महाराष्ट्र के पुणे (Pune News) स्थित यरवदा इलाके के शास्त्रीनगर में गुरुवार की देर रात एक बड़े हादसे (Pune Building Collapsed) में कटिहार (Katihar News) के पांच मजदूरों की मौत हो गई।
बताया जा रहा है कि वे लोग एक निर्माणाधीन मॉल में काम कर रहे थे, तभी स्लैब उन पर आ गिरा। सभी मृत मजदूर कटिहार जिले के बारसोई अनुमण्डल के रहने वाले थे। मृतकों की शिनाख्त मजरूम हुसैन (धचना, बारसोई ), तजीब आलम (बलिया बैलोंन ,भाई नगर), साहिल मोहम्मद, (आजमनगर, बेलवा), मोहम्मद समीर (आजमनगर, बाघोरा) और मोबिद आलम (चौन्दी बारसोई) के रूप में हुई है। इस हादसे में दो मजदूर गंभीर रूप से जख्मी भी हुए हैं।
पुणे पुलिस के डीसीपी रोहिदास पवार ने कहा, “माॅल में काम करते वक्त भारी स्टील का ढांचा उन पर गिर पड़ा। ढांचा गिरने की वजह का पता नहीं चला है। मामले की छानबीन की जा रही है।”

महाराष्ट्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार ने कहा कि उन्होंने मामले की छानबीन का निर्देश दिया है।
पुणे पुलिस के मुताबिक, हादसे को लेकर एक एफआईआर दर्ज की गई है और तीन लोगों को हिरासत में भी लिया गया है।
कटिहार एडीएम विजय कुमार ने भी घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि जिला प्रशासन लगातार पुणे प्रशासन से संपर्क में है और वहां से सभी प्रक्रिया समाप्त करने के बाद हवाई मार्ग से उनके शव बागडोगरा एयरपोर्ट लाये जाएंगे। वहां से उन्हें उनके गांव पहुंचाया जाएगा और अंत्येष्टि की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि मृतकों के निकट संबंधियों को मुआवजे देने का निर्देश दिया गया है। जिला प्रशासन ने भी पूरे मामले पर शोक जताते हुए पीड़ित परिवार को यथासंभव मदद का भरोसा दिया है।

एडीएम ने ये भी कहा कि प्रवासी मज़दूरों के लिए मुआवजे की जो स्कीम है उसके तहत उनके परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हादसे में मारे गये मजदूरों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए 2-2 लाख रुपए मुआवजा और जख्मी मजदूरों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की है।
4 साल में 665 बिहारी मजदूरों की बिहार के बाहर मौत
उल्लेखनीय हो कि बिहार मूल के मजदूरों की बिहार से बाहर मौत की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। पिछले साल उत्तराखंड में दो बार हादसा हुआ था, जिनमें एक दर्जन से ज्यादा बिहारी मजदूरों की मौत हो गई थी।
पिछले साल जम्मू-कश्मीर में भी चरमपंथियों ने बिहारी कामगारों की हत्या कर दी थी।
श्रम विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016-17 से 2019-2020 के बीच चार सालों में बिहार मूल के 665 मजदूरों की अलग अलग राज्यों में हादसे में मौत हो चुकी है।