कटिहार जिले के कुरसेला, मनिहारी, अमदाबाद और बरारी प्रखंड की कई पंचायतों में गंगा और कोसी नदी के जलस्तर में हो रही वृद्धि ने तबाही मचा दी है।
सहरसा जिले के नौहट्टा प्रखंड स्थित केदली पंचायत के रामपुर गांव में बाढ़ की वजह से कई लोगों के घर डूब गये। रामुपर गांव चारों ओर से पानी से घिर गया है।
जबकि बाढ़ का समय आ चुका है तो लोग अपनी सुरक्षा की तैयारी में खुद जुट गए हैं और खुद से नाव तैयार कर रहे हैं। लोगों ने बताया कि सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं है, इसलिये लोग आपस में चंदा इकट्ठा कर नाव तैयार कर रहे हैं। स्थानीय सुभाष यादव बताते हैं कि बाढ़ आने पर हर तरह का काम नाव से ही किया जाता है।
बिहार के सहरसा में कोसी नदी ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है। नदी में हो रहे भीषण कटाव से नौहट्टा प्रखंड स्थित सतौर पंचायत के बिरजेन गांव में तीन सौ से अधिक घर नदी में समा गये। आलम यह है कि इलाके के लोग डर के साए में जी रहे हैं।
कटिहार जिला अंतर्गत बरारी प्रखंड क्षेत्र के मोहना चांदपुर पंचायत में बाढ़ का पानी घुसने से लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं। हर साल इस पंचायत में बाढ़ का पानी आकर तबाही मचाता है। कारी कोसी और गंगा नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि होने के कारण मोहना चांदपुर पंचायत के आठ नंबर वार्ड से लेकर 17 नंबर वार्ड तक बाढ़ का पानी घुस गया है।
पूर्णिया के बायसी प्रखंड क्षेत्र अन्तर्गत गांघर पंचायत के वार्ड नं-1 स्थित मालोपाडा़ तेलंगा गांव में महानंदा नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है, जिससे नदी कटाव ज़ोरों पर है। कटाव में अब तक लगभग आधा दर्जन घर विलीन हो गए हैं, जबकि दर्जनों घर कटाव की ज़द में हैं।
बाढ़ के पानी से होकर 8 अगस्त को कोसी नवनिर्माण मंच के झंडा तले सुपौल जिला स्थित निर्मली प्रखंड की डगमारा पंचायत, सराय गढ़ प्रखंड की ढोली पंचायत, मरौना प्रखंड की घोघररिया पंचायत और किशनपुर प्रखंड की बौराहा पंचायत के कोसी तटबंध के भीतर के गांवों के लोगों ने बाढ़ को बाढ़ साबित करवाने के लिए डिग्री कॉलेज चौक पर एक दिवसीय धरना दिया। धरना सुबह 11 बजे से शाम के 4 बजे तक चला। बीच बीच में बारिश हुई, पर इसके बावजूद लोग डटे रहे और धरना चलता रहा।
सिक्किम में यूं तो कई दिनों से ही गाहे-बगाहे मौसमी बारिश हो रही थी लेकिन बीते बुधवार की रात लगातार हुई बारिश काल साबित हुई। एक ही रात में 220 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई। उसकी वजह से तीस्ता नदी खतरे के स्तर से भी ऊपर उफन गई। इसे इसी से समझा जा सकता है कि गहरी खाई में बहने वाली नदी कई जगहों पर राजमार्ग के बराबर आ गई। यहां तक कि कई सड़कों पर भी चढ़ गयी। पहाड़ों पर जगह-जगह भूस्खलन होने लगे। कई घर नदी में समा गये।
पूरे बिहार में अप्रैल महीने में सबसे कम तापमान किशनगंज में दर्ज हुआ। यहां का औसत तापमान 19.8 डिग्री सेल्सियस रहा। 2 अप्रैल को तापमान 15.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ जो कि पूरे बिहार में अप्रैल महीने में सबसे कम था।
स्थानीय ग्रामीण अजित शर्मा का कहना है कि यह किंग भट्टा मनमानी कर रहा है और लोगों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रहा है। भट्टे के कारण हर समय हवा में धूल मिट्टी रहती है, जिससे यहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ पर बुरा असर पड़ रहा है।
इलेक्ट्रिक वाहनों में दोपहिया, तिपहिया, चारपहिया, मोटर वाहन (मालवाहक) और बसें शामिल हैं। वाहनों की खरीद में अनुदान, टैक्स में छूट तो दी ही जाएगी, साथ साथ पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। 'बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2023' अगले पांच साल तक जारी रहेगी और इस नीति तक मिलने वाला लाभ इसी अवधि तक मिलेगा।
मौसम को देखते हुए मौसम विभाग ने लोगों से सतर्क और सावधान रहने का आग्रह किया है। विभाग ने बारिश के समय किसी पक्के मकान की शरण लेने तथा ऊँचे पेड़ और बिजली के खंभों से दूर रहने की भी सलाह दी है। इसके अलावा विभाग ने किसानों को खेतों में न जाने और मौसम के सामान्य होने की प्रतीक्षा करने के लिये कहा है।
महादलित बिनटोला में रह रहे कई परिवार लगातार हो रहे कटाव से चिंतित हैं। एक स्थानीय युवक ने बताया कि एक-डेढ़ महीने पहले अंचलाधिकारी ने कटावस्थल का निरीक्षण करने के बाद कहा था कि जल्द ही इसकी रोकथाम को लेकर काम शुरू किया जायेगा, लेकिन इतने दिन गुज़रने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।
पिछले दो दिनों से सीमावर्ती क्षेत्र सहित नेपाल में कनकई नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में हो रही बारिश के बाद बूढ़ी कनकई नदी में पानी बढ़ा तो धनतोला पंचायत के बिहारटोला बूढ़ी कनकई नदी में डॉल्फिन अठखेलियां करता देखा गया।
कोसी बराज से 4 लाख 62 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण व्यथा का यह गीत लोगों की जुबां पर फिर से आ गया है। बराज से पानी छोड़े जाने से कोसी दियारा क्षेत्र में बाढ़ की प्रबल आशंका बन गई है। कोसी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।