़ा है। आज का यह फैसला वास्तव में हताशापूर्ण है। इस फैसले को मैं किसी भी तरह मान नहीं पा रही हूं। बहुत खराब लग रहा है। कभी कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसा फैसला होगा।”
क्या है अनामिका राय का मामला?
सिलीगुड़ी की जुझारू युवती अनामिका राय ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ कर शिक्षिका की अपनी नौकरी पाई थी। कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर ही उन्होंने 21 सितंबर 2023 को सिलीगुड़ी शहर के निकट जलपाईगुड़ी जिले के राजगंज ब्लाक अंतर्गत फूलबाड़ी के हरिहर उच्च विद्यालय में राजनीति विज्ञान की शिक्षिका के रूप में पदभार ग्रहण किया था। उससे एक दिन पूर्व ही कोलकाता के साल्टलेक स्थित माध्यमिक शिक्षा परिषद के कार्यालय में उपस्थित होकर उन्होंने नियुक्ति पत्र प्राप्त किया था। अनामिका राय को वही नौकरी मिली थी जो पहले बबीता सरकार को मिली हुई थी। सिलीगुड़ी की ही बबीता सरकार ने भी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ कर ही पश्चिम बंगाल के तत्कालीन स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री परेश चंद्र अधिकारी की पुत्री अंकिता अधिकारी की जगह नौकरी पाई थी। उन्होंने कूचबिहार के मेखलीगंज के इंदिरा गर्ल्स हाई स्कूल में सह शिक्षक पद पर नियुक्त होकर जून 2022 में कार्यभार संभाला था। मगर, लगभग 10 महीने बाद ही कलकत्ता हाई काेर्ट ने बबीता को नियुक्ति देने के अपने आदेश को मई 2023 में पलटते हुए बबीता को नौकरी के अयोग्य करार दे दिया। बबीता सरकार को सहायक शिक्षक पद पर नियुक्ति देने और फिर 10 महीने बाद ही अयोग्य करार दिए जाने का, दोनों ही फैसला कलकत्ता हाई कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस अभिजीत गांगुली ने ही दिया था। इसके साथ ही उन्होंने बबीता को वह 15.9 लाख रुपये भी वापस करने का आदेश दिया था, जो राशि बबीता को जून 2022 में नौकरी मिलने के समय अंकिता अधिकारी से वापस ली गई राशि में से कुछ अंश मुआवजे के रूप में दी गई थी। तब, अंकिता ने अदालत में अर्जी की लगाई थी कि, उस राशि में से कुछ राशि खर्च हो गई है। क्योंकि, उसने एक सेकेंड-हैंड कार खरीद ली है। अभी वह 11 लाख रुपये ही लौटा सकती है। शेष राशि लौटाने के लिए उसे कम से कम तीन महीने की मोहलत दी जाए तो उसकी यह अर्जी स्वीकार कर ली गई थी।
कैसे बबीता सरकार को मिली नौकरी?
वर्ष 2016 में वेस्ट बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा राज्य स्तरीय चयन परीक्षा के तहत नौवीं, 10वीं, 11वीं व 12वीं के शिक्षकों के साथ ही साथ ग्रुप सी और ग्रुप डी कर्मचारियों की कुल मिला कर 25,753 नियुक्तियां की गई थीं। उसमें बबीता सरकार भी एक आवेदक थीं। आरोप लगा कि, शिक्षक भर्ती पैनल से रातों-रात बबीता सरकार का नाम हटा दिया गया। उसकी जगह अंकिता अधिकारी का नाम दर्ज कर दिया गया जो एक समय कूचबिहार के दबंग फारवर्ड ब्लाक नेता और फिर बाद में तृणमूल कांग्रेस नेता एवं पश्चिम बंगाल राज्य के स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री रहे परेश चंद्र अधिकारी की बेटी थीं। अंकिता ने 24 नवंबर, 2016 को कूचबिहार के ही मेखलीगंज के इंदिरा गर्ल्स हाई स्कूल में राजनीति विज्ञान की शिक्षिका के रूप में प्रवेश लिया। मगर, बबीता, जो पैनल में शीर्ष पर थीं, उन्हें नौकरी नहीं मिल पाई। इस कारण उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस अभिजीत गांगुली ने सीबीआई को अंकिता अधिकारी की नौकरी की जांच करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही उसके पिता तथा राज्य के स्कूल शिक्षा राज्मंत्री परेश चंद्र अधिकारी को भी तलब किया था। बबीता का आरोप था कि, नवंबर 2016 में एसएससी परीक्षा की दूसरी मेरिट लिस्ट