अररिया: पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से बनाई गई हाईटेक नर्सरी 15 वर्षों के बाद भी विभागीय उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकी है और यह धूल फांक रही है। हाईटेक नर्सरी में बनाए गए सभी ग्रीन हाउस व अत्याधुनिक पौधा निर्माण करने वाले हाउस अब बेकार हो गए हैं।
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सरकार का उद्देश्य था कि जिला सहित आसपास के इलाकों में पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए इस हाईटेक नर्सरी में रोग रहित पौधे तैयार किया जाए। इसके लिए लाखों रुपये खर्च किये गये, लेकिन, यह नर्सरी अब लगभग बेकार हो गयी है। इस नर्सरी के सभी ग्रीन हाउस टूट फूट गए हैं।
साल 2007 में नर्सरी का निर्माण शुरू किया गया था और साल 2008 में यह बनकर तैयार हुआ था। हाईटेक नर्सरी में इस तरह के पौधे तैयार किये जाने थे, जो इस इलाके के मौसम के अनुकूल होते और इन पौधों में बहुत कम खाद और पानी की जरूरत होती। साथ ही ये पौधे रोग रहित होते। इस तरह के पौधे तैयार करने के पीछे लक्ष्य था उत्पादन लागत में कमी लाना, पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाना।
दो जिलों का हुआ था नर्सरी के लिए चयन
यहां यह भी बता दें कि पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग की तरफ से बिहार के 2 जिलों को ऐसे हाईटेक नर्सरी बनाने के लिए चयनित किया गया था। एक वैशाली जिले का हाजीपुर और दूसरा अररिया। साल 2008 में अररिया के पूर्णिया सीमा स्थित करियात में दो हेक्टेयर जमीन पर इस हाईटेक नर्सरी का निर्माण कराया गया।

वहां, 6 ग्रीन हाउस बनाए गए थे, जिनमें से तीन ग्रीन हाउस में पौधों को तैयार किया जाना था और तीन हाउस में उन पौधों का ट्रीटमेंट कर रोग से लड़ने के अनुकूल बनाया जाना था। लेकिन सभी 6 हाउस में एक भी पौधे को तैयार नहीं किया जा सका और लाखों की संपत्ति यूं ही नष्ट हो गई।
पर्यावरण के जानकारों ने बताया कि जिले के लिए यह हाईटेक नर्सरी गौरव की बात थी, क्योंकि इस इलाके में पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए जिन पौधों को यहां तैयार किया जाना था, वे पौधे रोगों से लड़ने की क्षमता रखते और अपने आप को विकसित करने में सक्षम होते, जो पर्यावरण के लिए काफी अनुकूल होता।

कई जानकारों ने बताया कि यहां नर्सरी के रूप में बड़े पैमाने पर इसे विकसित किया जाना था। क्योंकि इस इलाके में कई ऐसे पेड़ पौधे हैं जो काफी महत्वपूर्ण हैं।
बताया जा रहा है कि वन विभाग की देखरेख के अभाव में यह नर्सरी बर्बाद हो गयी।
बताया जा रहा है कि इस नर्सरी में शीशम, सागौन जैसे महत्वपूर्ण और कीमती पेड़ों के लिए पौधे तैयार होने थे। ये पेड़ बाजार में काफी महंगे बिकते हैं और इनसे फर्नीचर आधि का निर्माण किया जाता है। इस तरह के पौधे तैयार करने के पीछे एक अर्थव्यवस्था भी विकसित करना था, ताकि स्थानीय लोग इन पौधों को लेकर अच्छी आय कर सकें।
जानकारी के अनुसार, क्षेत्र में लगे विशाल पेड़ अचानक सूखने लगे थे। यह घटना करीब डेढ़ दशक पहले की है। बताया जाता है कि अररिया जिला सहित सीमांचल के इलाके में बड़े पैमाने पर निजी और सरकारी शीशम के पेड़ अचानक सूखने लगे थे। नहर के किनारे लगाए गए शीशम के पेड़ जो लगभग अपनी जवानी पर थे, उनका भी सूखना शुरू हो गया था।

