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आज़ादी के सात दशक बाद भी नहीं बनी अमौर की रहरिया-केमा सड़क, लोग चुनाव का करेंगे बहिष्कार

बार-बार शिकायत के बाद भी जब जनप्रतिनिधियों ने इस सड़क पर तवज्जो नहीं दी तो तंग आकर लोगों ने शनिवार को सड़क को लेकर जमकर प्रदर्शन किया और मार्च भी निकाला। लोगों ने जनप्रतिनिधियों और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
raharia kema road of amour not built even after seven decades of independence

देश की आज़ादी के सात दशक गुजरने के बाद भी बिहार के किशनगंज लोकसभा क्षेत्र स्थित अमौर विधानसभा की रहरिया-केमा सड़क नहीं बनी। इलाके में रहने वाले लोगों के लिये इस सड़क से गुजरना एक चुनौती है। लेकिन, लोगों के पास कोई और विकल्प ना होने की वजह से लोग इस सड़क से गुजरने को मजबूर हैं।


रहरिया गांव के मो. मासूम जो कि शारीरिक रूप से विकलांग हैं अपने तिपहिया वाहन से हर रोज़ रोज़मर्रा की जरूरतों का सामान ख़रीदने के लिये इस सड़क से झौवारी हाट आते हैं।

इस रास्ते से गुज़रना उनके लिये किसी खतरे से कम नहीं है। उनको हर रोज़ नज़दीकी बाज़ार पहुंचने के लिये लंबी जद्दोजहद करनी पड़ती है। मासूम अकेले नहीं हैं जो इस परेशानी का सामना करते हैं। इलाके में रहने वाली क़रीब 30 हज़ार की आबादी इस सड़क के नहीं बनने से परेशानी झेलती है।


स्थानीय लोग जनप्रतिनिधियों से शिकायत करते-करते थक गये, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

चार पंचायतों को जोड़ती है रहरिया-केमा सड़क

रहरिया-केमा सड़क अमौर की चार पंचायतों को जोड़ती है। अधांग, तियरपाड़ा, झौवारी और पोठिया गंगेली के लोग हर दिन इस सड़क से गुजरते हैं। यूं तो इस सड़क की लंबाई तक़रीबन एक किलोमीटर है, लेकिन इस सड़क पर मोटरसाइकिल से गुज़रने में लोगों को आधा घंटा लग जाता है। वो भी तब जब बारिश का मौसम ना हो। पहली बारिश के बाद इस सड़क से गुज़रना किसी खतरे को दावत देने जैसा है।

इस रास्ते से होकर पश्चिम जानिब कुछ किलोमीटर चलने के बाद पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का कस्बा विधानसभा शुरू हो जाता है और उत्तर दिशा में जाने से अररिया लोकसभा का जोकीहाट विधानसभा शुरू हो जाता है। इस सड़क से होकर सैकड़ों छात्र हर रोज झौवारी प्लस टू स्कूल आते हैं।

सबसे ज्यादा दिक्कत सैलाब के वक्त होती है। अगर सैलाब के वक्त कोई बीमार पड़ गया और उसको हास्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ गई तो वह रास्ते में ही दम तोड़ देता है। स्थानीय युवा नेहाल उद्दीन ने बताया कि जनप्रतिनिधि चुनाव के वक्त वादे तो खूब करते हैं, लेकिन जीत जाने के बाद दोबारा इलाके के लोगों का हाल नहीं पूछते हैं।

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“अधांग और तियरपाड़ा पंचायत के लोगों के लिये अमौर प्रखंड मुख्यालय जाने का यह मुख्य रास्ता है। दूसरा रास्ता है, लेकिन वो रास्ता भी वैसा ही है जैसी यह सड़क है। अधांग पंचायत के लोगों के लिये चारों तरफ से रास्ता बंद है। खासकर सैलाब में बहुत दिक्कत हो जाती है। बच्चों को पैदल ही स्कूल आना पड़ता है। ज्यादा पानी हो जाने पर नाव ही आने-जाने का एकमात्र सहारा है,” उन्होंने कहा।

नेहाल उद्दीन ने आगे बताया, “बरसात के मौसम में आने-जाने में ज्यादा दिक्कत होती है। प्रॉब्लम तब बढ़ जाती है जब कोई गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिये अस्पताल ले जाना पड़ता है। इस रास्ते पर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है… विधायक-सांसद इस मसले पर आते हैं, बात करते हैं, वादा करते हैं, वादा करके भूल जाते हैं। यहां के जो उनके (विधायक-सांसद) लोग हैं वो भी सिर्फ वादा करते हैं, लेकिन काम होता नहीं है।”

सड़क को लेकर लोगों का प्रदर्शन

बार-बार शिकायत के बाद भी जब जनप्रतिनिधियों ने इस सड़क पर तवज्जो नहीं दी तो तंग आकर लोगों ने शनिवार को सड़क को लेकर जमकर प्रदर्शन किया और मार्च भी निकाला। लोगों ने जनप्रतिनिधियों और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की।

