बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की तरफ से जारी शिक्षक परीक्षा के रिजल्ट में कुल 1,20,336 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। शिक्षक भर्ती परीक्षा में 88 फीसद बिहार के और 12 फीसद बिहार से बाहर के अभ्यर्थियों ने बाजी मारी है। बिहार सरकार के सूचना व जनसंपर्क विभाग ने एक्स (ट्वीटर) पर पोस्ट कर आंकड़ों की पुष्टि की है।
लेकिन, बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों का मानना है कि बिहार से बाहर के उम्मीदवारों को शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में मौका नहीं मिलना चाहिए। अभ्यर्थियों ने डोमिसाइल नीति लागू करवाने को लेकर पटना में विरोध प्रदर्शन भी किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प भी हुई।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को डोमिसाइल को लेकर अपना वादा निभाना चाहिए और शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में डोमिसाइल नीति लागू करनी चाहिए।
अभ्यर्थी लगातार डोमिसाइल लागू करने को लेकर सोशल मीडिया साइट एक्स (ट्विटर) पर #DomicileForBihari हैशटेग चला रहे हैं। बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने एक्स (ट्वीटर) पर पोस्ट किया,
“बिहार की नौकरियों पर पहला हक बिहारियों का है। तेजस्वी यादव जी अपना वादा पूरा कीजिये और शिक्षक बहाली की अधिसूचना के साथ जारी कीजिये।”
आगामी नियुक्तियों में बढ़ेगी गैर-बिहारियों की संख्या
अभ्यर्थियों का मानना है कि शिक्षक बहाली में जो 12 फीसद गैर-बिहारी अभ्यर्थी सफल हुए हैं, आगामी BPSC के दूसरे फेज की नियुक्ति परीक्षा में यह आंकड़ा बढ़ सकता है।
टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ अररिया के कार्यकारी जिलाध्यक्ष मेराज खान ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि जो 12 फीसद बिहार से बाहर के अभ्यर्थी परीक्षा में सफल हुए हैं वो सिर्फ प्राथमिक स्कूलों के लिए सफल हुए हैं, क्योंकि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में बिहार से बाहर के अभ्यर्थियों ने भाग नहीं लिया था।
“चूंकि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक की भर्ती परीक्षा में बैठने के लिए STET में उत्तीर्ण होना जरूरी है, और पिछली STET परीक्षाओं में बिहार से बाहर के अभ्यर्थियों को भाग लेने की इजाजत नहीं थी। लेकिन जब 2023 में STET परीक्षा का आयोजन हुआ तो उसमें डोमिसाइल लागू नहीं था,” उन्होंने कहा।
मेराज खान ने आगे कहा,
“STET 2023 में डोमिसाइल लागू नहीं होने की वजह से बिहार के बाहर के अभ्यर्थियों ने भी बड़ी संख्या में STET परीक्षा में भाग लिया है। आगामी नवंबर में होने वाली BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा में ये अभ्यर्थी भाग लेंगे। इस वजह से आगामी नियुक्त में गैर-बिहारी अभ्यर्थियों का 12 फीसद वाला आंकड़ा बढ़ जायेगा।”
बताते चलें कि आखिरी बार जब 2019 में STET का आयोजन हुआ था तो उसमें डोमिसाइस नीति लागू थी। उस परीक्षा में बिहार से बाहर के अभ्यर्थियों को भाग लेने की इजाज़त नहीं थी।
शिक्षक नियुक्ति से संबंधित खबरें शेयर करने वाला एक्स (ट्वीटर) हैंडल एजुकेटर्स ऑफ बिहार ने पोस्ट किया,
“BPSC TRE में 14 हज़ार दूसरे राज्यों के युवाओं को जॉब मिला है.. “वोट बिहारियों से और जॉब बाहरियों को” नहीं चलेगा!!”
