“सभी की उम्र लगभग 17 से 20 वर्ष थी और सभी के हाथों में एके-47 और खतरनाक हथियार थे। दहशत फैलाने के लिए लगातार हवाई फायरिंग भी कर रहे थे। सभी दीवार फांदकर अंदर घुसे और हमारे साथियों को बंदी बना लिया।”
“मैं डर कर एक कमरे में घुसा और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया लेकिन कुछ देर बाद ही वे दरवाज़ा पीटने लगे दरवाजा नहीं खुला तो फिर हवाई फायरिंग हुई, मुझे लगा अब मैं नहीं बचूंगा। फिर हिंदी में किसी ने कहा कि ‘दरवाजा़ खोल दो’ मेरे दरवाज़ा खोलते ही उन्होंने मुझपर बंदूक तान दी और हाथ ऊपर करने को कहा फिर पकड़ कर बैठा दिया गया बदन की तालाशी भी ली उन्हें शक़ था कि किसी ने उनका वीडियो बनाया है।”
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“हमारे सभी साथियों के पैसे और मोबाइल लूट कर ले गए, साथ ही हमारे प्लांट की छह गाड़ियां भी लूट लीं। आफिस का ताला तोड़कर वहां रखे लगभग पचास हजार अमेरिकी डॉलर और दो-तीन करोड़ सूडानी पाउंड भी लूट लिया।”
यह कहानी अफ्रीकी देश सूडान से जान बचा कर भागे एक भारतीय इंजीनियर की है, जो “ऑपरेशन कावेरी” के तहत वापस अपने घर पहुंचे हैं। बिहार के कटिहार जिले के बलरामपुर प्रखंड अंतर्गत कामत गांव के निवासी सपन कुमार दास कई वर्षों से सूडान में स्थित एक भारतीय स्टील प्लांट में इंजीनियर के तौर पर कार्यरत थे।
लेकिन बीते 15 अप्रैल से सूडान की आर्मी और सूडानी पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स(आर एस एफ) के बीच शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई में एक हफ्ते से फंसे हुए थे और उसके बाद भारत सरकार द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन कावेरी” के तहत वह अपने घर पहुंचे हैं।
सूडान में इस जंग से हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि पड़ोसी मुल्कों ने अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं। भारत समेत दुनियाभर के देश वहां फंसे अपने नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन चला रहे हैं। हालात गृह युद्ध जैसे हो गए हैं।
मैं मीडिया से बातचीत के दौरान वहां के हालात के बारे में याद करते हुए वह सिहर उठते हैं।
सपन कुमार बताते हैं कि उनकी कंपनी का स्टील प्लांट सूडान की राजधानी खार्तूम में सबसे सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्र में था क्योंकि प्लांट से कुछ ही दूरी पर आरएसएफ यानी पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स का एक बहुत बड़ा कैंप था। वहां कई फैक्ट्रियां हैं।
“हर दिन की तरह सब कुछ सामान्य था लेकिन अचानक से एक दिन माहौल बदल गया चारों तरफ गोलियों की आवाज से इलाका गूंज उठा। हम सब ने खबर सुनी कि पड़ोस की फैक्ट्री में एक भारतीय के सिर में गोली लगी है जो अपने कमरे में बैठा था और गोली खिड़की से अंदर घुसी थी, उसके बाद सब डर गए,” उन्होंने कहा।
वह बताते हैं, “जिस आरएसएफ फोर्स के भरोसे हम लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे, उसी आरएसएफ वालों ने इलाके में लूटपाट शुरू कर दी थी। वे बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल को लूट लेते थे। वहां रखे पैसे और खाने का सामान ले जाते थे। वहां के एक बड़े बैंक को भी लूट लिया गया था जिसमें कई करोड़ रुपए रखे थे।”
“मोबाइल छीन लिया, मगर भारतीय करेंसी लौटा दी”
उनकी कंपनी के 17 कर्मचारियों में से सिर्फ नौ कर्मचारी फैक्ट्री के पास फंसे हुए थे, तभी कुछ आरएसएफ वाले फायरिंग करते हुए अंदर घुसे और और पूछने लगे ‘यहां सूडानी व्यक्ति कौन है।’ उन्होंने कहा यहां कोई नहीं है फिर भी इधर उधर खोजने लगे और कर्मचारियों पर बंदूक तानी और हाथ ऊपर करने को कहा और मोबाइल तथा पैसे ले लिए, हालांकि इंडियन करेंसी और पासपोर्ट वापस कर दिया। जाते-जाते उनकी नजर फैक्ट्री में रखी गाड़ियों पर पड़ी और बंदूक के बल पर सारी गाड़ियां ले गए।
“हमारे दो साथी डर कर बाहर की तरफ भागने लगे। उसे भागते देख उनपर गोलियां चलाई लेकिन वे बच गए। हम बाहर निकले तो देखा मेन गेट के पास काफ़ी खून गिरा था। हम सब डर कर फैक्ट्री के अंदर भागे। वहां हफ्ते भर ब्रेड और बिस्कुट खाकर छिपे रहे,” उन्होंने बताया।
