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“किशनगंज मरीन ड्राइव बन जाएगा”, किशनगंज नगर परिषद ने शुरू किया रमज़ान नदी बचाओ अभियान

रमज़ान नदी बचाओ अभियान की अगुवाई कर रहे किशनगंज नगर परिषद अध्यक्ष इंद्रदेव पासवान ने कहा कि रमज़ान नदी अपनी विरासत खो चुकी है। नदी को पुनर्जीवित करने के लिए आम लोगों के सहयोग से नदी की साफ-सफाई की जाएगी और वृक्षारोपण कर रमज़ान नदी को मरीन ड्राइव जैसी शक्ल देने का प्रयास किया जाएगा। इस काम के लिए सरकार से 100 करोड़ रुपये की राशि की मांग करेंगे।

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बिहार के किशनगंज शहर की रमज़ान नदी को पुनर्जीवित करने के लिए शहर वासियों ने रमज़ान नदी बचाओ अभियान शुरू किया है। किशनगंज नगर परिषद अध्यक्ष सहित शहर के राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने शहर के पुलिस लाइन के पास स्थित घोड़ामारा गांव से इस मुहिम की शुरुआत की।

 

 


रमज़ान नदी बचाओ अभियान की अगुवाई कर रहे किशनगंज नगर परिषद अध्यक्ष इंद्रदेव पासवान ने कहा कि रमज़ान नदी अपनी विरासत खो चुकी है। नदी को पुनर्जीवित करने के लिए आम लोगों के सहयोग से नदी की साफ-सफाई की जाएगी और वृक्षारोपण कर रमज़ान नदी को मरीन ड्राइव जैसी शक्ल देने का प्रयास किया जाएगा। इस काम के लिए सरकार से 100 करोड़ रुपये की राशि की मांग करेंगे।

उन्होंने कहा, “शहर की लाइफलाइन रमज़ान नदी अपनी विरासत खो चुकी है। हमलोगों की लापरवाही कहिये या हमारे बुज़ुर्गों की अनदेखी कहिये कि आज रमजान नदी अपनी बर्बादी पर आंसू बहाने पर मजबूर है। आगामी 11 तारीख को खगड़ा के देव घाट पर सभी हिन्दू, मुस्लिम, सिख. ईसाई, तमाम धर्मों के गुरुओं के साथ पूजा-पाठ कर, समाज के तमाम सम्मानित लोगों के साथ रमजान नदी की खुदाई शुरू करने जा रहे हैं।”

नदी सफाई के लिए सरकार से 100 करोड़ रुपये की मांग

वह आगे कहते हैं, “माहे रमजान के शुभ अवसर पर मैं रमजान की सफाई के काम की शुरुआत करना चाहता हूँ। मैं रमज़ान को मरीन ड्राइव की सूरत पर बनाने का ख्वाब रखता हूं और इसके लिए 100 करोड़ का डीपीआर तैयार कराने जा रहा हूं। अगर सरकार की राशि हमें प्राप्त होती है तो रमजान की दोनों तरफ अलग अलग नाली बनाऊंगा जो नाले शहर के गंदे पानी को बाहर ले जाएंगे और बीच के भाग में तैराकी और नाव की व्यवस्था करूंगा। मैं नदी के दोनों किनारों पर वॉकिंग स्ट्रीट बनाना चाहता हूं और उसके किनारे वृक्ष लगाकर शहर को ग्रीन करना चाहता हूं।

“अगर सरकार के राशि मिली तो इतना काम तो जरूर कर दूंगा कि किशनगंज रमजान नहीं मरीन ड्राइव बन जाएगा। अगर नहीं बना सका तो नगर परिषद् की छोटी राशि से नदी को पुनर्जीवित और वृक्षारोपण का कार्य जरूर कर दूंगा,” इंद्रदेव पासवान बोले।

