बिन मौसम बरसात के कारण हो रहे फसल नुकसान से बिहार के किसान परेशान हैं। दिसंबर माह में सीमांचल के जिलों में बढ़ती ठंड और बारिश से धान और मकई की फसलों को नुकसान पहुँचा है। किसानों के मुताबिक, जमीन भींगने से मक्के की रोपनी देर से करनी पड़ेगी, जिससे उपज में कमी आएगी। सबसे अधिक नुकसान धान की फसलों को हो रहा है।
अचानक बारिश से फसलों को नुकसान
ठंड के दिनों में रबी फसलों की बुआई के लिए किसान तैयार हो रहे थे, लेकिन बे मौसम बारिश ने उनकी तैयारी को फीका कर दिया। किसानों ने खेतों में पकी हुई धान की फसलें रखीं थीं, गुरुवार को हुई अचानक बारिश से उन फसलों को नुकसान हुआ।
बिहार के अररिया जिला स्थित सिमराहा के किसान श्यामदेव ने बताया कि कटाई के बाद खेत में रखा धान बारिश के पानी में सड़ने लगा है। मक्के की रोपाई के लिए खेतों में दिया गया खाद भी बारिश के कारण खराब हो चुका है।
अनपेक्षित वर्षा से निचली भूमि के खेतों में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे धान, मकई के अलावा आलू, चना, सरसों जैसी रबी फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है।
स्थानीय किसान मोहम्मद अकबर आलम ने बताया कि बारिश से खेतों को नुकसान तो हो ही रहा है, इसके अलावा किसान सामान्य मूल्य से महंगे बिक रहे खाद से खासे परेशान हैं। बाज़ार में खाद की कमी भी देखी जा रही है जिससे किसानों को मुनाफा कम हो रहा है। किसान को हो रहे नुकसान पर उन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग की।
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क्या बोले जिला कृषि पदाधिकारी?
इस मामले में हमने अररिया जिला कृषि पदाधिकारी संजय शर्मा से बात की। उन्होंने कहा कि हल्की बारिश होने से मिट्टी नम ज़रूर होगी, लेकिन फसलों के नुकसान का दायरा कम रहेगा। चूंकि मक्के के पौधे अभी छोटे हैं, इसलिए बहुत अधिक नुकसान नहीं पहुंचेगा। आगे उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के द्वारा किसानों को गेहूं, चना, मक्का आदि का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है।
कृषि पदाधिकारी से हमने अधिक मूल्य पर खाद बिक्री से जुड़े मामले पर भी सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि लाइसेंस वाली खाद दुकानों पर सरकार के द्वारा एक नंबर दिया गया है जिस पर किसान अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायत दर्ज करने पर खाद डीलर की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
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