सड़क की बदहाली को लेकर मो. मासूम नेताओं के नामों की लंबी सूची गिनाते हुए बताते हैं कि किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस सड़क पर ध्यान नहीं दिया और सिर्फ आश्वासन देकर लोगों को ठगा है।

“जब तस्लीमुद्दीन एमपी हुआ करते थे, तब से इस सड़क को लेकर धरना चल रहा है। लेकिन, कोई नहीं सुन रहा है। तस्लीम एमपी भी जीत कर चला गया और सो गया जाकर। दो टर्म रहे तस्लीमुद्दीन लेकिन नहीं बनाया सड़क। उसके बाद हाजी मुजफ्फर आए, वह भी नहीं बनाये सड़क। उनके बाद उनका बेटा सबा जफर (अमौर का विधायक) बना, लेकिन वह भी रोड नहीं बनाया,” उन्होंने कहा।

मासूम ने आगे बताया, “सबा जफर के बाद जलील मस्तान आया वह भी करीब 25 साल एमएलए रहा, लेकिन वह उलट कर भी नहीं देखा इस सड़क को। हमलोग इतनी परेशानी से चलते-फिरते हैं। इस बार अख्तरूल ईमान को बनाये। हमलोग सोचे थे कि वह इस सड़क को बनायेगा, लेकिन वह भी जाकर सो गया।”

स्थानीय महिला निरया देवी बताती हैं कि सड़क ना रहने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और बारिश होने पर बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। उन्होंने बताया कि सैलाब के वक्त वे लोग आंगन और घरों में कैद हो जाते हैं और अगर ऐसे में किसी गर्भवती महिला की डिलीवरी की नौबत आ गई तो अमौर प्रखंड मुख्यालय स्थित स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिये नाव ही एकमात्र सहारा है।

वहीं, अधांग पंचायत के पूर्व मुखिया कैसर ने बताया कि सड़क ना रहने की वजह से छह महीने के लिये आना जाना बिल्कूल बंद हो जाता है।

लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे लोग

सड़क नहीं बनने की वजह से लोग बहुत परेशान हैं और लोकसभा चुनाव में इन चार पंचायतों के लोगों ने वोटिंग का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। लोगों का कहना है कि जब तक सड़क नहीं बनेगी, तब तक वे लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे। रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ लोगों ने प्रदर्शन भी किया।

विरोध प्रदर्शन में शामिल कोहबरा गांव के सद्दाम बताते हैं कि इस सड़क के बनने के इंतजार में आजादी से लेकर अब तक उनकी तीन पीढ़ी खत्म हो गई, लेकिन सड़क अब तक नहीं बनी है, इसलिये उन लोगों ने वोटिंग का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। सद्दाम ने बताया कि जब जनप्रतिनिधि को लोगों की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है तो वे लोग भी वोट डालकर किसी को नहीं जितायेंगे।

“जब तक यह रोड नहीं बनेगा, हम लोग वोट नहीं देंगे, चाहे लोकसभा चुनाव हो या आगामी विधानसभा चुनाव। हम 4 पंचायत के लोग वोट का बहिष्कार करेंगे। हमारा बहिष्कार करने का मकसद है कि रोड जल्द से जल्द बने। रोड नहीं बनेगा तो वोट नहीं देंगे हमलोग,” उन्होंने कहा।

सद्दाम ने आगे बताया, “नेता लोग इसी वादे के साथ यहां आते हैं कि आप हमको वोट दीजिये, तीन-चार महीने में हम रोड बनायेंगे। चुनाव के वक्त नेता लोगों से रो-रो कर वोट ले लेता है और वादा करता है कि हम विकास करेंगे। लेकिन सबका वादा झूठा होता है, चाहे कांग्रेस का एमएलए हो, अख्तरूल ईमान हो या फिर बीजेपी का एमएलए हो, चाहे आरजेडी का हो या चाहे नीतीश कुमार का। सब फ्रॉडबाज़ी करके गया।”

झौवारी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मो. शाकिर ने बताया कि लोग जनप्रतिनिधियों के वादे से तंग आ चुके हैं, इसलिये उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।

विधायक ने कहा- जल्द शुरू होगा काम

अमौर के विधायक अख्तरूल ईमान ने रहरिया-केमा सड़क के संबंध में वीडियो जारी कर बताया कि इस सड़क को लेकर दो साल पहले ही डीपीआर भेजा गया था, चूंकि सड़क के साथ-साथ एक धार बहती है इसलिये तीन करोड़ से अधिक राशि का एस्टिमेट बनाया गया।

उन्होंने बताया कि इसको लेकर कई चरणों में इन्क्वारी हुई, और फाइनली 2 करोड़ तीस लाख की लागत से उस सड़क का निर्माण होना है। उन्होंने बताया कि जल्द ही रहरिया-केमा सड़क का निर्माण कार्य शुरू होगा। जारी किये गये वीडियो में विधायक अख्तरूल ईमान ने झौवारी और अधांग पंचायत में अपने द्वारा कराये जा रहे कामों की लंबी सूची गिनाई।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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