प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि साल 2022 तक देश के किसानों की कमाई दोगुनी हो जाएगी, लेकिन अब खेती के लिए सबसे जरूरी चीज खाद खरीदना ही किसानों के लिए एक जंग बन गया है।
देशभर में खाद की किल्लत चल रही है, जिससे रबी सीजन की बुआई बुरी तरह प्रभावित हुई है। बिहार में भी खाद की किल्लत ने विकराल रूप ले लिया है। किसानों का कहना है कि दिन-दिन भर लाइन में लगे रहने के बावजूद खाद नहीं मिल रही। कुछ जगहों पर तो रात से किसान लाइन में लग जा रहे हैं ताकि खाद मिल जाए। गुरुवार को खाद वितरण को लेकर अररिया जिले के नरपतगंज ब्लाॅक में पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में हो रही खाद की बिक्री के दौरान ही जबरदस्त हंगामा हो गया। हालात इस कदर बेकाबू हो गये कि पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और आरोप है कि हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी।
एक साल के protest और सैंकड़ों किसानों की शहीद के बाद 19 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने विवादित Farm Bills या हिंदी में कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषण की और उन्होंने इसके लिए देश से माफ़ी भी मांगी। 2014 में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद ये शायद पहला मौका था, जब उन्होंने देश से माफ़ी मांगी हो। 30 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही उन्होंने अपनी घोषणा को अमलीजामा पहनाते हुए आधिकारिक तौर पर Farm Bills वापस ले लिया। देश के किसान इसकी ख़ुशी मना सकते हैं, लेकिन बिहार के किसान नहीं। क्यूंकि, बिहार में ये कानून पिछले पंद्रह सालों से लागू है। और बिहार की राजनीति में इसको लेकर जितना सन्नाटा है, लगता नहीं है आने वाले दिनों में भी बिहार से ये कृषि कानून हटेगा।
पूर्णिया जैसी ही स्थिति किशनगंज और अररिया के साथ-साथ समस्तीपुर, सुपौल और बेगूसराय के किसानों की भी है। बारिश के कारण इन जिलों की फसल भी ख़राब हो गई है।
किसानों द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुर किए आंदोलन को 26 मई 2021 को छह महीने पूरे हो गए। जिसको देखते हुए किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी इस लड़ाई की याद में 26 मई को ‘काला दिवस’ Black day मनाया।
बिहार के कटिहार जिले के उदामारहिका के किसान इन दिनों काफी परेशान हैं। कटिहार जिले के सदर विधायक तारकिशोर प्रसाद सूबे के उपमुख्यमंत्री हैं। कभी के किसान के लिए गोभी की फसल काफी लाभदायक हुआ करती थी, लेकिन अब कोभी किसान अपनी किस्मत को रो रहे हैं।
मिथिलांचल की सांस्कृतिक एवं पारम्परिक पहचान मखाना को लेकर कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने अंततः "मिथिला मखाना”के नाम पर जीआई टैग लाने की मांग मान ली है।
पूर्णिया के बनमनखी चीनी मिल को बंद हुए वर्षों बीत गए और उसमें काम करने वाले कई कर्मी अब नहीं रहे। लेकिन, खंडहरनुमा चीनी मिल हर चुनाव में बड़ा मुद्दा बन जाती है।
मक्का किसानों द्वारा रंगदारी टैक्स नहीं देने पर दियारा में गूंजी बंदूके, कटिहार के बाघमारा दियारा में तैनात पुलिस और अपराधियों के बीच चली 20 राउंड गोली।
किसानों की मानें तो पैक्स द्वारा उन्हें बताया जाता है कि कॉपरेटिव बैंक का खाता Yes Bank में है जिससे अभी कोई लेनदेन नहीं हो रही है, ऐसे में मधेपुरा के किसान परेशान हैं।
पूर्णियाँ विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजित किया गया। इस सेमीनार में बिहार एवं अन्य विश्वविद्यालयों के शोधार्थी एवं शिक्षकों ने भाग लिया।