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बिजली की घोर किल्लत ने बढ़ाई किसानों, आम लोगों की समस्या

Aaquil Jawed Reported By Aaquil Jawed |
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dry paddy field

कटिहार: चमड़ी जला देने वाली धूप में मो. नदीम अख्तर का कपड़ा पसीने से भीगा हुआ है। आज वह अपने खेत में एक पुराना पंप सेट लेकर आए हैं। सालों पहले यह पंप सेट खेतों में पानी देने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।


इस पुराने पंपसेट के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि इस वर्ष बारिश नहीं होने और बिजली व्यवस्था ठीक नहीं रहने की वजह से खेती नहीं कर पा रहे है।

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कटिहार जिले के जादेपुर गांव के रहने वाले मोहम्मद नदीम अख्तर कहते हैं, “जब हमारे गांव में बिजली नहीं आई थी, तो सभी किसान पंपसेट पर निर्भर थे, लेकिन जब गांव में बिजली आ गई, तो किसान पंपसेट के जगह मोटर से पानी निकालने लगे। आजकल कटिहार जिले के बारसोई अनुमंडल क्षेत्र में बिजली की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है।”


वह खेतों में धान लगाने के लिए पिछले चार-पांच दिनों से पानी देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लो वोल्टेज की वजह से मोटर बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है और तार जल जाता है। इसलिए, मजबूरन पुराने पंप को ठीक करवा कर खेत में लेकर आए हैं।

tractor tilling field

लो वोल्टेज से नहीं चलते मोटर

पास ही एक अन्य खेत में पाइप समेटते हुए रामप्रसाद दिखाई पड़े। राम प्रसाद ने बताया, “हम लोग मजदूरी करते हैं। ज्यादा जमीन नहीं होने की वजह से दूसरों की जमीन पर आधी फसल लगाते हैं, लेकिन इस बार खेती करने में बहुत मुश्किल हो रही है।”

राम प्रसाद ने बताया कि वोल्टेज इतना कम रहता है कि मोटर पानी नहीं निकाल पाता है। वह कहते हैं, “जब खेतों में बिजली आ गई तो हमने पंपसेट बहुत कम कीमत पर बेच दिया था। अगर अगले दो-तीन दिन में बारिश नहीं होती है या बिजली का वोल्टेज नहीं बढ़ता है, तो मजबूरन हमें फिर से नया पंपसेट लेना पड़ेगा, जिसकी कीमत 10,000 से भी ज्यादा है। हमारे पास पैसा नहीं है इसलिए कर्ज पर पैसा लेकर खेती करना हमारी मजबूरी है।”

बढ़ जाएगा खेती का खर्च

खेत में मजदूरों के साथ बैठे मोहम्मद आदिल ने बताया कि इस बार बारिश नहीं हुई है, जिसकी वजह से फसल 15 दिन से ज्यादा देर से लगाई जा रही है। लेकिन उससे भी बड़ी समस्या बिजली की है। जब गांव में बिजली आ गई तो ज्यादा तो लोगों ने पंपसेट को बेच दिया। बहुत किसानों ने बोर भी बंद कर दिया था। सब खुश थे कि अब बहुत ही कम कीमत पर खेतों में पानी दिया जाएगा। लेकिन बारिश के साथ साथ बिजली विभाग ने भी किसानों को धोखा दे दिया।

dry field

उन्होंने बताया कि अब तक चारों तरफ जहां तक नजर जाती, खेतों में फसल नजर आनी चाहिए थी, लेकिन आज सूखी मिट्टी के ढेले नजर आ रहे हैं। किसान परेशान हैं। महंगाई भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है, इसलिए जो ईंधन पहले 70 रुपए लीटर बिकता था, आज वह 100 रुपए के आसपास बिकता है। बड़े किसान तो किसी तरह खेती कर लेंगे लेकिन छोटे किसानों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। उन्हें कहा या तो खेती छोड़ देनी पड़ेगी या फिर दूसरी फसल लगानी होगी।

बिजली की किल्लत से सिर्फ किसानी पर असर नहीं हुआ है बल्कि घरेलू कामों पर प्रभाव पड़ने लगा है क्योंकि बिजली आने से बहुत सारे काम बिजली पर निर्भर हो गये हैं।


यह भी पढ़ें: बारिश नहीं होने से खेती पर असर, 30% से कम हुई धान की बुआई


महिला साथियों के साथ धान बिचड़ा उखाड़ रही अंजली देवी बिजली नहीं आने से होने वाली घरेलू दिक्कतों की तरफ ध्यान दिलाते हुए कहती हैं, “मजदूरी करने के बाद वह जल्दी घर नहीं जाना चाहती है क्योंकि घर में वोल्टेज बहुत कम होने की वजह से पंखा नहीं चलता है, इसलिए खेतों के आसपास पेड़ के नीचे बैठी रहती हैं।”

उन्होंने बताया कि जब रात होने पर घर पहुंचती हैं, तो खाना बनाने में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। ज्यादातर वक्त बिजली नहीं रहती है। अगर आती भी है तो वोल्टेज नहीं। मजबूरी में दुकान से मोमबत्ती खरीद कर जलाना पड़ता है ताकि खाना पका सकें।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार हर महीने बिजली बिल लेती है, तो सही तरीके से बिजली क्यों नहीं देती है।

खेत में हमें हड़बड़ी में चलते हुए लखिसर शर्मा दिखाई पड़े। दिन ढल चुका था और शाम का अंधेरा बढ़ रहा था। लखिसर शर्मा ने बताया कि वह बगल के हाट में सब्जी लेने जा रहे हैं। खेत में होने की वजह से दो दिनों से सब्जी नहीं खरीद पाए थे। उन्होंने कहा कि दो दिन से मोटर चला रहे हैं, लेकिन पानी नहीं निकल पा रहा है। पूरा दिन मोटर चलने के बाद भी आधा बीघा खेत में भी धान बोने लायक पानी नहीं भर पाया है।

electric metre on pole

उन्होंने बताया, “अभी बारिश का सीजन है, लेकिन बारिश नहीं हो रही है। मोटर से पानी नहीं निकल पा रहा है। अगर यही स्थिति रही, तो खेती नहीं कर पाएंगे और खेत खाली रह जाएगा।”

