अररिया की 12 वर्षीय साबरीन परवीन जब पहली बार ट्रेन पर चढ़ रही थी, तो उनके जेहन में नहीं आया होगा कि जिस ट्रेन में वह बैठी है वह ट्रेन हादसे का शिकार हो जाएगा। साबरीन की आंखें अभी भी उस खतरनाक मंजर को भुला नहीं पाई हैं। साबरीन अररिया से पढ़ाई करने केरल जा रही थी। उनके साथ ट्रेन में अररिया की ही 16 लड़कियां सवार थीं। ये सभी लड़कियां पढ़ाई के लिए केरल जा रही थीं। केरल में एक ट्रस्ट द्वारा संचालित स्कूल में अनाथ बच्चियों के लिए पढ़ाई का निःशुल्क इंतजाम है। उसी ट्रस्ट के स्कूल में ये बच्चियां पढ़ने जा रही थीं। कई लड़कियां पहली बार जा रही थीं।
आपको बता दें कि ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के टकराने से बिहार के 51 व्यक्तियों की मौत हो गई थी। हादसे में बाल-बाल बचे लोगों को बस के द्वारा अररिया लाया गया। अररिया के सांसद प्रदीप कुमार सिंह के साथ ज़िला प्रशासन की पूरी टीम ने वापस आए लोगों को रिसीव किया। फिर यहां से ज़िला प्रशासन ने उन लोगों को अपने घर तक पहुंचाया। राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह दुर्घटना काफी दुखद है और विभाग सभी पीड़ितों को हरसंभव मदद करने का प्रयास कर रहा है।
पढ़ाई के लिए केरल जा रही थी अनाथ बच्चियां
इन बच्चों के साथ अभिभावक के रूप में मो. आकिब भी केरल जा रहे थे। आकिब ने बताया कि वे लोग पहले अररिया से ट्रेन के माध्यम से कोलकाता गए। फिर चेन्नई जाने के लिए कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार हुए। वहां से केरल के लिए ट्रेन से ही उनको सफर करना था। हादसे के बारे में आकिब बताते हैं कि अचानक ज़ोरदार आवाज़ के साथ ट्रेन बेपटरी हो गयी और लोग एक दूसरे के ऊपर गिरने लगे।
पांच भाई बहनों में सबसे छोटी साबिस्ता भी ट्रेन से केरल जा रही थी। साबिस्ता 2 भाई और तीन बहनें हैं। वह वहां केरल स्थित एक स्कूल में 7वीं कक्षा की छात्रा है। साबिस्ता के पिता नहीं हैं। अपने भाई के साथ साबरीन की तरह वह भी पहली बार वहां जा रही थी।
हादसा इतना भयंकर था कि लोगों का खोया हुआ सामान तक का पता नहीं लगा। इनमें से कई लोगों का मोबाइल तो कईयों का बैग तक नहीं मिला। इनमें कपड़े और पैसे भी थे। मज़दूरी का काम करने वाले मो. इम्तियाज़ ने बताया कि उनको हादसे के दौरान सीने में चोट भी लगी।
यात्रियों ने बताया कि उनके खोए हुए सामान का कोई भी मुआवज़ा सरकार की तरफ से नहीं दिया गया है। उनके मुताबिक किसी भी तरह की कोई मदद इन लोगों तक नहीं पहुंची है।
अधिकारी के सवाल
वापस आए कुछ बच्चियों और अभिभावकों ने अररिया ज़िला प्रशासन के एक अधिकारी पर ऊल-जुलूल और गैर ज़रूरी सवाल पूछने का आरोप लगाया है। पढ़ाई के लिए जा रही राज़िया प्रवीन ने बताया कि अधिकारी ने उनसे पूछा कि क्या उनकी शादी हो गई है? साथ जाने वाले के साथ उसका क्या रिश्ता है? कहीं उनलोगों को तस्करी के जरिए बाहर तो नहीं ले जाया जा रहा है। अधिकारी ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
रज़िया के साथ सफर कर रही सबा प्रवीन ने भी अधिकारी द्वारा पूछे गए गैर जरूरी सवाल के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हमारे हाथ में चूड़ी देखकर सवाल किया गया कि कहीं उनका भी निकाह तो नहीं हो गया है। उनके द्वारा बार बार इनकार के बावजूद अधिकारी सवाल करते रहे।
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बच्चों के साथ में जा रहे अभिभावक मोहम्मद नासिर और आकिब ने भी बताया कि उनलोगों से ऐसे सवाल पूछे गए जो पूछने लायक नहीं थे।
क्या बोले मंत्री?
सरकार में आपदा प्रबंधन मंत्री शानवाज़ आलम ने मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने मैं मीडिया को बताया कि वह पहले घटना की पुष्टि करेंगे और अगर ज़रूरत पड़ी तो उन बच्चों और अभिभावकों से मुलाकात करेंगे।
ओडिशा से वापस आए ये बच्चियां अभी भी हादसे से उबर नहीं पाए हैं। उनको हादसा के दृश्य अब तक परेशान कर रहे हैं। उनमें से कई बच्चों ने कहा कि वे अब दोबारा वहां पढ़ने नहीं जाएंगे। इनमें से कई वहां 5 साल से अधिक समय से पढ़ाई कर रहे थे। हादसे से इनके दिमाग में ट्रेन द्वारा सफर करने का डर बैठ गया है। उनसे बात करते समय ऐसा महसूस हुआ कि उनको काउंसलिंग की ज़रूरत है। काउंसलिंग के सवाल पर मंत्री शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अभी हमारी प्राथमिकता शवों को सुरक्षित घर तक पहुंचाना और सभी लापता लोगों का पता लगाना है।
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