पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग ने आगामी 3 मार्च को होने वाली 7वीं राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एटी) के लिए एडमिट कार्ड जारी कर दिया है। सोमवार 26 फरवरी को सेवा आयोग ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट (wbmsc.com) पर कक्षा 9 से 10 और 11 से 12 की चयन परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जारी किया। एडमिट कार्ड जारी करने के कुछ देर बाद वेबसाइट पर अस्वीकृत आवेदन पत्रों की सूची निकाली गई। इस सूची में कुल 12,544 आवेदकों के नाम हैं।
सूची में आवेदन रद्द करने के तीन कारण दिए गए हैं। कुछ आवेदकों की शिक्षा का माध्यम और आवेदन पत्र में आवश्यक भाषा अलग अलग रहने पर उन्हें एडमिट कार्ड जारी नहीं किया गया जबकि एक से अधिक बार आवेदन भरने वालों को भी राज्य स्तरीय चयन परीक्षा देने की अनुमति नहीं मिली। तीसरा कारण था स्नातक डिग्री में प्राप्त किये गये कुल अंक को आवेदन पत्र में न देना। इस कारण जिन लोगों के आवेदन पत्र रद्द किये गए हैं वे पश्चिम बंगाल सरकार और मदरसा सेवा आयोग से नाराज़ हैं और इसे आवेदकों के साथ नाइंसाफ़ी बता रहे हैं।
जिन लोगों का आवेदन रद्द किया गया है उनमें सईद अनवर राही भी शामिल हैं। सईद पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिला अंतर्गत ग्वाल पोखर 2 प्रखंड के हटवार के रहने वाले हैं। उन्होंने पिछले वर्ष मई में पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग द्वारा कराई जाने वाली 7वीं मुख्य राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एटी) में बैठने के लिए आवेदन पत्र भरा था। उर्दू माध्यम से गणित शिक्षक के लिए उन्होंने आवेदन किया था लेकिन आवेदन पत्र में स्नातक का कुल अंक नहीं देने की वजह से उनके एप्लीकेशन फॉर्म को अस्वीकृत कर दिया गया।
सईद अनवर ने उर्दू माध्यम से गणित में स्नातक किया है और उन्होंने गणित शिक्षक के लिए आवेदन भरा था। उन्होंने अपने आवेदन पत्र में स्नातक परीक्षा का कुल अंक न देकर केवल गणित ऑनर्स का अंक दिया था जिस कारण उनके आवेदन को रद्द कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि मदरसा शिक्षकों की बहाली के लिए पिछले वर्ष फॉर्म निकाले गए थे जिसमें हज़ारों लोगों ने आवेदन दिया था। गणित शिक्षकों के लिए 106 की बहाली होनी है जिनमें उर्दू माध्यम वालों के लिए 6 से 8 सीटें हैं।
फॉर्म एडिट करने का अवसर देने की मांग
वह कहते हैं, “हमारे आवेदन को सीधे अस्वीकृत नहीं करना था। हमें एडिट करने का विकल्प देना था, गलती को सुधार करने का मौका देना था। 3 मार्च को परीक्षा है, तयारी कर के बैठे हुए हैं और अब लग रहा है कि परीक्षा ही नहीं दे पाएंगे। हमने 2023 के मई महीने में फॉर्म भरा था इतने महीने बाद हमको अब पता चला कि हमारे एप्लिकेशन में ग़लती हो गई है।”
सईद ने आगे कहा कि एक से अधिक बार फॉर्म जमा करने या आवेदक की शिक्षा का माध्यम और आवेदन पत्र में आवश्यक भाषा के मेल न खाने के कारण फॉर्म रद्द करना समझ में आता है लेकिन फॉर्म में स्नातक का समस्त अंक न देने को आधार बनाकर ऍप्लिकेशन रद्द कर देना गलत है। उनका कहना है कि परीक्षा के कुछ दिन पहले इस सूची को निकाल कर मदरसा सेवा आयोग ने उन जैसे सैंकड़ों जवानों के साथ अन्याय किया है।
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“परीक्षा से 20 दिन पहले बोला जाता कि ऐसा मापदंड है, जिनका सही है वो अपना डॉक्यूमेंट अपलोड करे। अभी तीन-चार दिन बचा है, परिवार को आशा रहती है। हमलोग तैयारी किए हैं अब परीक्षा में न बैठ पाएं तो मनोबल ख़राब हो जाता है। यह तो बहुत छोटी सी गलती थी, आप बाद में भी टोटल अंक के कागज़ात ले सकते हैं। एक से अधिक आवेदन हो या माध्यम मैच नहीं कर रहा है, यह समझ में आता है लेकिन यह टोटल मार्क्स वाला समझ में नहीं आया,” सईद अनवर ने कहा।
