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क्षेत्रीय व जातिगत वर्चस्व की लड़ाई है लेशी सिंह-बीमा भारती मतभेद

लेशी सिंह के मंत्री बनते ही जद(यू) के अंदर एक नई लड़ाई देखने को मिली। पार्टी के पूर्णिया ज़िले की ही रुपौली विधायक बीमा भारती ने लेशी सिंह पर गंभीर इल्जाम लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की। दरअसल, बीमा भारती ने लेशी सिंह पर आरोप लगाया कि लेशी सिंह हत्याओं और जबरन वसूली में शामिल थीं।

shashank mukut shekhar Reported By Shashank Mukut Shekhar |
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leshi singh and bima bharti

अगस्त 2022 से बिहार में नया सियासी दौर शुरू हुआ। इसके कर्णधार नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया। इसके बाद कुमार ने 7 दलों को मिलाकर महागठबंधन की सरकार बनाई। मगर असली खेल शुरू हुआ मंत्री परिषद के गठन के बाद।


16 अगस्त को नीतीश-तेजस्वी सरकार का पहला कैबिनेट विस्तार हुआ। राज्यपाल फागू चौहान ने 31 विधायकों को मंत्रिपद की शपथ दिलाई। इसमें RJD के 16 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली, जबकि जदयू के 11, कांग्रेस के 2, हम के एक और एक निर्दलीय विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।

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जद(यू) ने अपने कोटे से धमदाहा विधायक लेशी सिंह को मंत्री बनाया। उन्हें खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग दिया गया है।


लेशी सिंह के मंत्री बनते ही जद(यू) के अंदर एक नई लड़ाई देखने को मिली। पार्टी के पूर्णिया ज़िले की ही रुपौली विधायक बीमा भारती ने लेशी सिंह पर गंभीर इल्जाम लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की। दरअसल, बीमा भारती ने लेशी सिंह पर आरोप लगाया कि लेशी सिंह हत्याओं और जबरन वसूली में शामिल थीं।

सटा हुआ विधानसभा क्षेत्र

लेशी सिंह का विधानसभा क्षेत्र धमदाहा और बीमा भारती का विधानसभा क्षेत्र रूपौली बिल्कुल सटा हुआ है। धमदहा विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2000 से अब तक लेशी सिंह 5 बार विधायक रह चुकी हैं। यहीं से जीत कर उन्होंने इस बार पांचवीं बार मंत्री पद की शपथ ली है। वर्ष 2000 से अब तक लेशी सिंह सिर्फ अक्टूबर 2005 का चुनाव हारी हैं, जब उन्हें राजद के दिलीप यादव ने चुनाव हराया था।

उधर, रुपौली में वर्ष 2000 से बीमा भारती पांच बार विधायक रही हैं। वह दो बार बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। बीमा भारती भी अब तक सिर्फ एक चुनाव हारी हैं। फरवरी 2005 वाले चुनाव में उन्हें लोजपा के टिकट पर शंकर सिंह ने हराया था।

कब कौन बनी मंत्री

02 जून 2014 को हुए जीतन राम मांझी सरकार के कैबिनेट विस्तार में बीमा भारती पहली बार मंत्री बनीं। 02 जून 2019 को हुए नीतीश कैबिनेट विस्तार में बीमा भारती को गन्ना व विकास विभाग की जिम्मेवारी दी गई थी।

वहीं, लेशी सिंह ने इस बार पांचवीं बार मंत्रीपद की शपथ ली है। 11 मार्च 2014 को सबसे पहले उद्योग एवं आपदा प्रबंधन मंत्री बनी। 21 मई 2014 को उन्हें मांझी कैबिनेट में भी यही विभाग मिला। इस बीच उन्हें समाज कल्याण मंत्रालय की ज़िम्मेदारी भी मिली। जीतन राम मांझी को हटा कर वापस जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, तो 22 फरवरी 2015 को उन्होंने पुनः समाज कल्याण विभाग की ज़िम्मेदारी संभाली। 9 फ़रवरी 2021 में उन्हें नीतीश कुमार की NDA सरकार में खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग का मंत्री बनाया गया। फिलहाल, महागठबंधन सरकार में भी लेशी सिंह उसी विभाग की ज़िम्मेदारी संभाल रही हैं।

leshi singh taking oath as a minister in bihar government cabinet

बाहुबली पति

लेशी सिंह के पति दिवंगत मधुसूदन सिंह उर्फ बूटन सिंह और बीमा भारती के पति अवधेश मंडल दोनों ही अपने क्षेत्र के बाहुबली रहे हैं।

5 जनवरी 1974 को कटिहार ज़िले के मनिहारी प्रखण्ड अंतर्गत गोआगाछी में जन्मी लेशी सिंह की शादी सरसी के बाहुबली मधुसूदन सिंह उर्फ बूटन सिंह से हुई। राजनीति में उनका पदार्पण उनके पति दिवंगत मधुसूदन सिंह के साथ साल 1995 में हुआ।

