Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

बारिश में कमी देखते हुए धान की जगह मूंगफली उगा रहे पूर्णिया के किसान

चिन्मयानंद ने इस सीज़न करीब 1 हेक्टेयर ज़मीन में मूंगफली लगाई थी। उनके अनुसार एक हेक्टेयर ज़मीन पर खेती में करीब 12 से 13 हजार रुपये की लागत आती है। आम तौर पर 1 क्विंटल बीज लगाने पर 7 से 8 क्विंटल फसल की उपज होती है।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :

मूंगफली एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। हमारे देश में यह गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में सबसे अधिक उगाई जाती है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में भी इसे काफी महत्वपूर्ण फसल माना जाता है। हालांकि इन दिनों बिहार के विभिन्न जिलों, खासकर सीमांचल क्षेत्र में मूंगफली की खेती में वृद्धि हो रही है।

पूर्णिया जिले के श्रीनगर प्रखंड अंतर्गत खुट्‌टी धुनैली पंचायत के रहने वाले चिन्मयानंद सिंह ने इस बार मूंगफली की अच्छी फसल तैयार कर ली। चिन्मयानंद बताते हैं कि पूर्णिया जिले में पिछले 6-7 वर्षों से मूंगफली की खेती की जा रही है। खरीफ़ सीज़न में पिछले कुछ वर्षों में इस इलाके में बारिश में कमी देखने को मिली है जिससे धान की खेती प्रभावित हुई है। किसानों ने वैकल्पिक खेती के तौर पर मूंगफली उगाना शुरू किया, जिसमें उन्हें सफलता मिली।

आगे उन्होंने कहा कि खेत में सही समय पर दवाइयों के छिड़काव और बरसात की मदद से करीब साढ़े तीन महीने में मूंगफली की अच्छी फसल तैयार हो जाती है जो हाइब्रिड धान जितना मुनाफ़ा देती है। पिछले कुछ सालों में खरीफ़ सीज़न में धान रोपण में कमी आई है और मूंगफली की खेती में इज़ाफ़ा हुआ है।


चिन्मयानंद ने इस सीज़न करीब 1 हेक्टेयर ज़मीन में मूंगफली लगाई थी। उनके अनुसार एक हेक्टेयर ज़मीन पर खेती में करीब 12 से 13 हजार रुपये की लागत आती है। आम तौर पर 1 क्विंटल बीज लगाने पर 7 से 8 क्विंटल फसल की उपज होती है।

उनकी मानें तो पूर्णिया जिले में कई किसान मूंगफली की खेती कर रहे हैं। ख़ास कर पूर्णिया – अररिया की सीमा पर बसे गांवों में इसकी सबसे अधिक खेती की जा रही है। क्योंकि इन इलाकों में बालू वाली मिट्टी अधिक है, इसलिए इन ज़मीनों पर मूंगफली की खेती करना बाकी ज़मीन के मुकाबले आसान होता है।

Also Read Story

कटिहार में गेहूं की फसल में लगी भीषण आग, कई गांवों के खेत जलकर राख

किशनगंज: तेज़ आंधी व बारिश से दर्जनों मक्का किसानों की फसल बर्बाद

नीतीश कुमार ने 1,028 अभ्यर्थियों को सौंपे नियुक्ति पत्र, कई योजनाओं की दी सौगात

किशनगंज के दिघलबैंक में हाथियों ने मचाया उत्पात, कच्चा मकान व फसलें क्षतिग्रस्त

“किसान बर्बाद हो रहा है, सरकार पर विश्वास कैसे करे”- सरकारी बीज लगाकर नुकसान उठाने वाले मक्का किसान निराश

धूप नहीं खिलने से एनिडर्स मशीन खराब, हाथियों का उत्पात शुरू

“यही हमारी जीविका है” – बिहार के इन गांवों में 90% किसान उगाते हैं तंबाकू

सीमांचल के जिलों में दिसंबर में बारिश, फसलों के नुकसान से किसान परेशान

चक्रवात मिचौंग : बंगाल की मुख्यमंत्री ने बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा की

चिन्मयानंद सिंह मानते हैं कि मूंगफली की खेती में धान और बाकी फसलों के मुकाबले ज़्यादा सहजता से होती हैं क्योंकि मूंगफली के खेत में दवाइयों के इस्तेमाल से जंगलों का आसानी से सफाया किया जा सकता है। इसके अलावा खरीफ़ सीज़न में मूंगफली उगाना बाकी मौसमों के मुकाबले ज़्यादा आसान होता है क्योंकि इसमें मानसून की बारिश से ही सिंचाई हो जाती है और अलग से सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

Related News

ऑनलाइन अप्लाई कर ऐसे बन सकते हैं पैक्स सदस्य

‘मखाना का मारा हैं, हमलोग को होश थोड़े होगा’ – बिहार के किसानों का छलका दर्द

पश्चिम बंगाल: ड्रैगन फ्रूट की खेती कर सफलता की कहानी लिखते चौघरिया गांव के पवित्र राय

सहरसा: युवक ने आपदा को बनाया अवसर, बत्तख पाल कर रहे लाखों की कमाई

बारिश नहीं होने से सूख रहा धान, कर्ज ले सिंचाई कर रहे किसान

कम बारिश से किसान परेशान, नहीं मिल रहा डीजल अनुदान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?