महाराष्ट्र के पुणे स्थित यरवदा इलाके के शास्त्रीनगर में गुरुवार की देर रात एक बड़े हादसे में कटिहार के पांच मजदूरों की मौत हो गई।
महादलित समुदाय से आने वाले अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बौसी के रहने वाले राजा की सरकारी उम्र 14 साल ही थी, लेकिन उनके रिश्तेदार उसकी उम्र 18-19 साल बताते हैं। मगर उसकी समझदारी बताती है कि वह 18-19 का ही रहा होगा, तभी तो वह रोटी, कपड़ा और मकान की चिंता में घुलता रहता था। वह झोपड़ी में नहीं रहना चाहता था। वो एक ठोस मकान बनाना चाहता था, इसलिए अच्छी कमाई की चाहत उसे घर से 2000 किलोमीटर दूर कश्मीर ले गई थी। वहां 17 अक्टूबर को चरमपंथियों ने उसकी हत्या कर दी।
अररिया जिले के नगर थाना क्षेत्र की कमलदाहा पंचायत का निवासी 23 वर्षीय मो. अब्बास अपने पिता और बड़े भाई के साथ दो महीने पहले कश्मीर गया था। 15 अक्टूबर को तीनों गांव लौट रहे थे, तभी जम्मू स्टेशन पर अब्बास लापता हो गया।
पिछले 16 दिनों में गैर-कश्मीरी नागरिकों पर हमले की ये तीसरी वारदात थी। इससे पहले 5 अक्टूबर को बिहार के भागलपुर के रहने वाले एक व्यक्ति को गोली मार दी गई थी। वे श्रीनगर में गोलगप्पा बेचते थे। इसके बाद 16 अक्टूबर की शाम अलग-अगल जगहों पर आतंकियों ने बिहार के बांका और उत्तर प्रदेश के रहने वाले दो व्यक्तियों की हत्या कर दी थी।
PM मोदी ने बिहार के जिस गाँव से गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की थी, वहाँ के ज़्यादातर मज़दूर वापस पलायन कर चुके हैं। CM नीतीश ने जिस मज़दूर से 24 मई को बात की थी, वो आज तक बेरोज़गार है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा मामले पर संज्ञान लेते हुए तुरंत आर्थिक मदद देने का ऐलान करने के बाद कटिहार के राजद नेताओं ने पीड़िता के घर पहुंचकर नकद 5 लाख रुपये दिये हैं।
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है। ताजा मामला अररिया रेलवे स्टेशन का है, जहां श्रमिक एक्सप्रेस से एक महिला के शव को उतारा गया है।
गुजरात से चल कर मुज़फ़्फ़रपुर पहुंचने वाली श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन में एक महिला प्रवासी मज़दूर का शव मिला। मामले से सम्बंधित एक वीडियो सोशल साइट्स पर तेजी के साथ वायरल हो गया
मासूम बच्चा अररिया के जोकीहाट प्रखंड अंतर्गत चिरह पंचायत स्थित उदाहाट का रहने वाला है। वाराणसी से 900 Km की दूरी ठेला से नौ दिनों में तय कर मंगलवार को अपने घर पहुंचा है।
पोठिया प्रखंड अंतर्गत जहांगीरपुर पंचायत के उत्क्रमित उच्च विद्यालय में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर में खाना नहीं मिल रहा है।
आत्मनिर्भरता प्रवासी मजदूर का गहना है, उस पर उनका कॉपीराइट है। लेकिन प्रधानमंत्री ने उसे भी चुरा लिया और ग्लैमर के पुट के साथ आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा दे दी।
बिहार के कटिहार ज़िले में क्वारंटीन सेंटर से दीवार फांद कर भाग रहे एक मजदूर की रेल ट्रैक पार करने के दौरान रेलगाड़ी के चपेट में आने से मौत हो गयी है।