मधुसूदन सिंह समता पार्टी के सक्रिय नेता थे। पूर्णिया में उनकी एक अलग राजनीतिक पहचान थी। नतीजतन, लेशी सिंह की भी एक अलग पहचान बनी। फरवरी 2000 के चुनाव में पहली बार उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर विधायकी का चुनाव जीता। उसी साल अप्रैल में पूर्णिया न्यायालय में मधुसूदन सिंह को अपराधियों ने गोलियों से भून डाला था।

1 जनवरी 1973 को जन्मी बीमा भारती की शादी रुपौली क्षेत्र के बाहुबली अवधेश मंडल से हुई। बीमा भारती मधेपुरा जिले के पुरैनी थाना क्षेत्र के श्यामटोला दुर्गापुर की निवासी हैं और उनकी ससुराल रूपौली विधानसभा के अकबरपुर ओपी के भिट्ठा गांव में है।

साल 2000 में बीमा भारती के राजनीतिक करियर की शुरुआत तब हुई जब वह रुपौली विधानसभा से निर्दलीय विधायक के रूप में चुनी गई थीं। मगर बाद में वह राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गईं। अक्टूबर 2005 के चुनाव में बीमा भारती ने दोबारा यह सीट अपने नाम कर ली। लेकिन, उन्होंने 2010 चुनाव से पहले जेडीयू का दामन थाम लिया। तब से लगातार रुपौली विधानसभा से विधायक हैं।

bima bharti with nitish kumar

पूर्णिया के स्थानीय पत्रकार जेपी मिश्रा बताते हैं, “दोनों बाहुबलियों का टकराव कभी नहीं हुआ। क्यूंकि बूटन सिंह की हत्या वर्ष 2000 में ही हो गई थी। अवधेश मंडल की सक्रियता वर्ष 2000 से 2007 तक ज़्यादा रही है। शुरुआत में वह बुच्चन यादव के नेतृत्व वाले फैज़ान गुट के साथ थे, लेकिन पत्नी के विधायक बनने के बाद उनसे दूरी बना ली। इसके अलावा क्षेत्र अलग होने की वजह से दोनों अपने अपने क्षेत्र में ही सक्रिय रहे हैं। बूटन सिंह के विरोधी दिलीप यादव रहे हैं, वहीं अवधेश मंडल का टकराव शंकर सिंह से रहा है।”

दोनों बाहुबलियों का आमना-सामना नहीं होने बावजूद इसे पूर्णिया में अगड़ी और पिछड़ी जाती की लड़ाई के तौर पर देखा जाता है।

स्थानीय जानकार बताते हैं कि लेशी सिंह को अकसर अगड़ी और पिछड़ी का वोट मिल जाता है, लेकिन बीमा भारती को अगड़ी जातियों का वोट न के बराबर मिलता है।

बीमा भारती की जाति

बीमा भारती अत्यन्त पिछड़ा वर्ग गंगोता जाति से आती हैं। बिहार जातीय गणना के अनुसार प्रदेश में गंगोता की आबादी 6,48,493 (0.5%) है।

जिला परिषद अध्यक्ष चुनाव

बीमा भारती की बेटी रानी कुमारी इस बार जिला परिषद की सदस्य भी चुनी गई हैं। वहीं, उनके घोर विरोधी शंकर सिंह की पत्नी प्रतिमा कुमारी भी रिकॉर्ड मतों से जीत कर जिला परिषद सदस्य बनी है। जनवरी की शुरुआत में पूर्णिया जिला परिषद अध्यक्ष का चुनाव हुआ। इसमें रानी भारती उम्मीदवार थीं।

स्थानीय पत्रकार मोहित पंडित कहते हैं, “इस चुनाव में लेशी सिंह ने अंदरूनी तौर पर रानी भारती की विरोधी वाहिदा सरवर का साथ दिया था। पूर्व AIMIM विधानसभा प्रत्याशी ग़ुलाम सरवर की पत्नी वाहिदा सरवर, रानी भारती को हरा कर अध्यक्ष बनी, तो वहीं, लेशी सिंह की जाति (राजपूत) से आने वाले छोटू सिंह उपाध्यक्ष बने।” मोहित बताते हैं, “इस चुनाव में राजपूत और मुस्लिम जिला परिषद एकजुट हो गए। यहां से लेशी सिंह और बीमा भारती के क्षेत्रीय जातिगत वर्चस्व की लड़ाई ताज़ा हो गई।”

बीमा भारती के लेशी सिंह पर आरोप

एक ही पार्टी में होने के बावजूद बीमा भारती समय-समय पर लेशी सिंह पर गंभीर आरोप लगाती रही हैं।

