Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

शिलान्यास के एक दशक बाद भी नहीं बना अमौर का रसैली घाट पुल, आने-जाने के लिये नाव ही सहारा

अमौर स्थित रसैली घाट पुल के निर्माण कार्य का शिलान्यास हुए एक दशक हो चुका है, लेकिन पुल का कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है। लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर नाव के सहारे नदी पार करते हैं। हालांकि, नदी के दोनों किनारे तक पक्की सड़क बनी हुई है, लेकिन पुल का काम पूरा नहीं होने की वजह से आवागमन के लिये नाव ही एक मात्र सहारा बचा है।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
rasaili ghat bridge in amour not built even after a decade of foundation

बिहार के अमौर विधानसभा क्षेत्र के सहनगांव निवासी मो. शब्बीर हर रोज़ रसैली घाट पर नाव के लिये घंटों इंतजार करते हैं। वह माथे पर शिकन लिये नदी के इस पार अपनी बाइक पर बैठकर उस पार से नाव आने का इंतजार कर रहे हैं। नाव नदी के उस पार खड़ी है। चार-पांच मोटरसाइकिल, तीन साइकिल और दर्जन भर लोग नाव पर सवार हैं। नाव खुलने के लिये तैयार है कि तभी लगभग पचास मीटर दूर से एक महिला रुकने के लिये आवाज़ लगाती है।


नाव चलाने वाला उसे जल्दी आने का इशारा करता है। नदी के इस पार अपने बाइक पर बैठे शब्बीर के साथ-साथ दूसरे लोग भी नाव वाले को जल्दी इस पार आने के लिये कहते हैं। महिला की गोद में एक बच्चा भी है। वह महिला तेज़ चलने के प्रयास में लड़खड़ाती है, संभलती है फिर नाव की तरफ बढ़ती है। किसी तरह वह नाव तक पहुंचती है। नाव पहले से ही भरी हुई है।

महिला किसी तरह उस नाव पर एडजस्ट होती है। नाव खुलती है। दो नाव खेने वाले रस्सी के सहारे नाव को आगे बढ़ाते हैं। कछुए की चाल से नाव नदी में आगे बढ़ती है। इस पार नाव का इंतजार कर रहे शब्बीर समेत दूसरे लोग टकटकी लगाए नाव की ओर देख रहे हैं। नाव धीरे-धीरे करीब आती जा रही है। जो लोग इधर-उधर बैठे हुए थे, अब खड़े हो जाते हैं और आगे आ जाते हैं। नाव के किनारे के नजदीक आते ही सबको जल्दी होने लगती है।


नाव आकर किनारे पर लगती है। अभी नाव पर सवार लोग उतरे भी नहीं हैं कि एक बाइक सवार जल्दी नाव पर चढ़ने के चक्कर में एक साइकिल को हल्की टक्कर मार देता है। वह साइकिल वाला बाइक वाले को घूरता है। बाइक वाला बड़बड़ाते हुए आगे बढ़ता है, इधर साइकिल वाला भी बुदबुदाने लगता है। नाव पर जल्दी चढ़ने और उतरने की यह छोटी-छोटी नोंक-झोंक और तकरार रसैली घाट पर हर दिन देखने को मिल जाती है।

नाव पर सवार लोग जल्दी-जल्दी नाव से उतरते हैं। अब शब्बीर भी प्रशासन और जनप्रतिनिधि को खरी-खरी सुनाते हुए अपनी बाइक को आगे बढ़ाता है और नाव पर चढ़ जाता है। अब नदी के उस पार खड़े लोग जल्दी आने का इशारा करते हैं। नाव खुल जाती है और फिर उस पार के लोग टकटकी बांध कर नाव को देख रहे हैं। अमौर के रसैली घाट पर यह सिलसिला लगातार चलता रहता है। नदी पर आधा-अधूरा पुल बना हुआ है। पुल पूरा नहीं बनने की वजह से इलाक़े के लोग हर दिन इस तरह की जद्दोजहद का सामना करते हैं।

एक दशक पहले हुआ था पुल का शिलान्यास

अमौर स्थित रसैली घाट पुल के निर्माण कार्य का शिलान्यास हुए एक दशक हो चुका है, लेकिन पुल का कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है। लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर नाव के सहारे नदी पार करते हैं। हालांकि, नदी के दोनों किनारे तक पक्की सड़क बनी हुई है, लेकिन पुल का काम पूरा नहीं होने की वजह से आवागमन के लिये नाव ही एक मात्र सहारा बचा है।

