किशनगंज (Kishanganj News) में हाथियों का उत्पात जारी है। सोमवार की अहले सुबह हाथियों के झुंड ने जिले की दिघलबैंक (Dighalbank News) पंचायत अंतर्गत रामपुर काॅलोनी बस्ती में उत्पात मचाया। हाथियों ने रामपुर काॅलोनी के लखीराम सोरेन, बुध रॉय, राजू दास, लक्ष्मी देवी सहित कुल छह परिवारों के कच्चे घरों को तोड़ दिया है जबकि घर अंदर रखा अनाज जिसमें चावल, धान, सब्जी आदि को बर्बाद कर दिया। हाथियों ने फसलों को भी नुकसान पहुंचाया।

एक किसान ने बताया कि अब तक कई बार हाथियों ने घर और फसल बर्बाद कर दिया, लेकिन न तो सरकार ने मुआवजा दिया और न ही कभी मुआयना करने आया।

ग्रामीणों की मानें तो हाथियों का झुंड जैसे ही गाँव में घुसा, लोग एहतियातन घरों से बाहर निकल गये और दूर से घरों को बर्बाद होता देखते रहे। घरों को नष्ट करने के बाद हाथियों का झुंड सुबह होते होते नेपाल की तरफ निकल गया। इससे पहले हाथियों ने रविवार को इंडो नेपाल सीमा पर दिनभर खेतों में डेरा जमाए रखा। हाथियों को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
एक अन्य किसान शाहिद अली ने कहा, “हाथियों के आने पर वे जैसे तैसे बच्चे को लेकर घर से भागे। थोड़ी देर हो जाती तो हाथियों ने मेरे बच्चे को कुचल दिया होता।”

फिलवक्त हाथियों के इस तरह अचानक आने से धनतोला सहित सीमावर्ती क्षेत्रों में लोग सकते में हैं।
उल्लेखनीय हो कि इस इलाके में हाथी अक्सर उत्पात मचाते हैं। पिछले दिनों हाथियों ने सूरी भीटा में भी जमकर उत्पात मचाया था और कई घरों को तोड़ डाला था। स्थानीय लोगों ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र पिछले कुछ सालों से हाथियों का बसेरा बन गया है, जहां कच्चे घर सहित फसलों को हाथियों द्वारा बर्बाद कर दिया जाता है। पिछले साल हाथियों के कुचलने से दो लोगों की मौत भी हो गई थी।
पिछले दिनों बारहभांगा में भी हाथियों ने जबरदस्त उत्पात मचाया था। स्थानीय निवासी आयस अली ने बताया, “दो बजे भोर हाथियों का झुंड आया था। आवाज सुनकर हमलोग जाग गये और घर छोड़कर भागे।”

पिछले दिनों ही हुए हाथियों के हमले की घटना को याद करते हुए धनतोला पंचायत के एक बुजुर्ग कहते हैं, “हंगामा सुनकर मैं उठा और पड़ोस में ही एक घर के पास से हाथियों को देखने लगा। तभी बांस के झाड़ के पास काफी हलचल होने लगी। मैंने घर पर सबको जगाया और यहाँ से दूर भगाया।”
वे आगे कहते हैं, “हाथियों के चीखने की तेज़ आवाज़ आई। सबलोग जमा हुए और आग व धुएं की मदद से हाथियों को भगाने की बहुत कोशिश की, लेकिन हाथी नहीं भागे। एक घंटे तक 2-3 हाथी उत्पात मचाते रहे। उनमें एक हाथी का बच्चा भी था।”

लोगों का कहना है कि अक्सर हाथियों का झुंड उत्पात मचा देता है, लेकिन प्रशासन कभी जानने नहीं आता है कि कितना नुकसान हुआ है।
दिलचस्प बात है कि दक्षिण भारतीय राज्यों और पूर्वोत्तर में हाथियों के हमले के आंकड़े सरकार के पास मौजूद हैं, लेकिन नेपाल और उत्तर बंगाल से सटे सीमांचल में बढ़ रहे हाथियों के उत्पात को लेकर कोई आंकड़ा केंद्र सरकार के पास नहीं है।
जानकारों का कहना है कि नेपाल और उत्तर बंगाल से सटे होने के चलते ही सीमांचल में भी हाथियों के हमले बढ़ रहे हैं।

पिछले साल एक आरटीआई के जवाब में केंद्र सरकारों ने बताया था कि पिछले सात सालों में हाथियों के हमले में देशभर में 3310 लोगों की मौत हुई है। देशभर में हाथियों की संख्या लगभग 27312 है।
जानकारों का कहना है कि चूंकि हाथियों का ठिकाना मानव आबादी के आसपास होता है इसलिए अक्सर हाथी लोगों के घरों की तरफ आ जाते हैं और जान-माल को नुकसान पहुंचाते हैं।
इस संबंध में प्रतिक्रिया के लिए अररिया- किशनगंज के डीएफओ नरेश प्रसाद को “मैं मीडिया” ने फोन किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।