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मखाना की खेती को लेकर सेमिनार का आयोजन

पूर्णियाँ विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजित किया गया। इस सेमीनार में बिहार एवं अन्य विश्वविद्यालयों के शोधार्थी एवं शिक्षकों ने भाग लिया।

Reported By JP Mishra |
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Seminar on Makhana farming organised

शुक्रवार को पूर्णियाँ विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजित किया गया। इस सेमीनार में बिहार एवं अन्य विश्वविद्यालयों के शोधार्थी एवं शिक्षकों ने भाग लिया।


स्वागत भाषण में वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ शब्बीर हुसैन ने दिया । उन्होंने “पूर्णियाँ प्रमंडल में मखाना (यूरेल फेरॉक्स) की खेती, प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग की वर्तमान स्थिति एवं संभावनाएँ” विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने राष्ट्रीय सेमिनार में आये सभी अतिथियो, शिक्षकों, शोधार्थियों एवं छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने मखाना पर वृहत चर्चा की एवं कुलपति प्रो. राजेश सिंह को धन्यवाद दिया और उनकी दूरदृष्टि की सराहना की।

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Seminar on Makhana farming organised
सांकेतिक तस्वीर

अध्यक्षीय भाषण में प्रति-कुलपति प्रो. राजनाथ यादव ने दी। उन्होंने कहा कि कोशी क्षेत्र में भारत में सबसे ज्यादा मखाना की उत्पादन करने के बावजूद इसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान अबतक नहीं बन पायी है। यहाँ के किसानों को आधुनिक तौर-तरीके अपनाकर मखाना की खेती करके विश्व पटल पर पूर्णियाँ प्रमंडल का नाम रौशन करना है। उन्होंने कहा कि मखाना की खेती करने में किसानों हो रही कठिनाइयों एवं मखाना उत्पादन के दौरान में होने वाली बीमारी एवं उसके उपचार को अवगत कराया गया है।


सेमिनार के मुख्य अतिथि वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के प्रति-कुलपति डॉ नंद किशोर साह ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मिथिलांचल और देश की आर्थिक उन्नति में मखाना का बहुत योगदान है। उन्होंने मखानें की खेती, प्रोसेसिंग और इसके औषधियों गुणों एवं प्रभावों को विस्तार से बताया। उन्होंने उल्लेख करते हुए कहा कि यह क्षेत्र एक मुल्य रुप से कृषि अर्थव्यवस्था से जुड़ी है। इस क्षेत्र में अधिंकाश आबादी मखाने की उन्नत खेती कर क्षेत्र में रोजगार, एवं स्व-आजीविका प्रदान कर रहा है। मखाने की खेती अब न सिर्फ कोशी क्षेत्र सीमित रहा है बल्कि आज कि स्थिति में बिहार से साथ-साथ अन्य राज्यों में भी वृहद पैमाने पर हो रहा है।

धन्यवाद ज्ञापन देने के दौरान अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो. पवन कुमार झा ने सभी अतिथि को धन्यवाद दिया। मंच संचलान डॉ प्रेरणा ने किया। दूसरे सत्र में पूर्णियाँ विश्वविद्यालय एवं अन्य विश्वविद्यालय के शोधार्थी ने अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। अपने शोध पत्र के जरिये स्थानीय वैज्ञानिक डॉ आसिफ इकबाल ने भी मखाना उत्पादन के बारे में जानकारी प्रस्तुत की। सेमिनार में डीन मानविकी प्रो. गौरी कांत झा, डीन वाणिज्य डॉ टीएन झा, कुलानुशासक प्रो. दिलीप कुमार झा, सीसीडीसी डॉ. एस.एन. सुमन, सभी विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. सी.के. यादव, पूर्णियाँ कॉलेज के प्राचार्य, विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक, शिक्षकेत्तर, वनस्पति विभाग के अतिथि शिक्षक एवं छात्र-छात्रा उपस्थित थे।

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