परमान नदी पर बन रहे रसैली घाट का यह निर्माणाधीन पुल कस्बा-गेरूआ पथ पर है। कस्बा-गेरूआ पथ किशनगंज लोकसभा क्षेत्र को पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से जोड़ता है। नदी के इस पार रहने वालों के लिये अमौर प्रखंड मुख्यालय से जुड़ने का यह प्रमुख रास्ता है। वहीं, नदी के उस पार रहने वालों के लिये पूर्णिया जिला मुख्यालय जाने के लिये यह एक मुख्य रास्ता है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि पुल नहीं होने की वजह से वे दूसरे रास्ते से अमौर प्रखंड मुख्यालय जाते हैं, जिसमें 8-10 किलोमीटर अधिक चलना पड़ता है। लोगों ने बताया कि इस पुल के निर्माण कार्य का शिलान्यास 2011 में हुआ था, लेकिन काम शुरू होते-होते 2013 आ गया। 2013 में काम शुरू हुआ तो इलाके में रहने वाले लोगों में आस जगी कि शायद अब उनके अच्छे दिन आनेवाले हैं। लेकिन, रसैली घाट पुल का काम पूरा नहीं होने से लोगों में काफी मायूसी है।

नाव के लिये घंटों का इंतज़ार

लोगों ने बताया कि पुल नहीं होने से बहुत ज्यादा समय बर्बाद होता है और कई बार तो नाव के लिये घंटों इंतजार करना पड़ता है।

नाव से नदी पार कर रहे मो. शब्बीर ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि जनप्रतिनिधि चुनाव के वक्त वादे कर चले जाते हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी रहती है।

“मेरा अक्सर इस रास्ते से आना-जाना होता है। कल हमको नदी पार करने के लिये डेढ़ दो घंटे इंतज़ार करना पड़ा। इमरजेंसी में अगर कोई बीमारी लेकर आयेगा, तो उसी पार मर जायेगा। पूर्णिया तक नहीं पहुंच पायेगा मरीज़। यह तो हाल है यहां का। नाव वाला भी क्या करेगा, वो कोई जहाज़ तो है नहीं कि उसको उड़ा देगा,” उन्होंने कहा।

शब्बीर ने आगे बताया, “जनप्रतिनिधि लोग बार-बार घाट पर आकर आश्वासन देते हैं कि अब बनेगा, तब बनेगा। कहता है हो जायेगा, हो जायेगा। लेकिन, कौन कितना पीसी (कमीशन) लेता है, ये तो उन्हीं लोगों को पता है। हमलोगों को क्या पता?”

वहीं, नदी पार कर रहे अमर कुमार ने बताया कि नाव के इंतजार में कई बार वह देर से घर पहुंचते हैं और कई बार बहुत जरूरी काम भी छूट जाता है।

“अगर यहां पर पुल होता तो हम अपने मंज़िल पर आधा-एक घंटा पहले पहुंच जाते। और भी काम हो जाता। नाव पर जाने से नाव पलटने का भी डर लगा रहता है। दूसरा रास्ता है, लेकिन वो बहुत दूर से है। उधर से कमोबेश 15 किलोमीटर अधिक चलना पड़ता है। उतना बजट नहीं होता है,” उन्होंने कहा।

Also Read Story

बिहार में ₹59,173 करोड़ से बन रहे गोरखपुर-सिलीगुड़ी, पटना-पूर्णिया सहित कई एक्सप्रेस-वे

ये हैं देश और बिहार के सबसे ज़्यादा कमाई करने वाले रेलवे स्टेशन

पांच महीने में पूरा जाएगा पटना एयरपोर्ट का विस्तारीकरण, ₹1400 करोड़ होंगे खर्च

पूर्णिया एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण कार्य अंतिम चरण में

बाढ़ की समस्या से लड़ने के लिए किशनगंज में बना 7 करोड़ से ट्रेनिंग सेंटर

अप्रोच पथ नहीं होने से तीन साल से बेकार पड़ा है कटिहार का यह पुल

‘सीएम नीतीश कुमार की समीक्षा बैठक के बाद पूर्णिया एयरपोर्ट निर्माण की सभी बाधाएं ख़त्म’

बिहार में शुरू हो गया स्पाइक अर्थिंग का काम, अब वज्रपात से नहीं होगी बिजली डिस्टर्ब

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का बनने जा रहा बागडोगरा एयरपोर्ट, क्या-क्या बदलेगा, जानिये सब कुछ