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किशनगंज शहर के बीचोंबीच बहने वाली रमजान नदी पिछले कई वर्षों से दुर्दशा का शिकार है। अतिक्रमण और गंदगी बढ़ने के कारण रमज़ान नदी के बहाव में अवरोध पैदा होने से बरसात में जलजमाव की समस्या उत्पन्न होती है।

किशनगंज नगर परिषद के उप मुख्य पार्षद प्रतिनिधि मोहम्मद कलीमुद्दीन ने कहा कि रमज़ान नदी बिहार सरकार के मैप में मौजूद ही नहीं है। नदी में शहर भर का कचरा जमा होता है जिसे रोकने की सख्त जरूरत है। अगर शहर की इस ऐतिहासिक नदी के सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो गया तो किशनगंज अपनी खूबसूरती के लिए पूरे बिहार में जाना जाएगा।

“यह रमज़ान नदी जो शहर के बीचोंबीच है, यह शहर की सारी गंदगी अपने अंदर समेट लेती है। इसकी सफाई अत्यंत जरूरी है। हमारे माननीय मुख्य पार्षद ने यह बेड़ा उठाया है। बिहार सरकार के मैप में रमज़ान नदी नहीं है। मुख्य पार्षद जी ने जो बताया कि इसके सौंदर्यीकरण का काम करने का तो उसमें जल जीवन हरियाली का भी पैसा लगाया जा सकता है। अगर यह काम कर लिया गया तो मैं समझता हूं कि पूरे 38 जिलों में ऐसा जिला नहीं मिलेगा जहां शहर के बीचोंबीच इतनी सुन्दर नदी हो।”

भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा जल्द राशि मिलने की उम्मीद

इस मौके पर भाजपा जिला अध्यक्ष सुशांत गोप ने बताया कि केंद्र सरकार ने गंगा समग्र परियोजना के तहत छोटी छोटी नदियों को एक दूसरे से जोड़ने की पहल की है। रमजान नदी को अन्य नदियों के साथ जोड़ने की योजना बनाई गई है और जल्द ही इसे मंज़ूरी मिलने की उम्मीद है।

“गंगा समग्र परियोजना के निमित्त नदी से जुड़ने वाली छोटी छोटी परियोजना है उसका भी आकलन केंद्र सरकार ने किया है। यह प्रोजेक्ट लगभग पास होने वाला है। नगर परिषद की यह साकारात्मक पहल है। आने वाली बरसात से पहले रमज़ान नदी की सफाई की जाएगी ताकि बाढ़ का पानी स्थिर रहे और लगातार बहता रहे। केंद्र और राज्य सरकार से यह प्रोजेक्ट पास है, निश्चित रूप से इसकी राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी।”

“नदी का स्रोत मर जाने के कारण नदी भूमि में तब्दील हो गया है। जमीन उपजाऊ हो गई है, खाली जमीन को कोई भी उपयोग करता है। जब नदी का संसाधन बढ़ जाएगा और नदी का बहाव अपने मूलस्तर पर आ जाएगा तो यह अतिक्रमण मुक्त हो जायेगा और ऐसे भवन निश्चित रूप से टूटेंगे।”

रमजान नदी बचाओ अभियान का शुभारंभ करने पर राजद नेता उस्मान गनी ने नगर परिषद के चेयरमैन को धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर रमज़ान नदी के बहाव को खोलकर पुनर्जीवित कर दिया जाए तो जिले में जलजमाव और बाढ़ जैसे हालात से निजात मिल जायेगा।

उन्होंने कहा, “यह समस्या बरसों से चली आ रही है। मुख्य पार्षद इंद्रदेव पासवान धन्यवाद के लायक हैं कि जिन्होंने अपनी इच्छा और लोगों के सलाह मशवरा से यह काम शुरू किया है। यह लाइफलाइन पुनर्जीवित हो जाए और जो समस्या है जलजमाव का, ओवरफ्लो का और जो दूसरी समस्याएं हैं उनका निदान निश्चित रूप से इससे होगा।”