में अंकिता का नाम टॉप पर आया जो कि पहली मेरिट लिस्ट में उस क्रम में नहीं था कि दूसरी मेरिट लिस्ट में टॉप पर आ जाए। मगर, अवैध रूप से दूसरी लिस्ट में उसका नाम सबसे ऊपर कर दिया गया। मेधा सूची में 20वें नंबर पर जो अभ्यर्थी थी, उससे भी 16 नंबर कम अंकिता के थे। उसका प्राप्त नंबर 61 था जबकि 20वें नंबर की अभ्यर्थी बबीता का नंबर 77 था। सो, अवैध तरीके से अंकिता का नाम मेरिट लिस्ट में आने से बबीता सरकार नौकरी नहीं पा सकी। एक, दो नहीं बल्कि चार साल की लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने अंकिता अधिकारी की नियुक्ति को अवैध करार दे दिया। उसकी जगह बबीता सरकार को नियुक्ति देने का निर्देश दिया। वह बाद में उसी मेखलीगंज स्थित इंदिरा गर्ल्स हाई स्कूल में राजनीति विज्ञान की सहायक शिक्षक नियुक्त हुईं जहां अंकिता अधिकारी भी समान विषय की शिक्षक नियुक्त हुई थीं। इसके साथ ही अंकिता से वापस ली गई वेतन की तमाम राशि में से बबीता को मुआवजे के बतौर 15.9 लाख रुपये भी दिए गए।
कैसे बबीता सरकार की नौकरी चली गई?
बबीता सरकार को शिक्षक नियुक्त करने का जून 2022 में दिया गया अपना फैसला 10 महीने बाद ही मई 2023 में पलटते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गांगुली ने उसे नौकरी के अयोग्य करार दे दिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बीबीता को मिली नौकरी को सिलीगुड़ी की ही एक अन्य आवेदक अभ्यर्थी अनामिका राय ने चुनौती दे दी थी। बबीता की योग्यता में भी अंकों के जोड़ में हेर-फेर को पकड़ते हुए अनामिका राय ने अपना दावा पेश किया था। बबीता मेधा सूची में 20वें नंबर पर थी जबकि अनामिका 21वें नंबर थी। हालांकि, अनामिका राय को बबीता सरकार से दो अंक अधिक मिले थे। अनामिका का दावा था कि बबीता के एकेडमिक स्कोर की गणना गलत तरीके से 33 की गई जो कि वास्तविक में 31 ही होगी। उन्होंने कहा कि, यदि बीबता सरकार के वास्तविक एकेडमिक स्कोर 31 को लिया जाता तो फिर उनकी जगह मेरिट लिस्ट में अनामिका का ही नाम आता। बबीता के एकेडमिक स्कोर की गणना गलत की गई। स्नातक स्तर पर उसके वास्तविक 55 प्रतिशत अंक की गणना 60 प्रतिशत के रूप में की गई। इसीलिए मेरिट लिस्ट में बबीता 20वें नंबर पर चली गई जबकि अनामिका उससे दो अंक अधिक होने के बावजूद 21वें स्थान पर रही। यह सब अनामिका को तब पता चला जब मेधा सूची सार्वजनिक हुई और मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी नजरों में आई। उनके तर्क को अदालत ने भी माना। यहां तक कि बबीता ने भी माना लेकिन बबीता ने कहा कि इसमें गलती उसकी नहीं बल्कि स्कूल सर्विस कमीशन की है। खैर, अदालत ने बबीता की नौकरी रद्द कर दी और वह नौकरी अनामिका के नाम कर दी।
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अब एकबारगी ही सारी नौकरी अवैध करार
वर्ष 2016 में वेस्ट बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा राज्य स्तरीय चयन परीक्षा के तहत की गई नौवीं, 10वीं, 11वीं व 12वीं के शिक्षकों के साथ ही साथ ग्रुप सी और ग्रुप डी कर्मचारियों की कुल मिला कर 25,753 नियुक्तियों को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में विचाराधीन अनेक मामलों के आलोक में अब अदालत ने एकबारगी ही सारी की सारी नौकरी को ही अवैध करार दे दिया है। इसके साथ ही यह आदेश भी दिया है कि स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) के पैनल की समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद भी जिन्हें नौकरी मिली उन्हें अगले चार सप्ताह के अंदर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से अब तक के अपने वेतन की पूरी राशि लौटानी होगी। कलकत्ता हाई कोर्ट के गत 22 अप्रैल 2024 के इस आदेश से राज्य भर में कोहराम मच गया है। वहीं, लोकसभा चुनाव-2024 के बीच में ही आए इस तरह के आदेश ने राजनीति भी गरमा दी है। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले को गैर-कानूनी फैसला करार देते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