किसानों की फसल हो जाती है बर्बाद

पुल नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को होती है। जिन किसानों के खेत नदी के इस पार हैं, वो चाह कर भी फसल अपने घर तक नहीं ले जा सकते हैं। रसैली गांव के नसीम अख़्तर बताते हैं कि बहुत परेशानी के साथ नाव पर फसल इस पार से उस पार लेकर जाना होता है। कई बार नाव पलट जाती है, जिससे पूरी फसल बर्बाद हो जाती है।

नसीम ने मैं मीडिया को बताया, “हमलोग तो चाह रहे हैं कि जितना जल्दी हो सके यह पुल तैयार हो और आदमी को आने-जाने की सहूलियत हो। किसान लोग बहुत परेशानी के साथ इसी नाव पर अपनी फस्ल को इस पार से उस पार लेकर जाते हैं। इसी नाव से इधर-उधर आना जाना भी पड़ता है, परेशानी के साथ।”

नदी को पुल के नीचे लाने की है मांग

स्थानीय लोगों की मानें तो 2013 में पुल बनना शुरू हुआ था। काम चल ही रहा था कि इसी बीच 2017 की भयंकर बाढ़ आई और नदी में बहुत ज्यादा कटाव हुआ, जिससे नदी ने अपनी जगह बदल ली।

जितना पुल का एस्टिमेट था, वहां तक पुल का निर्माण हो चुका है। स्थिति यह है कि अब पुल आधी नदी पर लटका हुआ है। स्थानीय ग्रामीण अकबर अली कहते हैं कि हर रोज इस रास्ते से तकरीबन दो हजार लोग आते-जाते हैं और पुल के नहीं होने से सबको कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

अकबर अली ने बताया कि नदी को पुल के नीचे लाना होगा, तब जाकर ही इस पुल का इस्तेमाल हो पायेगा। वहीं, हर रोज़ नदी पार करने वाले आलम ने बताया कि सरकार ने पुल को नदी के बजाय सूखी जमीन पर ही बना दिया है और यह पुल कोई काम का नहीं है।

लोगों ने कहा कि पुल के इस्तेमाल के लिये सरकार को और मेहनत करनी होगी और नदी को पुल के नीचे लाना होगा, तब जाकर ही यह पुल सफल होगा, वरना यह पुल बीच नदी पर लटकता रहेगा।

पुल को लेकर क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि

रसैली घाट पुल को लेकर ‘मैं मीडिया’ ने किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉ. जावेद आज़ाद से संपर्क करने की कई बार कोशिश की, लेकिन सांसद से बात नहीं हो सकी। सांसद कार्यालय से जानकारी दी गई कि उस पुल में दो पाया और जोड़ा जायेगा, जिसकी स्वीकृति मिल चुकी है।

वहीं, अमौर से विधायक अख़्तरूल ईमान ने ‘मैं मीडियो’ को बताया कि 30 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से उस पुल का बाक़ी काम होना है, और इसपर विभाग की मंजूरी भी मिल चुकी है। उन्होंने आगे बताया कि रसैली घाट पुल में पाया तो बढ़ेगा ही, साथ ही वहां पर नदी के कटाव को रोकने के लिये बांध भी बांधा जायेगा।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

Related News

किशनगंज में दो वर्ष पहले बने पुल का अप्रोच ढहा, दस हज़ार की आबादी प्रभावित

क्या है कोसी-मेची लिंक परियोजना, जिसे केंद्रीय बजट में मिले करोड़ों, फिर भी हो रहा विरोध?

किशनगंज से बहादुरगंज के बीच बनेगी फोरलेन सड़क, जल्द शुरू होगा काम

फारबिसगंज-खवासपुर सड़क बदहाल, बारिश के दिनों में सड़क पर लग जाता है पानी

अररिया: पहले से आंशिक रूप से डैमेज पुल गिरा, दर्जनों गांव प्रभावित

पूर्णिया: लगातार हो रही बारिश से नदी कटाव ज़ोरों पर, कई घर नदी में विलीन

अमौर के लालटोली रंगरैया में एक साल के अन्दर दोबारा ढह गया पुल का अप्रोच

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

अप्रोच पथ नहीं होने से तीन साल से बेकार पड़ा है कटिहार का यह पुल

पैन से आधार लिंक नहीं कराना पड़ा महंगा, आयकर विभाग ने बैंक खातों से काटे लाखों रुपये

बालाकृष्णन आयोग: मुस्लिम ‘दलित’ जातियां क्यों कर रही SC में शामिल करने की मांग?

362 बच्चों के लिए इस मिडिल स्कूल में हैं सिर्फ तीन कमरे, हाय रे विकास!

सीमांचल में विकास के दावों की पोल खोल रहा कटिहार का बिना अप्रोच वाला पुल