Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

डूबता बचपन-बढ़ता पानी, हर साल सीमांचल की यही कहानी

पूरे सीमांचल सहित अररिया में बरसात के दिनों में नदियां उफनने लगती हैं, जिसके परिणामस्वरूप नदी के आसपास के इलाके व निचले इलाकों के रिहायशी क्षेत्रों में बाढ़ का पानी आ जाता है। अररिया के कोशकीपुर, झमटा, महिषाकोल सहित कई इलाकों में बाढ़ के पानी ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है।

ved prakash Reported By Ved Prakash |
Published On :
parman river

पूरे सीमांचल सहित अररिया में बरसात के दिनों में नदियां उफनने लगती हैं, जिसके परिणामस्वरूप नदी के आसपास के इलाके व निचले इलाकों के रिहायशी क्षेत्रों में बाढ़ का पानी आ जाता है। अररिया के कोशकीपुर, झमटा, महिषाकोल सहित कई इलाकों में बाढ़ के पानी ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है।


बाढ़ का पानी आने के बाद इंसान से लेकर पशुओं की जिंदगी समस्याओं से घिर जाती है। घरों में पानी भर जाने से लोगों को पशुओं को सड़क के किनारे बांधना पड़ता है।

Also Read Story

बाढ़ से सहरसा में सैकड़ों घर कटान की ज़द में, घर तोड़ दूसरी जगह ले जा रहे लोग

बाढ़ प्रभावित सहरसा में सरकारी नाव उपलब्ध नहीं, लोग चंदा इकट्ठा कर बना रहे नाव

सहरसा में कोसी नदी के कटाव से सैकड़ों घर नदी में समाये, प्रशासन बेख़बर

कटिहार जिला के बरारी में घरों में घुसा बाढ़ का पानी

पूर्णिया: महानंदा में कटाव से आधा दर्जन घर नदी में समाए, दर्जनों मकान कटाव की ज़द में

सुपौल: “हमें चूड़ा – पन्नी नहीं, पुनर्वास चाहिए”- बाढ़ पीड़ितों का धरना

सिक्किम में तीस्ता ने मचाई तबाही, देसी-विदेशी 1200 पर्यटक फंसे, राहत अभियान युद्ध स्तर पर

बिहार: मई में बढ़ेगी लू लगने की घटना, अप्रैल में किशनगंज रहा सबसे कम गर्म

बारसोई में ईंट भट्ठा के प्रदूषण से ग्रामीण परेशान

रोजगार का संकट

बिहार का अररिया गरीब जिलों में एक है, ऐसे में बाढ़ग्रस्त इलाके में रहने वाले मजदूर व गरीब लोग, जो रोज कमाते खाते हैं, उनकी मुसीबतें बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं। एक तो उनको रोज का रोजगार नहीं मिलता, वहीं दूसरी ओर खाने पीने की किल्लत हो जाती है। साथ ही कोई बीमार व्यक्ति हो, तो अस्पताल पहुंच पाना एक बड़ी चुनौती बन जाती है।


बाढ़ के दिनों में अररिया के बाढ़ ग्रस्त इलाकों में एक बहुत बड़ी समस्या बच्चों के डूब जाने की होती है। यहां हर साल अलग-अलग इलाकों में बच्चों के डूबने की खबरें मीडिया में आती रहती हैं।

हमने जब इन इलाकों का दौरा किया, तो बहुत सारे बच्चे बाढ़ के पानी में अलग-अलग जगहों पर नहाते नजर आए।

ज्यादातर जगहों में बच्चों के साथ कोई जिम्मेदार लोग नजर नहीं आए। आम दिनों की बात अलग होती है, बाढ़ के दिनों में तेज बहाव में अच्छे अच्छे तैराक भी अपनी जान गंवा बैठते हैं, ऐसे में लोगों को जागरूक रहने की रहने की जरूरत है।

रोजाना तीन लोगों की डूबने से मौत

बिहार में रोज़ाना तीन से ज़्यादा लोगों की मौत डूबने से हो जाती है। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक, जून से दिसंबर 2018 तक राज्यभर में डूबने से 205 लोगों की जान चली गई।

साल 2019 में डूबने वालों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 630, साल 2020 में 1060 और साल 2021 में 18 नवंबर तक ये आंकड़ा 1206 हो गया। यानी 2018 की तुलना में 2021 में डूबने से हुई मौतों का आंकड़ा तकरीबन छह गुना बढ़ चुका था। वास्तविक आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं।

