मनजीत मंडल बताते हैं कि उन्होंने पहले सेब के कुछ पेड़ लगाकर ट्रायल किया था। नतीजा अच्छा निकलने पर साल 2021 में उन्होंने अपनी जमीन पर इसकी खेती करने का फैसला किया।
अररिया जिले का एक अनपढ़ किसान शिमला मिर्च, गाजर के साथ अन्य सब्जियों की खेती कर दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
शीतलहर और ठंडी हवा से अब फसल पर भी खतरा मंडराने लगा है। पछुआ हवा और बढ़ती कनकनी के कारण सबसे ज्यादा आलू की फसल प्रभावित है।
अभी के हालात को देखें तो लगभग दो दर्जन से भी अधिक देसी प्रजातियों के धान लुप्त होने की कगार पर हैं। साथ ही परम्परागत रूप से उसना चावल व चूड़ा तैयार करने का काम भी विलुप्त हो गया है।
दार्जिलिंग के संतरे हमेशा से प्रसिद्ध रहे हैं लेकिन पिछले दो तीन सालों में इसके उत्पादन में भारी कमी आने से यहां के किसानों को वादी के इस पारंपरिक फल उत्पादन के अंत का डर सताने लगा है।
गेहूं और धान की तुलना में मक्का, किसानों को ज्यादा फायदा देता है। इसके बावजूद कोसी क्षेत्र के किसान मक्के की खेती से दूर हो रहे हैं।
बिहार में खरीफ सत्र 2022-23 के लिए एक नवंबर से उत्तर बिहार और 15 नवंबर से दक्षिण बिहार में धान की खरीद शुरू हो गई है।
फलका प्रखंड क्षेत्र के महेशपुर, राजधानी, सालेहपुर एवं गोविंदपुर बहियार में कृषकों के खेत में लगी मक्के की फसल गलत कीटनाशक पाउडर के इस्तेमाल से बर्बाद हो गई।
किशनगंज जिले में स्थित फिशरीज कॉलेज इन दिनों महानंदा नदी में पाई जाने वाली मछलियों की विभिन्न प्रजातियों पर काम कर रहा है और अब तक के शोध में नदी में मछलियों की 40 से अधिक प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है।
जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत सुपौल जिले में पीपरा प्रखंड के दीनापट्टी पंचायत स्थित सखुआ गांव में राजा पोखर पर फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाया गया।
मनवीर आलम छोटे किसान हैं। उनके पास लगभग 6 बीघा जमीन है। उन्होंने ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की खेती के बारे में सुना है, लेकिन इसमें आनेवाली लागत इतनी ज्यादा है कि चाहकर भी वह इसकी खेती नहीं कर पाएंगे। “हमलोग छोटे किसान हैं। उतना पैसा कहां से लाएंगे ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के […]
“पहले मैं 4 बीघा खेत में धान और गेहूं की खेती करता था। इनमें लगभग 2 बीघा खेत की जमीन गहरी थी। जब बारिश ज्यादा होती थी, तो फसल बर्बाद हो जाती थी। इसलिए पिछले साल के फरवरी में मैंने मखाना की खेती शुरू की। पिछले साल मुझे लगभग 60-70 हजार रुपए का लाभ मिला। […]
भारत के कई राज्यों में लम्पी वायरस (Lumpy Virus) का कहर व्यापक स्तर पर देखा जा रहा है। इस वायरस की वजह से सिर्फ राजस्थान में 50,000 से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है और लाखों संक्रमित हैं। राजस्थान के अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की कुछ जगहों पर भी इस वायरस […]
किशनगंज के दिघलबैंक के तौकीर अहमद और ज़ैद मुखिया ने पार्टनरशिप में पिछले साल अंडे का कारोबार शुरू किया है जिससे वे अपने ही इलाके में अंडों की सप्लाई कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री फसल सहायता योजना के जरिये बिहार सरकार किसानों को किसी आपदा के कारण हुए फसल नुकसान के लिए मुआवजा देती है।