जुर्माना वसूलने में मुस्तैद परिवहन विभाग अदालती व विभागीय निर्देशों का अनुपालन कराने में सुस्त
बीते सप्ताह बिहार के सभी जिलों में विशेष वाहन जाँच अभियान चलाया गया। अभियान में वाहनों के प्रदूषण की जाँच के अलावा फिटनेस, इन्श्योरेंस, परमिट और सार्वजनिक परिवहन वाहनों में आपातकालीन बटन की जाँच की गई। ख़बरों के अनुसार, इस दौरान 1614 वाहनों पर 84 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
वाहनों की प्रदूषण जाँच, सम्बन्धित विभागों के द्वारा चलाये जाने वाले वाहन जाँच अभियानों का एक मुख्य घटक है। इसमें जाँच दल सड़क पर दौड़ रहे वाहन चालकों से एक दस्तावेज़ की माँग करता है, जिसे पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (पीयूसी सर्टिफिकेट) कहते हैं। पीयूसी सर्टिफिकेट वाहनों से उत्सर्जित कॉर्बन मोनोक्साइड की मात्रा बताती है। इससे वाहनों से उत्सर्जित कॉर्बन मोनोक्साइड की मात्रा व वैधानिक रूप से निर्धारित मात्रा की अनुरूपता का पता किया जा सकता है। यह सर्टिफिकेट किसी भी प्राधिकृत प्रदूषण जाँच केन्द्र से तय शुल्क का भुगतान कर प्राप्त किया जा सकता है।
पूर्णिया की दूषित हवा के कारक
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार, पूर्णिया में बीते रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 184 रहा, जिसे सूचकांक-वर्गीकरण के लिहाज से मोडरेट माना जाता है। पूर्णिया की हवा को प्रदूषित करने वाले महत्तवपूर्ण घटकों में पीएम 2.5 की औसत मात्रा 172, पीएम 10 की औसत मात्रा 184, कार्बन मोनोक्साइड की औसत मात्रा 63 रही।
बीते साल नगर निगम क्षेत्र में कई पेड़ काटे जा चुके हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग (एन एच)-31 के डिवाइडर पौधारोपण के इंतज़ार में धूल फाँकते दिखते हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने की तमाम कवायदें कार्यालयी फाइलों की मोटाई बढ़ा रही है। इसके अतिरिक्त वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की सरकारी कोशिशें अक्सर वाहन जाँच अभियानों में वैध पीयूसी सर्टिफिकेट अनुपलब्धता के नाम पर जुर्माना वसूलने तक सिमटी नज़र आती है।
पीयूसी सर्टिफिकेट की जरूरत
उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के अनुसार, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने बीमा नवीनीकरण के लिए पीयूसी प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया है।
बीमा सलाहकार श्याम कुमार झा बताते हैं, ‘’सभी वाहन मालिकों के लिए थर्ड पार्टी इन्श्योरेंस अनिवार्य है।‘’ वहीं, केन्द्रीय मोटर यान नियमावली, 1989 के अनुसार, नए मोटर वाहनों के पंजीकरण के एक साल बीतने के बाद वाहनों के प्रदूषण की जाँच अनिवार्य है। मोटरवाहन से निकलने वाले धुएँ पूर्णिया के बढ़ते वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है। न्यायालयों के फैसले इसे रोकने की दिशा में उठाये गए कारगर कदम साबित हो सकते हैं। लेकिन, उन फैसलों को लागू कराना कार्यपालिका का काम है। इस मोर्चे पर संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में रही है।
बिहार सरकार के परिवहन विभाग का निर्देश
बिहार राज्य पथ परिवहन निगम का मानना है कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और परिवेशीय वायु गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जाना जरूरी है। इस दिशा में वांछित सफलता वाहन प्रदूषण जाँच केन्द्रों के सहारे मिल सकती है। साल 2019 की पहली छमाही में बिहार पथ परिवहन निगम ने राज्य के भीतर संचालित हो रहे सभी पेट्रोल व डीज़ल रिफिलिंग स्टेशन और ऑटोमोबाइल सर्विस सेन्टर पर वाहन प्रदूषण जाँच केन्द्र की स्थापना के लिए सभी जिलों के परिवहन पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया।
