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“ना रोड है ना पुल, वोट देकर क्या करेंगे?” किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के अमौर में क्यों हुआ वोटिंग का बहिष्कार?

वोटिंग के बहिष्कार की सूचना पर शुरू में अमौर के प्रखंड विकास पदाधिकारी के साथ पूर्णिया नगर आयुक्त मतदान केंद्रों पर पहुंचे। अधिकारियों ने लोगों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन लोग टस से मस नहीं हुए।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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adhang panchayat unpaved road

लोकसभा चुनाव-2024 के दूसरे चरण में बिहार के किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के अमौर विधानसभा स्थित अधांग पंचायत के 8 मतदान केंद्रों पर वोटिंग का बहिष्कार हुआ। यहां के लोगों ने सड़क समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर वोटिंग का विरोध किया।


वोटिंग के बहिष्कार की सूचना पर शुरू में अमौर के प्रखंड विकास पदाधिकारी के साथ पूर्णिया नगर आयुक्त मतदान केंद्रों पर पहुंचे। अधिकारियों ने लोगों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन लोग टस से मस नहीं हुए।

बाद में मतदान केंद्रों पर वोटिंग कराने के लिए पूर्णिया के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी कुंदन कुमार और पुलिस अधीक्षक उपेंद्र नाथ वर्मा पहुंचे। दोनों वरीय अधिकारियों ने लोगों का समझाने का प्रयास किया, लेकिन, लोगों पर इसका कुछ फर्क नहीं पड़ा।


बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने भी प्रेस रिलीज़ जारी कर किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के आठ मतदान कंद्रों पर वोटिंग बहिष्कार की पुष्टि की है।

प्रेस रिलीज़ में बताया गया है कि किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के अमौर विधानसभा में मतदान केंद्र संख्या 48, 49, 52, 53, 54, 55, 109 तथा 110 पर वोटिंग का बहिष्कार हुआ है।

उल्लेखनीय है कि दूसरे चरण में शुक्रवार (26 अप्रैल) को बिहार के पांच लोकसभा क्षेत्र किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका में वोटिंग हुई। चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक़, कटिहार में 64.6%, किशनगंज में 64%, पूर्णिया में 59.94%, भागलपुर में 51% और बांका में 54% वोटिंग हुई।

रहरिया-केमा सड़क है प्रमुख मुद्दा

यूं तो आज़ादी के सात दशक बाद भी अधांग पंचायत बुनियादी सुविधाओं से वंचित है, लेकिन ग्रामीणों द्वारा वोटिंग बहिष्कार करने की सबसे बड़ी वजह रहरिया-केमा सड़क का ना बनना है। यह सड़क यहां के लोगों के लिये लाइफलाइन है।

अधांग के लोगों को रोज़मर्रा की ज़रूरतों का सामान ख़रीदने झौवारी हाट आना हो, प्रखंड मुख्यालय अमौर जाना हो या फिर पूर्णिया जिला मुख्यालय जाना हो, सभी जगह जाने के लिये उनको इस सड़क से होकर गुज़रना पड़ता है।

रोड नहीं बनने की वजह से अधांग पंचायत के कोहबरा, मनवारे, बकरा, अधांग, बलवा, रहरिया, केमा समेत कई गांव के लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। इस सड़क से गुज़रने में उनको हर दिन जद्दोजहद करना पड़ता है।

स्थानीय ग्रामीण मो. एहतशाम ने बताया कि वे लोग कई बार जनप्रतिनिधियों को इस ओर ध्यान देने की मांग कर चुके हैं, लेकिन उनपर कोई असर नहीं हो रहा है।

“हमलोगों के लिये सड़क नहीं है। एक-दो महीने बाद (बारिश में) सबकुछ बंद होने वाला है। जैसे ही बारिश गिरा सब गाड़ी बंद। बस थोड़ा बहुत मोटरसाइकिल से नाव पर इधर उधर चल सकते हैं। वरना पूरी तरह से रास्ता बंद हो जाता है,” उन्होंने कहा।

“जनप्रतिनिधि बेख़बर”

इलाक़े में रह रहे लोगों ने बताया कि वे जनप्रतिनिधियों को कई बार इस सड़क को बनाने के लिये कह चुके हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।

बकरा गांव के जावेद आलम ने बताया कि रहरिया-केमा सड़क ना होने से यहां के लोग हर दिन चुनौती का सामना करते हैं और ऐसा लगता है कि नेताओं को यहां के लोगों से कोई मतलब ही नहीं है।

“सड़क नहीं होने से 11-12 हज़ार लोगों की आबादी प्रभावित होती है। सैलाब के दिनों में यहां से निकलने का कोई उपाय नहीं है, बिना नाव के। अगर किसी पेशेंट को पूर्णिया ले जाने की नौबत आ जाती है तो हमको नहीं लगता है कि वह समय पर पूर्णिया पहुंच पायेगा,” उन्होंने कहा।