ममता बनर्जी ने जताया रोष, देंगी चुनौती
इस आदेश वाले दिन ही रायगंज लोकसभा क्षेत्र में विशाल चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि, “यह आदेश गैर-कानूनी है इसीलिए चैलेंज करके कहती हूं, आदेश को, मैं जज को नहीं कह रही हूं। आदेश को कह रही हूं, गैर-कानूनी आदेश। हम लोग इसे लेकर सर्वोच्च अदालत जा रहे हैं। चिंता नहीं करें, शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं। जब मुसीबत में पड़ेंगे, और कोई न रहे, मैं हूं।” उन्होंने यह भी कहा, “यहां (पश्चिम बंगाल में) भाजपा का “विचारालय” (न्यायालय) चल रहा है। अन्य कोई पीआईएल करे तो उसे जेल और भाजपा करे तो उसे बेल मिलता है। यह जजों का दोष नहीं है। यह केंद्र सरकार का दोष है, जो बीजेपी के लोग देख-देख कर यहां बैठाई है ताकि बीजेपी पार्टी आफिस से जो बोले वह ड्राफ्ट वे लोग कर दें। क्या करेंगे? मुझे सजा देंगे?, डिफेमेशन (मानहानि मुकदमा) करेंगे? मैं तैयार हूं। जेल में भेजेंगे? मैं तैयार हूं।”
वहीं, कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गांगुली का नाम लिए बिना ममता बनर्जी ने यह भी कहा, “एक व्यक्ति को देखे नहीं, बीजेपी का होकर वोट में खड़ा हो गया। उसी का फैसला था यह।” इसके साथ ही पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का नाम लिए बगैर ममता बनर्जी ने कहा था कि, “परसों दिन क्या कहा एक गद्दार, मैं घृणा करती हूं उसका नाम बाेलने में। इसीलिए उसे कहती हूं गद्दार। बोला, बम फोड़ेगा। क्या बम? आज बोला 26 हजार युवक-यवुतियों की नौकरी खा ली। मैं कहती हूं इतना सहज नहीं है। हां, कोर्ट ने एक फैसला दिया है, दे सकता है। सब फैसला जो मुझे मानना होगा, उसका तो कोई मतलब नहीं है। फैसले के विरुद्ध अपील के लिए सर्वोच्च अदालत है। सर्वोच्च अदालत ने एक वक्त इस फैसले को सेट असाइड कर दिया था। सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि, नए सिरे होगा। यह सब तो अभिजीत गांगुली का फैसला है। आप लोग जानते हैं, वह कौआ सब कौआ ही होता है। कौवे का कांव-कांव गला कभी बदलता नहीं है। इस फैसले के खिलाफ हम लोग सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। छात्र-छात्राओं का होकर। शिक्षार्थियों का होकर।”
याद रहे कि शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में 22 अप्रैल को प्रतीक्षित कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के आने से एक दिन पूर्व भाजपा नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि, कल (सोमवार 22 अप्रैल को) बम विस्फोट होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हर एक गुनाहगार के गुनाह का हिसाब होगा और सजा मिलेगी। वहीं, यह भी याद रहे कि, बंगाल के इस शिक्षक भर्ती घोटाले में अनेक मामलों की सुनवाई कर अवैध रूप से नौकरी पाने वाले शिक्षकों की नौकरी रद करने के एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले दे कर सुर्खियों में आए कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गांगुली ने अपनी अवाकश प्राप्ति से पहले ही अपने पद से इस्तीफा देकर हाल ही में भाजपा का दामन थामा है। अब वह इस लोकसभा चुनाव में तमलुक लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार हैं। राज्य के शिक्षक भर्ती घोटाला और इस बाबत आए अदालती आदेश और इसी बीच जारी लोकसभा चुनाव, इन सब को लेकर राजनीति ने भी है अलग ही रूप ले लिया है।
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