उसी साल की अंतिम छमाही में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम ने इस दिशा में हो रहे कामों के लगातार अनुश्रवण के लिए सभी जिलों के जिला पदाधिकारियों को अनुरोध किया।
इसके लिए राज्य के सभी पेट्रोल व डीज़ल रिफिलिंग स्टेशन और ऑटोमोबाइल सर्विस सेन्टर पर वाहन प्रदूषण जाँच केन्द्रों की स्थापना के साथ सभी प्रखण्डों में कम से कम एक वाहन प्रदूषण जाँच केन्द्र खोले जाने की दिशा में काम करने का निर्देश जारी किया गया था।
तत्कालीन परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने इस कदम से दो फायदे होने की बात कही थी। उनके अनुसार, ये कदम एक ओर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में सहायक होते, वहीं दूसरी ओर वाहन मालिकों को आसानी से अपने वाहन का पीयूसी सर्टिफिकेट मिल जाता।
जुर्माने में 10 गुना की बढ़ोत्तरी
भारतीय संसद में मोटर यान (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित हो चुका है। इसमें वायु व ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले व्यक्तियों पर दस हजार रुपये जुर्माने के साथ तीन माह के लिए चालक अनुज्ञप्ति (ड्राइविंग लाइसेंस) डिस्क्वालिफाई कर देने की व्यवस्था की गई। पहले, वैध पीयूसी सर्टिफिकेट के अभाव में वाहन चालकों से अर्थदंड (जुर्माने) के रूप में एक हजार रुपये वसूलने का प्रावधान था।
परिवहन विभाग की वेबसाइट पर सूचनाओं की मौज़ूदा स्थिति
बिहार सरकार के परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर ‘’अपने नज़दीकी पीयूसी केन्द्र को जानें’’ नामक सेक्शन है। इस पर क्लिक करने की कोशिश यूजर्स को भारत सरकार के सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की वेबसाइट तक पहुँचाती है।
इसके जरिये अपने नजदीकी पीयूसी केन्द्र की अपडेटेड जानकारी हासिल की जा सकती है। इस पर मौज़ूद आंकड़ों के अनुसार, बिहार के पूर्णिया जिले में महज 28 सक्रिय पीयूसी केन्द्र हैं। वहीं, आरएन साव चौक से सात किलोमीटर के दायरे में कम से कम दर्जन भर पेट्रोल या डीज़ल रिफिलिंग स्टेशन हैं। शहर में वाहनों के प्रदूषण उत्सर्जन की मात्रा जाँच के बाद पीयूसी सर्टिफिकेट जारी करने के दूसरे केन्द्र अस्तित्व में हैं, जो इन ईंधन रिफिलिंग स्टेशनों से दूर खुले हैं।
ईंधन रिफिलिंग स्टेशन मालिकों की दलील
एक ईंधन रिफिलिंग स्टेशन मालिक ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर बताया, ‘’पेट्रोल व डीज़ल रिफीलिंग स्टेशनों पर प्रदूषण जाँच केन्द्र खोलने का मतलब ग्राहकों की लम्बी कतारों को न्यौता देना है।‘’
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सीमांचल के जिलों में संचालित हो रहे अधिकांश ईंधन रिफिलिंग स्टेशन का क्षेत्रफल एक समान नहीं है। कुछ आकार में छोटे हैं तो कुछ बड़े। ऐसे में सभी ईंधन रिफिलिंग स्टेशनों पर प्रदूषण जाँच के लिए समर्पित काउंटर की व्यवस्था बिना क्षेत्रफल में बदलाव के व्यावहारिक नहीं दिखती।
अधिकांश ईंधन रिफिलिंग स्टेशनों पर वाहनों में हवा भरवाने की व्यवस्था नहीं है। जिला मुख्यालय, पूर्णिया में ही जिन चुनिंदा स्टेशनों पर हवा भरवाने की व्यवस्था है, वहाँ माँग अनुसार हवा भरने के लिए समर्पित कर्मचारियों की मौज़ूदगी नहीं होती। अमूमन, सीमांचल के सभी जिलों में एक ईंधन रिफिलिंग स्टेशन पर चार से पाँच कर्मचारी होते हैं।
इन हालातों में परिवहन के क्षेत्र में अदालती आदेशों या निर्देशों को धरातल पर उतरता दिखाना भी अहम होता है। इसके लिए विभागीय आदेश या निर्देश युक्त पत्रों को समय-समय पर ऊपर से नीचे खिसका दिया जाता है।
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