खार्तूम सूडान की राजधानी है और वहां वर्तमान में आरएसएफ का कब्जा है। वहां के सभी बड़े अधिकारियों व आफिस को अपने कब्जे में ले लिया गया है। वे सभी फैक्ट्रियों को अपने कब्जे में ले रहे हैं। वहां एग्रीकल्चर नहीं होती है इसके कारण खाने का सामान दूसरे शहर से आता था। लेकिन सूडान की आर्मी ने पूरे शहर को घेर लिया था और कोई भी खाने का सामान शहर के अंदर नहीं आ पा रहा था जिसकी वजह से आरएसएस वाले ज्यादा भड़क गए और इलाके में लूटपाट शुरू कर दी।
फंसे लोगों ने इंडियन एंबेसी से मदद मांगी, उन्होंने कहा कि उनके पास गाड़ियां तो हैं लेकिन उसमें फ्यूल नहीं है। उन्हें बाद में बगल वाली ओमेगा कंपनी की फैक्ट्री से इस शर्त पर फ्यूल मिला कि उनके लोगों को भी निकालना होगि। फिर 7 गाड़ियों में फ्यूल डालकर वे लोग खार्तूम से पोर्ट सूडान पहुंचे और वहां लगभग 1 सप्ताह गुजारा।
“पोर्ट सूडान में कुछ गुजराती लोग वर्षों से रहते हैं। उन लोगों ने हमारी काफी मदद की खाने-पीने और रहने की भी व्यवस्था की। लोग बहुत ज्यादा हो गए थे तो सभी के लिए खिचड़ी की व्यवस्था की गई थी। फिर हमें वहां से भारतीय नौसेना के आई एन एस सुमेधा में बैठाया गया और पहले बैच में लगभग 450 लोग सऊदी अरब के शहर जेद्दाह के लिए रवाना हुए,” सपन ने कहा।
सपन कुमार दास बताते हैं कि नौसेना की जहाज में बैठने के बाद हम लोगों की जान में जान आई और घर वापस लौटने की उम्मीद जगी। भारतीय नौसेना ने हम सभी को खाने-पीने का सामान और चाय बिस्किट भी दिया। भारतीय नौसेना और वायु सेना की वजह से आज मैं घर अपने परिवार के पास पहुंचा हूं।
आगे रोज़गार के विषय में पूछने पर सपन के भाई ने कहा कि अब दो तीन महीने इसे कहीं नहीं जाने देंगे। हमारा भाई मौत के मुंह से बचकर आया है। अब यह यह घर में ही रहेगा।
क्या है ऑपरेशन कावेरी
भारत सरकार संकट के समय विदेश से भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन चलाती है। इस बार सूडान के गृह युद्ध में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार ऑपरेशन कावेरी चला रही है।
24 अप्रैल 2023 से चल रहे इस ऑपरेशन में नौसेना के जहाज आईएनएस सुमेधा, तेग, तरकश और वायुसेना के परिवहन विमान सी-130जे को लगाया गया है।
यह ऑपरेशन राज्य विदेश मंत्री वी. मुरलीधरन की देखरेख में चल रहा है, जो सूडान में मौजूद थे। विदेश मंत्रालय और सूडान में स्थित भारतीय दूतावास इस ऑपरेशन के अलावा अमेरिका, दुबई, मिस्र, संयुक्त राष्ट्र और सऊदी अरब के संपर्क में है, जिससे भारतीयों की अधिक से अधिक मदद की जा सके।
ऑपरेशन कावेरी के तहत अब तक लगभग 1600 भारतीय सुरक्षित स्वदेश पहुंच चुके हैं। इस बात की जानकारी विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने ट्वीट कर दी।
Indigo joins #OperationKaveri.
231 Indians in a flight to New Delhi from Jeddah.
With this 5th outbound flight, around 1600 reached or airborne for India.
Happy journey.
Our Mission continues. pic.twitter.com/5JtBR0sHCF
— V. Muraleedharan (@MOS_MEA) April 28, 2023
वहीं बीते शुक्रवार (28 अप्रैल) को विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बताया कि ‘ऑपरेशन कावेरी’ के तहत अब तक 2,100 भारतीय जेद्दाह पहुंच चुके हैं।
Indigo joins #OperationKaveri.
231 Indians in a flight to New Delhi from Jeddah.
With this 5th outbound flight, around 1600 reached or airborne for India.
Happy journey.
Our Mission continues. pic.twitter.com/5JtBR0sHCF
— V. Muraleedharan (@MOS_MEA) April 28, 2023
क्यों संकट में है सूडान
क्षेत्रफल की दृष्टि से सूडान अफ्रीका का सबसे बड़ा देश है। सूडान में बीते कई हफ्तों से सूडान की आर्मी और पैरामिलिट्री समूह आरएसएफ के बीच संघर्ष चल रहा है। यह संघर्ष आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान और पैरामिलिट्री( रैपिड सपोर्ट फोर्स) के चीफ हमदान दगालो के बीच चल रहा है।
दरअसल, सूडान में साल 2021 से ही संघर्ष चल रहा है। इस वर्ष वहां पर तख्तापलट किया गया था, जिसके बाद से यहां दो बड़ी ताकतवर फोर्स के बीच वर्चस्व को लेकर संघर्ष शुरू हुआ। बुरहान चाहते हैं कि वह किसी निर्वाचित सरकार को ही सत्ता हस्तारित कर दें, लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी। वहीं, रैपिड फोर्स के सैनिक यदि आर्मी में मिल जाएंगे, तो नई सेना का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर भी सहमति नहीं बन पा रही है। इन्हीं वजहों से सूडान में संकट चल रहा है, जिसमें कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
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