एजुकेटर्स ऑफ बिहार हैंडल के संचलाक कृष्णा से ‘मैं मीडिया’ ने डोमिसाइल नीति को लेकर बात की। कृष्णा ने पुरजोर तरीके से बिहार में डोमिसाइल लागू करने की मांग की।
कृष्णा ने ‘मैं मीडिया’ को बताया,
“बिहार जैसे पिछड़े राज्य, जहां रोजगार के बहुत ज्यादा साधन नहीं हैं, वहां डोमिसाइल लागू होना ही चाहिए। उत्तर प्रदेश में बहुत सारे कारखाने और फैक्ट्रीज़ हैं, जहां वहां के युवाओं को रोजगार मिल जाता है। झारखंड में भी ठीक-ठाक संख्या में कारखाने हैं, लेकिन बिहार में ऐसा नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा,
“बिहार के आस-पास जितने भी राज्य हैं, वहां पर अप्रत्यक्ष रूप से डोमिसाइल लागू है। सरकार वहां डाइरेक्ट डोमिसाइल लागू नहीं करती है, बल्कि कोई न कोई उपाय लगा कर इस चीज़ को लागू करती है। जैसे बंगाल में शिक्षक बनने के लिए बांग्ला भाषा के साथ टीईटी पास होना अनिवार्य है। यह एक तरह से इंडाइरेक्ट डोमिसाइल ही है।”
एक और एक्स हैंडल टीचर इंफो प्वाइंट जो लगातार हैशटेग के समर्थन में पोस्ट कर रहे है, उससे भी डोमिसाइल मुद्दे को लेकर ‘मैं मीडिया’ ने बात की। हैंडल के संचलाक राकेश ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि राज्य की शिक्षक भर्ती में अनिवार्य रूप से डोमिसाइल नीति को लागू किया जाना चाहिए।
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राकेश ने आगे कहा कि बिहार के उप-मुख्यंमंत्री तेजस्वी यादव को अपने वादे के अनुसार राज्य की भर्तियों में डोमिसाइल लागू करना चाहिए, ताकि बिहार के ज्यादा से ज्याद अभ्यर्थियों को मौका मिल सके।
डोमिसाइल पर तेजस्वी यादव का पुराना बयान
तीन साल पहले जब तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष थे, तब उन्होंने कहा था कि यदि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार बनी, तो राज्य में डोमिसाइल नीति को लागू किया जायेगा। उस वक्त बिहार में जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की सरकार थी।
तेजस्वी यादव ने कहा था,
“हमलोगों को बहुत पीड़ा हुई, जब सरकार का यह जवाब आया कि बिहार के लोगों को बिहार में नौकरी नहीं देंगे। हम वादा करते हैं नौजवानों से, इस लड़ाई को हमलोग लड़ेंगे और जब राष्ट्रीय जनता दल की सरकार आयेगी तो सबसे पहले डोमिसाइल कानून को हमलोग लागू करेंगे।”
23 फरवरी 2020 को राष्ट्रीय जनता दल के आधिकारिक एक्स (ट्वीटर) हैंडल से भी एक पोस्ट किया गया था। पोस्ट में तेजस्वी यादव को टैग करते हुए लिखा गया था,
“बेरोज़गारी दूर करने के लिए political will होना चाहिए। हमारे पास वो राजनीतिक इच्छाशक्ति है। हमारी सरकार आएगी तो हम domicile नीति लाएँगे, जिसमें बिहार के निवासियों को 85% आरक्षण मिलेगा। रिक्तियों को भरेंगे और नियमित परीक्षा कराएँगे।”
बिहार के शिक्षक अभ्यर्थी राज्य के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपना पुराना बयान याद दिलाकर शिक्षक भर्ती में भी डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग कर रहे हैं।
डोमिसाइल पर बिहार में राजनीति गरम
शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रदर्शन के बीच राजनीतिक पार्टियां भी डोमिसाइल मामले में कूद गई हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने डोमिसाइल नीति को लागू करने की मांग की। मांझी ने बिहार सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार के हिस्से की सरकारी नौकरियां बेची जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि बिहारी नौकरी पर पहला अधिकार बिहारियों का है, इसलिए बिहारी लोगों को ही नौकरियों में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। मांझी ने आगे कहा कि वोट दे बिहारी और नौकरी ले बाहरी, यह नहीं चलना चाहिए।
मांझी ने एक्स पर पोस्ट कर भी सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड पर निशाना साधा। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि “फूलपुर” की लालच में बिहारियों के भविष्य के साथ सौदा करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