यह पर्यावरण प्रेमियों के साथ विभागीय लोगों के लिए भी चिंता का विषय हो गया था। बिहार सरकार से संबद्ध विज्ञानियों ने पेड़ों के सूखने की घटना को लेकर कई शोध किए, लेकिन यह पता नहीं चल पाया कि पेड़ क्यों अचानक सूख गए। इन पेड़ों के सूख जाने से सरकार और आम लोगों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था। तब पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग ने अररिया में हाईटेक नर्सरी का निर्माण करने का निर्णय लिया था, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं का दोहराव न हो।
नर्सरी के प्रांगण में एक वन संसाधन केंद्र का निर्माण कराया गया था। इस भवन के निर्माण पर लाखों रुपए खर्च किए गए। इस भवन में व्याख्यान के लिए हॉल और अतिथियों के लिए कई लग्जरी रूम भी बनाए गए। लेकिन, जानकारी के अनुसार यहां सिर्फ एक दो बार ही बड़ी मीटिंग हो पाई।

नर्सरी के गार्ड छोटे लाल ने बताया कि इस भवन में कभी कभार वन विभाग की ओर से मीटिंग की जाती है। बाकी समय बंद रहता है। उन्होंने बताया कि जब यह हाईटेक नर्सरी बनकर तैयार हुई थी, तो इसमें कई अत्याधुनिक उपकरण भी लगाए गए थे। लेकिन, उन उपकरणों पर भी चोरों ने अपना हाथ साफ कर लिया। इसको लेकर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई। लेकिन, उन उपकरणों का आज तक पता नहीं चल पाया।
बांस उपचार संयंत्र भी बेकार
बांस पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं और ग्रामीण इलाकों में यह कमाई का एक जरिया भी है क्योंकि बांस से कई तरह के सामान बनाये जाते हैं जिनका इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों के घरों में किया जाता है। अब तो बांस से सजावटी सामान भी बन रहे हैं और शहरी क्षेत्रों में इसका एक बड़ा मार्केट भी है।

नर्सरी के प्रांगण में पिछले साल तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और अररिया के सांसद प्रदीप सिंह और अन्य विधायकों की उपस्थिति में बांस उपचार संयंत्र व सामान्य सुविधा केंद्र का उद्घाटन किया गया था। इस बांस उपचार संयंत्र और सामान्य सुविधा केंद्र का मुख्य उद्देश्य था कि बांस का ट्रीटमेंट कर उन्हें रोग रहित बनाया जाए।
इस इलाके में बांस की पैदावार अधिक होती है, उसे मजबूती से स्थापित किया जाए और लोगों को बांस की खेती करने के लिए प्रेरित किया जाए ताकि उन्हें आय का एक स्थाई स्रोत मिल सके। लेकिन, यह केंद्र भी उद्घाटन के बाद से आज तक खुल नहीं पाया।
आम नर्सरी बनकर रह गई
नर्सरी में कार्यरत गार्ड राजेश यादव ने बताया कि अब यहां पर सामान्य नर्सरी बनाई गई है, जहां विभिन्न प्रजाति के पेड़ पौधे विकसित किये जा रहे हैं। आम लोगों को यहां से पौधे खरीदने की भी अनुमति है। यहां किसी भी प्रकार का पौधा मात्र 10 रुपये में उपलब्ध हो जाता है। गार्ड ने बताया कि अभी यह नर्सरी लगभग 2 एकड़ में फैली हुई है। बस यहां सिर्फ इसी नर्सरी का उपयोग हो रहा है। बाकी जगहों पर बने सारे केंद्र अब बेकार हो गए हैं।
उन्होंने बताया कि इस हाईटेक नर्सरी की देखरेख के लिए दो गार्ड हैं।

नर्सरी के प्रांगण में पौधों में पानी डालने के लिए 3 वाटर टावर भी लगाए गए हैं, जो लगभग निष्क्रिय हैं। गार्ड ने कहा, “एक टंकी काम करता है और उसी से हम लोग नर्सरी के पौधों में पटवन करते हैं।”
क्या कहते हैं अधिकारी
सरकारी अधिकारियों ने इस हाईटेक नर्सरी के निष्क्रिय होने के पीछे रखरखाव पर ध्यान नहीं देने को मुख्य वजह बताया।
डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर अभिषेक प्रसाद ने मैं मीडिया से कहा, “जिले के करियात में बनाई गई हाईटेक नर्सरी की योजना को सरकार ने अब बंद कर दिया है, क्योंकि मेंटेनेंस के अभाव में यह नर्सरी पूरी तरह काम नहीं कर पाई। अब वहां सामान्य नर्सरी शुरू की गई है, जहां से आम लोगों को बहुत कम खर्च पर पौधे उपलब्ध कराये जाते हैं।”
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