दैनिक भास्कर में छपी एक खबर के अनुसार अप्रैल, 2013 में जब बीमा भारती के पीए संतोष मंडल की हत्या हुई, तो उन्होंने इसका आरोप अपने पति अवधेश मंडल और लेशी सिंह पर लगाते हुए कहा था कि उनके पीए संतोष मंडल की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उनके पति अवधेश मंडल और धमदाहा जेडीयू के विधायक लेशी सिंह ने एक साजिश के तहत की है। आगे उन्होंने कहा था कि न्याय की गुहार लगाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनसे मुंह मोड़ लिया है।

हाल में बीमा भारती ने मंत्री लेशी सिंह पर सरसी में पूर्व जिला परिषद सदस्य रिंटू सिंह की हत्या और बेनी सिंह की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया। बीमा भारती के आरोपों पर लेशी सिंह ने कानूनी नोटिस भेजा। खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह ने जद(यू) विधायक बीमा भारती पर 5 करोड़ रुपये की मानहानि का केस किया।

इस लड़ाई में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लेशी सिंह का पक्ष लेते तथा बीमा भारती पर कड़े शब्दों का प्रयोग करते दिखे। इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को दोनों के बीच मध्यस्थता करनी पड़ी।

bima bharti with lallan singh and sharawan kumar

जदयू में लेशी सिंह ज़्यादा मज़बूत

लेशी सिंह समता पार्टी के ज़माने से पार्टी के साथ हैं। वर्ष 2000 में हत्या के वक़्त उनके पति बूटन सिंह समता पार्टी के जिला अध्यक्ष थे। लेशी सिंह पहली बार 27 फरवरी 2000 को जार्ज फर्नांडीस और नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठित समता पार्टी के सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनी।

वह कोशी-पूर्णिया प्रमंडल में पहली ऐसी उम्मीदवार थीं, जो समता पार्टी से चुनाव जीत विधानसभा पहुंचीं। साल 2001 में पूर्णिया में समता पार्टी की जिला अध्यक्ष रहीं। साथ ही विधानसभा में समता पार्टी की उपसचेतक भी रहीं। नवंबर 2005 में जदयू के टिकट पर चुनाव हारने के बाद साल 2006 में पार्टी के महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व मिला। इसके बाद इन्हें 2 नवंबर 2007 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य महिला आयोग बिहार का अध्यक्ष बनाया।

leshi singh and lallan singh

दूसरी तरफ बीमा भारती अब तक पार्टी के किसी पद पर नहीं रही हैं। उनकी राजनीति की शुरुआत राजद से हुई है। मोहित बताते हैं, “बीमा भारती के पति अवधेश मंडल अब भी राजद के करीब हैं। बल्कि 2020 विधानसभा चुनाव में मधेपुरा के आलमनगर विधानसभा से वह राजद टिकट के दावेदार भी थे। अवधेश गंगोता मंडल जाति से आते हैं और आलमनगर में बड़ी संख्या में इस जाति के वोटर हैं।”

नीतीश कुमार की मुश्किलें

राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हैं। अपनी प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी के भीतर इस तरह का मामला उनकी छवि को ही धूमिल करता है। उनके लिए पार्टी के अंदर अगड़ी-पिछड़ी की लड़ाई को बांधे रखना एक चुनौती भरा काम है। वरना उनके प्रधानमंत्री बनने के सपनों को धक्का लगेगा।

हालांकि नीतीश कुमार लेशी सिंह का ही पक्ष लेते नज़र आए हैं। पिछले दिनों उन्होंने मीडिया से बात करते हुए था, “इस तरह की बात नहीं बोलनी चाहिए। 2013 से लेशी सिंह को मंत्री बना रहे हैं। बीमा भारती को दो बार मंत्री बनाए हैं। जब पढ़ नहीं पा रही थी, उसको पढ़ाई सिखाए। अगर कोई बयान देता है तो पहले समझाया जाएगा। अगर किसी को इधर-उधर का मन है तो अपना सोचे। लेशी सिंह को कुछ नहीं होगा।”

क्या कहते हैं स्थानीय नेता

जद(यू) के स्थानीय नेता इस प्रकरण पर बयान देने से कतराते नजर आए। उनका कहना है कि इस मामले का समाधान हो चुका है। स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जी ने मामले की मध्यस्थता कर इसे सुलझा दिया है। ऐसे में पार्टी के अंदर और कोई कलह बाकी नहीं बची है।

इस बाबत पूछे जाने पर जद(यू) के पूर्णिया जिलाध्यक्ष श्री लाल महतो ने कहा, ‘पार्टी के माननीय अध्यक्ष द्वारा दोनों नेताओं के बीच झगड़े को सुलझा दिया गया। साथ ही लेशी। सिंह द्वारा मानहानि का केस भी वापस ले लिया गया है।’

 

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शशांक मुकुट शेखर एक स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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