“आवेदन पत्र में सुधार का मौका दे सरकार”
फॉर्म में स्नातक का कुल अंक न बताने के कारण ग्लालपोखर प्रखंड स्थित मनोरा के रहने वाले मुस्तफा आलम का आवेदन भी अस्वीकृत कर दिया गया। उन्होंने कहा कि फॉर्म भरते समय ऑनर्स का अंक मांगा गया था या स्नातक का कुल अंक, यह स्पष्ट नहीं था, अगर उन्हें पता होता तो वह स्नातक का कुल अंक डाल देते। मुस्तफा की मानें तो उनके जानने वालों में 20 से 25 आवेदकों का कुल अंक न भरने पर आवेदन रद्द किया गया है।
मुस्तफा आलम ने कहा, “हम ऑनर्स वाला 800 अंक दिए थे। अगर पूरा अंक देना होता तो हम 1500 देते। हम लोग को इतना पता नहीं था कि ऑनर्स मांग रहा है या कुल अंक, यह सब तो माइनर चीज है। अब लगता है परीक्षा नहीं दे पाएंगे। हमारी मांग यही है कि हमें फॉर्म में सही करने का मौका दिया जाए। यह तरीका गलत है। पहले आप (सूची) निकाल देते और सुधार का मौका देते, तो हम लोग कर देते। जो हेल्पलाइन नंबर दिया है वो भी स्विच ऑफ आ रहा है।”
सुहिया गांव निवासी मोहम्मद आसिम ने कहा कि 26 फरवरी की रात जब उन्हें पता चला कि उनका आवेदन भी रद्द हो गया है तो उन्होंने मदरसा सेवा आयोग को कई ईमेल भेजे लेकिन कोई जवाब नहीं आया। दिए गए हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया पर नहीं लगा।
“हमें परीक्षा में बैठने दिया जाए। लिंक दे दे तो हम उसमें सुधार कर लेंगे। यह माइनर सा है, यह बहुत बड़ी गलती नहीं है। अगर कोई कागज़ जमा नहीं किया या नाम गलत लिख दिया तो एक बात हुई लेकिन कुल अंक न देना छोटी गलती है, जब कोई बच्चा चुन कर जाएगा तो आप उसके असली कागज़ात तो देखोगे ही न। हमलोगों का अपना अपना विषय होता है, किसी का भूगोल था किसी का उर्दू था, ऑनर्स वाला जैसे देता है तो सब वैसे ही (फॉर्म में) अंक बैठा दिया था।”
“हमारा कोई जनप्रतिनिधि नहीं, जो हमारी बात पहुंचाए”
आसिम ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने ऐसे समय में अस्वीकृत आवेदकों की सूची निकाली है कि चाह कर भी ज्यादा कुछ नहीं हो सकता। स्थानीय नेता या कोई जनप्रतिनिधि नहीं है जिसके माध्यम से सरकार तक बात पहुंचाई जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि सेवा आयोग ने हर फॉर्म के लिए 500 रुपये लिए थे। अब इतने अधिक लोगों के आवेदन पत्र को अस्वीकृत कर के सेवा आयोग ने पैसे तो कमा ही लिए हैं।
“हमलोग पहली बार भरे थे फॉर्म। वैकेंसी आता कहां है, इतनी मुश्किल से इस बार निकला था तो हमलोग भरे थे। अगली बार कब होगा, मालूम नहीं। 12 हज़ार से अधिक आवेदकों का (अस्वीकृत आवेदक) सूची में नाम आया है। आप 12 हज़ार को 500 से गुना कर दीजिए। एक फॉर्म का 500 लिया था, 6 लाख रुपये से ज्यादा हो गया। अब समय भी नहीं बचा है, हम अपनी बात कैसे पहुंचाएंगे। हमारे यहां कोई ऐसा स्थानीय नेता भी नहीं है जो हमारी बात पहुंचाए,” मोहम्मद आसिम बोले।
मदरसा सेवा आयोग का हेल्पलाइन नंबर मिला बंद
पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग की वेबसाइट पर दो हेल्पलाइन नंबर दिए गए हैं। हमने जिन आवेदकों से बात की उन सब ने कहा कि दोनों नंबर पहुंच से बाहर हैं। एक नंबर बंद बता रहा है जबकि दूसरा नंबर या तो पहुंच से बाहर होता है या व्यस्त बताता है। ‘मैं मीडिया’ ने दोनों हेल्पलाइन नंबर पर कई बार कॉल किया लेकिन एक नंबर बंद मिला जबकि दूसरा नंबर लगातार व्यस्त मिला।
बता दें कि रविवार 3 मार्च को दो पालियों में पश्चिम बंगाल राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एटी) का आयोजन किया जाना है। पहले पाली की परीक्षा सुबह 10.30 बजे से दोपहर 12 बजे तक चलेगी जबकि दूसरी पाली की परीक्षा का समय दोपहर 2.30 बजे से शाम 4 बजे तक रखा गया है।
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