रमज़ान नदी बचाओ अभियान में शामिल स्थानीय युवाओं ने कहा कि रमज़ान नदी ने नाले की शक्ल ले ली है। इसे बचाने के लिए बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।

“रमज़ान नदी को अब नदी तो नहीं नाला कह सकते हैं। मुख्य पार्षद इंद्रदेव जी की पहल से युवाओं में उम्मीद जगी है कि इसका सौंदर्यीकरण का काम होगा और इसका कायाकल्प होगा। आज इस अभियान की शुरुआत भी हो गई है। इसमें युवा जुड़े हुए हैं और सभी लोग इस अच्छी पहल से जुड़ें, यही अपील करते हैं,” स्थानीय युवा रेहान अहमद ने कहा।

इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी, किशनगंज के सचिव आवास कुमार साह ने कहा कि रमज़ान नदी की गंदगी साफ़ करना बेहद जरूरी है और इसके लिए शहरवासी नगर परिषद् को हर प्रकार की सहायता देने को तैयार हैं।

“यह इतनी गंदी नदी है, अगर इसका पानी बहाव भी चालू हो जाए घोड़ामारा से खगड़ा तक तो यह सुन्दर हो जाएगा। किशनगंज के सभी युवा और सभी लोगों ने यहां उत्साह के साथ कुदाल चलायी। जो भी सहयोग लगेगा किशनगंज नगर परिषद को वह हम लोग मिल कर करेंगे,” आवास कुमार साह ने कहा।

जब शहर की पहचान हुआ करती थी रमज़ान नदी

रमज़ान नदी का किशनगंज शहर के इतिहास से पुराना नाता है। एक दंतकथा मशहूर है कि एक समय नवाब फखरुद्दीन किशनगंज के जमींदार हुआ करते थे। उनके जीवनकाल में, एक हिन्दू संत ने किशनगंज का दौरा किया, तब किशनगंज का नाम आलमगंज हुआ करता था। संत ने स्थानीय लोगों से जगह का नाम पूछा तो उन्हें पता चला कि यह इलाका आलमगंज के नाम से जाना जाता है और यहां बहने वाली नदी रमज़ान कहलाती है।

संत ने जब जमींदार का नाम फखरुद्दीन सुना, तो वह शहर छोड़कर जाने लगे। नवाब फखरुद्दीन को जब इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने किशनगंज गुदरी से रमज़ान पुल तक के क्षेत्र को “कृष्णाकुंज” का नाम दे दिया। कृष्णाकुंज बाद में “किशनगंज” कहलाया।

रमज़ान नदी शहर को दो भागों में बांटती है। इसके ऊपर स्थित रमज़ान पुल किशनगंज शहर के पश्चिमी भाग को पूर्वी भाग से जोड़ता है। रमज़ान पुल शहर का सबसे व्यस्त पुल भी है। रमज़ान नदी की तरह इस पुल की हालत भी खस्ता हो चुकी है।

करीब दो दशक पहले पुल की दोनों तरफ लोहे की रेलिंग लगाई गई थी, जो टूट चुकी है। 2017 में आई बाढ़ में पुल को काफी क्षति पहुंची थी। रमज़ान नदी पिछले कुछ सालों में पहले के मुकाबले काफी सिकुड़ चुकी है। अतिक्रमण का शिकार यह नदी अब काफी प्रदूषित हो चुकी है।

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Amit Kumar Singh, a native of Kishanganj, Bihar, holds a remarkable 20-year tenure as a senior reporter. His extensive field reporting background encompasses prestigious media organizations, including Doordarshan, Mahua News, Prabhat Khabar, Sanmarg, ETV Bihar, Zee News, ANI, and PTI. Notably, he specializes in covering stories within the Kishanganj district and the neighboring region of Uttar Dinajpur in West Bengal.

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