बताते चलें कि जदयू नेता और वर्तमान में बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने दो महीने पहले कहा था कि उत्तर प्रदेश के जदयू कार्यकर्ता चाहते हैं कि नीतीश कुमार यूपी के फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें। दो-तीन रोज़ पहले जदयू यूपी के नेताओं ने नीतीश कुमार से मुलाकात भी की है।
मांझी ने पोस्ट में लिखा,
“उत्तर प्रदेश के JDU नेताओ की नीतीश जी से मुलाकात और संगठन विस्तार की बात ने साबित कर दिया कि शिक्षक नियुक्ति परिणाम में अन्य राज्यों के लोगों के चयन के बहाने जदयू उन राज्यों में अपना विस्तार चाहती है। “फूलपुर” की लालच के लिए बिहारियों के भविष्य के साथ सौदा करना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सुप्रीमो जीतन राम मांझी के बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अरविंद कुमार ने भी बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग कर दी।
उन्होंने कहा
“बिहार में डोमिसाइल नीति लागू होना चाहिए। वोट दे बिहारी और नौकरी पाये बाहरी, यह नहीं चलेगा। बिहार में डोमिसाइल नीति लागू होने से बिहारियों को नौकरी मिलेगी और बेरोजगारों को मौका मिलेगा। और रोजगार ज्यादा से ज्यादा बिहारियों को मिलेगा।”
डोमिसाइल को लेकर संवैधानिक स्थिति
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 16 सार्वजनिक रोजगार के मामलों में कानून के तहत समान व्यवहार की गारंटी देता है और नौकरियों में राज्य को जन्म स्थान या निवास स्थान के आधार पर भेदभाव करने से रोकता है।
संविधान के अनुच्छेद 16 (2) में कहा गया है कि “कोई भी नागरिक, केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थान, निवास या इनमें से किसी भी फर्क के आधार पर किसी भी रोजगार के लिए अयोग्य नहीं माना जायेगा, या राज्य के अधीन किसी कार्यालय या रोजगार के संबंध में उससे भेदभाव नहीं किया जायेगा।“
क्या है अन्य राज्यों में डोमिसाइल की स्थिति
पश्चिम बंगाल
डोमिसाइल लागू होने का मतलब है कि राज्य के स्थाई निवासियों के लिए नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान होगा। समय-समय पर कई राज्य इस प्रावधान को लागू करने की कोशिश करते रहे हैं। बिहार के पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में डोमिसाइल नीति लागू नहीं है। हालांकि, राज्य में कुछ नौकरियों के लिए बांग्ला भाषा बोलना और लिखना आना अनिवार्य है।
उत्तर प्रदेश
इसी प्रकार, आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी डोमिसाइल नीति लागू नहीं है। पूरे भारत से लोग यूपी में हो रही बहाली में भाग ले सकते हैं और राज्य बिना भेद-भाव के नौकरी देगा।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2020 में कहा था कि राज्य की नौकरियों में मध्य प्रदेश के युवाओं को प्राथमिकता दी जायेगी। हालांकि, कितना प्रतिशत सीट मध्य प्रदेश के युवाओं के लिए आरक्षित होगा, इसको लेकर कुछ खुलकर नहीं कहा था।
झारखंड
यूं तो झारखंड में डोमिसाइल नीति लागू नहीं है, लेकिन इसी साल राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह बयान दिया है कि राज्य की नौकरी सिर्फ और सिर्फ झारखंड के युवाओं को दी जायेगी। हेमंत के बयान पर काफी विवाद भी हुआ था।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में नौकरियों में मराठा आरक्षण लागू है। जो लोग मराठी बोल सकते हैं उनको नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती है। वही लोग महाराष्ट्र के स्थायी निवासी माने जाते हैं, जो महाराष्ट्र में पिछले 15 साल से रहते आ रहे हैं।
क्या है डोमिसाइल को लेकर कानूनी वैधता
समय-समय पर राज्यों की तरफ से अपने राज्यों में डोमिसाइल नीति लागू करने की बात कही जाती रही है। लेकिन, राज्यों के हाईकोर्ट और देश के सूप्रीम कोर्ट की ओर से इस तरह के निर्णयों पर कई बार रोक लगाई जा चुकी है।
2019 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की एक भर्ती अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसमें केवल यूपी की “मूल निवासी” महिलाओं के लिए प्राथमिकता निर्धारित की गई थी।
2002 में भी सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति को अमान्य कर दिया, जिसमें राज्य चयन बोर्ड ने “जिले या संबंधित जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के आवेदकों” को प्राथमिकता दी थी।
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