मैं मीडिया की टीम बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा करने निकली तो जानकारी मिली कि अररिया जिले की झमटा पंचायत के मेटन गांव के वार्ड नंबर 2 में एक बच्चा डूब गया है। इसके बाद हम मौके पर पहुंचे, तो वहां लोगों की काफी भीड़ लगी थी और एसडीआरएफ की टीम लगातार बच्चे के लिए सर्च ऑपरेशन चला रही थी। झमटा पंचायत नदियों के बीच बसा एक ऐसा गांव है, जहां एक तरफ बकरा नदी बहती है, तो थोड़ी दूर पर परमान नदी बहती है। यह दोनों नदियां हर साल इन इलाकों में बाढ़ लाती हैं और कितनी ही जिंदगियों को ले जाती है।

बाढ़ की वजह से इस इलाके में जगह-जगह रोड कट गया है। इलाके के लोगों ने बताया कि फैजान नाम का एक बच्चा, जिसकी उम्र लगभग 10 साल है, शनिवार की शाम अपने घर लौट रहा था। कटा हुआ रोड पार करने के दौरान ही वह बच्चा फिसल गया और गहरे पानी में चला गया। स्थानीय लोगों ने बच्चे को बचाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। समाजसेवी फैसल यासीन के द्वारा प्रशासन को सूचना दिए जाने पर रविवार की सुबह प्रशासन ने एसडीआरएफ की टीम को भेजा। रविवार की सुबह से ही एसडीआरएफ की टीम लगातार प्रयास कर रही थी, लेकिन हमारे पहुंचने तक बच्चा नहीं मिला। इस दौरान हमने एसजीआरएफ के एसआई सुनील कुमार से बात की, तो उन्होंने बताया कि इस इलाके में तेज धार की वजह से और जमीन के नीचे ऊबर-खाबड़ और जंगल होने से बच्चे का पता नहीं चल पा रहा है।

पढ़ाई पर भी असर

मौके पर मौजूद समाजसेवी फैसल यासीन ने बाढ़ और बच्चे के डूबने पर अपनी पीड़ा जाहिर की और कहा कि इस इलाके के लोगों को राहत मिलना चाहिए और बच्चे का डूब जाना बेहद दुख की बात है।

डूबे बच्चे को खोजे जाने के क्रम में हमने स्थानीय लोगों से बातचीत की।

स्थानीय छात्र मुर्तजा ने बताया कि चारों तरफ पानी फैला है। कई जगह सड़क कट गयी है। “मैं इंटर का छात्र हूं और 5 दिनों से पढ़ने नहीं जा पा रहा हूँ, उधर बच्चा डूब गया है,” मुर्तजा ने कहा।

स्थानीय युवा मोहमद शहादत अली ने बताया, “हमलोग हर साल मौत से बचने की कोशिश करते हैं। खाने-पीने की काफी दिक्कत हो गई है, सरकार को सुविधा देनी चाहिए।”

हमारे लौटने के बाद हमें जानकारी मिली कि बच्चे की लाश मिल चुकी है।

अभी बाढ़ का सीजन आ गया है। लोगों की परेशानियां बनी हुई हैं। कुछ दिनों के बाद जब बाढ़ का पानी उतर जाएगा, तो इस इलाके के लोगों को पता है कि अगले साल बाढ़ पुनः आएगी और फिर पता नहीं किसके नौनिहाल को पानी में खोजना पड़ेगा। आने वाले सालों में स्थितियां बदलती नहीं दिख रही हैं।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

Related News

बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023: इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सरकार कितनी छूट देगी, जान लीजिए

बारिश ने बढ़ाई ठंड, खराब मौसम को लेकर अगले तीन दिनों के लिये अलर्ट जारी

पूर्णिया : महानंदा नदी के कटाव से सहमे लोग, प्रशासन से कर रहे रोकथाम की मांग

बूढी काकी नदी में दिखा डालफिन

‘हमारी किस्मत हराएल कोसी धार में, हम त मारे छी मुक्का आपन कपार में’

कटिहार के कदवा में महानंदा नदी में समाया कई परिवारों का आशियाना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

अप्रोच पथ नहीं होने से तीन साल से बेकार पड़ा है कटिहार का यह पुल

पैन से आधार लिंक नहीं कराना पड़ा महंगा, आयकर विभाग ने बैंक खातों से काटे लाखों रुपये

बालाकृष्णन आयोग: मुस्लिम ‘दलित’ जातियां क्यों कर रही SC में शामिल करने की मांग?

362 बच्चों के लिए इस मिडिल स्कूल में हैं सिर्फ तीन कमरे, हाय रे विकास!

सीमांचल में विकास के दावों की पोल खोल रहा कटिहार का बिना अप्रोच वाला पुल