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जावेद ने आगे कहा, “पेशेंट रास्ते में ही दम तोड़ देगा। चाहे वह डिलीवरी पेशेंट हो, हार्ट अटैक हो या किसी तरह का पेशेंट हो। अचानक अगर कुछ हो जाये तो यह संभव ही नहीं है कि वह समय पर पहुंच कर उचित जगह अपना इलाज करा सकेगा।”

फरवरी में किया था बहिष्कार का ऐलान

24 फरवरी को अमौर की अधांग, झौवारी, तियरपारा और पोठिया गंगेली पंचायत के ग्रामीणों ने रहरिया-केमा सड़क को लेकर प्रदर्शन किया था। विरोध प्रदर्शन में ही लोगों ने ऐलान कर दिया था कि अगर यह सड़क नहीं बनी तो वे लोकसभा चुनाव-2024 में वोटिंग का बहिष्कार करेंगे।

लोगों की नाराज़गी इस बात को लेकर थी कि दो महीने पहले ही ऐलान करने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने इसको लेकर कोई खोज-ख़बर नहीं ली।

स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रशासन को लगा था कि लोग वोटिंग का बहिष्कार नहीं करेंगे। लोगों ने कहा कि वे नहीं चाहते थे कि वोटिंग का बहिष्कार करें, लेकिन उनके पास कोई और विकल्प नहीं था।

“हमारे यहां लोग रिश्ता नहीं करते हैं”

यहां के लोगों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि सड़क ना होने की वजह से इलाक़े के लोग अधांग पंचायत में बेटे-बेटियों की शादी नहीं कराते हैं। उन्होंने बताया कि लोग कहते हैं कि अधांग जाने के लिये सड़क नहीं है, इसलिये वे अपने बच्चों की शादी वहां नहीं करायेंगे।

मो. एहतशाम ने बताया कि सड़क ख़राब रहने से उनलोगों के यहां रिश्तेदार भी नहीं आना चाहते हैं, जिससे हमें शर्मिंदगी महसूस होती है।

“हमलोगों के लिये दूसरे गांव में रिश्ता जोड़ना भी मुश्किल हो जाता है। बड़ी मुश्किल से हमलोग रिश्ता करते हैं। हमलोगों को प्रशासन से कोई दिक़्क़त नहीं है, लेकिन हमारे लिये रास्ता बेहद ज़रूरी है। इसलिये हमलोगों ने वोट का विरोध किया,” उन्होंने कहा।

वार्ड सदस्य जावेद अख़्तर कहते हैं कि गांव में कई ऐसी लड़किया हैं, जो शादी के लायक़ हैं, लेकिन रास्ता नहीं होने की वजह से उनकी शादी नहीं हो रही है, क्योंकि दूसरे गांव के लोग यहां रिश्ता करना ही नहीं चाहते हैं।

दो घाट पर है पुल की मांग

अधांग पंचायत से गुज़र रही परमान नदी में बलवा घाट और बकरा घाट पर पुल की मांग भी यहां के लोग बहुत पहले से कर रहे हैं, लेकिन, अब तक वहां पर पुल नहीं बना है। नदी पार करने के लिये नाव ही एकमात्र सहारा है।

नाव पर नदी पार करने के लिये लोगों को घंटों इंतज़ार करना पड़ता है। अगर रात के समय नदी पार करने की ज़रूरत पड़ जाती है, तो नाव से भी नदी पार करना संभव नहीं है।

मनवारे-अब्बास चौक सड़क भी है मुद्दा

अधांग पंचायत के मनवारे से अब्बास चौक तक जानेवाली सड़क ख़स्ताहाल है। लोग जान जोखिम में डालकर सड़क पर चलते हैं। सड़क पर गड्ढे बन गये हैं, जिसमें बारिश का पानी लग जाता है। वोटिंग बहिष्कार करने की पीछे यह भी एक बड़ी वजह थी।

पहली बारिश के बाद इस सड़क पर चलना ख़तरे को दावत देने जैसा है। लेकिन, कोई और विकल्प ना रहने की वजह से लोग इस सड़क पर चलने को विवश हैं। इसी सड़क से होकर यहां के लोग खाता हाट जाते हैं और अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों का सामान ख़रीदते हैं।

विधानसभा चुनाव का भी होगा बहिष्कार

लोगों ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि वे लोग आगामी बिहार विधानसभा चुनाव-2025 में भी चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

लोगों ने कहा कि जब तक रहरिया-केमा सड़क, अधांग-गेरिया सड़क, मनवारे-अब्बास चौक सड़क और दोनों घाट पर पुल नहीं बन जाता है, तब तक वे लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

वार्ड सदस्य जावेद अख़्तर ने बताया कि वोटिंग करने के बाद भी जब उनके पंचायत में विकास नहीं होता है, तो फिर वोट गिराने का कोई फायदा नहीं है।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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