अबू ज़फ़र भी एक छोटे किसान हैं और वह भी धान लगाने के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं। फसल के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया, “इस बार फसल मार खा जाएगी। किसान बर्बाद हो जाएंगे। मोटर से पानी नहीं निकल पा रहा है और रात में थोड़ा बहुत पानी निकलता भी है तो बिजली मिस्त्री या वायरमैन आकर लाइन काट देते हैं ताकि गांव में वोल्टेज थोड़ा बढ़ सके।”

“यह किसानी का इलाका है। खेतों में पानी देने लायक वोल्टेज नहीं होगा तो ऐसी बिजली का क्या फायदा कम से कम फसल लगाने के सीजन में है सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए,” उन्होंने बताया।

देवेंद्र शाह मजदूर हैं। उनके पास थोड़ी बहुत अपनी जमीन भी है, जिस पर खेती करते हैं। उन्होंने कहा, “पंप चलाकर खेतों में पानी दिया है। मजदूरी कर 95 से लेकर 97 रुपए लीटर तेल खरीदते हैं और पंप सेट में डालते हैं।”

ईंधन से चलने वाले पंप से खेत पटाने पर फसल की उत्पादन लागत बढ़ जाएगी, जिस कारण किसानों को चिंता है कि इस बार अनाज बेचने पर उत्पादन लागत भी मुश्किल से निकल पाये।

देवेंद्र शाह कहते हैं, “इस बार फायदा कुछ नहीं होगा। मिलजुल कर जितना खर्च होगा, उतना पैसा ही निकल पाएगा। हो सकता है नुकसान भी हो जाए। लेकिन दूसरा विकल्प नहीं है। बचपन से यही करते आए हैं, इसलिए कर रहे हैं।”

paddy plantation

हाजी अतहर हुसैन अपनी जिंदगी के 70 बसंत देख चुके हैं। वह बताते हैं कि उनके समय में पंपसेट भी नहीं हुआ करता था। सिर्फ बारिश के पानी से खेती होती थी। लेकिन जीवन में पहली बार वह ऐसी हालात को देख रहे हैं कि किसान बारिश के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं।

आंकड़े और विभाग

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बिहार को फिलहाल 6400 से 6500 मेगावाट बिजली चाहिए, लेकिन यहां महज 4500 से 4800 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है।

वहीं, कटिहार को रोजाना 120 मेगावाट बिजली की जरूरत है, लेकिन जिले को 80 मेगावाट बिजली ही दी जा रही है।

इस क्षेत्र में बिजली आदमपुर फीडर से आती है। वहां के ऑपरेटर मिथिलेश कुमार ने फोन पर बताया कि बहुत ज्यादा लोड होने की वजह से और बहुत ज्यादा दूर होने की वजह से लो वोल्टेज की समस्या आ रही है।

बारसोई एसडीओ ने फोन पर बताया कि विद्युत उत्पादन में कमी के कारण मांग के अनुसार विद्युत आपूर्ति नहीं हो पा रही है। दिन के समय में पावर की मांग कम रहती है, इसलिए दिन के समय तो लोडशेडिंग कम होती है। शाम और रात के समय बिजली की मांग काफी बढ़ जाती है, इसलिए इस दौरान मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं हो पाने के कारण वोल्टेज की समस्या रहती है।

क्यों हो रही है लोडशेडिंग?

लोडशेडिंग उस स्थिति को कहते हैं, जब मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं हो पाती है। तब जितनी पावर मिल रही होती है, उसी के अनुसार कुछ फीडर को कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता है और कुछ को चालू रखा जाता है। फिर कुछ समय बाद बंद फीडर को चालू और चालू फीडर को बंद किया जाता है। यह प्रक्रिया स्थिति सामान्य होने तक बनी रहती है। कभी कभी ऐसा होता है कि आपूर्ति बिल्कुल नहीं होती क्योंकि तब सभी फीडर बंद रहते हैं। ये सब स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (SLDC, PATNA) के निर्देश पर किया जाता है।

विधायक ने सचिव को लिखा पत्र

स्थानीय विधायक डॉ शकील अहमद खान ने ऊर्जा विभाग के सचिव को पत्र लिखकर निर्माणाधीन विद्युत शक्ति उपकेंद्र बिदेपुर का निर्माण कार्य शीघ्र पूरा कराकर क्षेत्र के लोगों को यहां से नियमित बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग की है।

उन्होंने बताया कि बलिया बेलौन क्षेत्र की 12 पंचायतों को अभी तेलता उपकेंद्र से बिजली सप्लाई हो रही है। इससे लोगों को जरूरत के मुताबिक बिजली नहीं मिल रही है। हमेशा लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है। इस भीषण गर्मी में दस घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है। जब बिजली सप्लाई होती भी है, तो लो वोल्टेज की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

ऊर्जा सचिव को पत्र लिखकर विधायक ने विद्युत शक्ति उपकेंद्र बिदेपुर के निर्माण कार्य में तेजी लाते हुए एक माह में पूरा करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि समय पर कार्य पूरा नहीं होता है, तो लोग सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने को विवश होंगे।


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Aaquil Jawed is the founder of The Loudspeaker Group, known for organising Open Mic events and news related activities in Seemanchal area, primarily in Katihar district of Bihar. He writes on issues in and around his village.

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