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आधा दर्जन से ज्यादा बार रूट बदल चुकी है नेपाल सीमा पर स्थित नूना नदी

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nuna nadi sikti

अररिया ज़िले के सिकटी प्रखंड में नूना नदी ने पिछले कई वर्षों से कहर ढा रखा है। नेपाल के पहाड़ी इलाके से निकली नुना नदी हर साल सिकटी प्रखंड में खेती के साथ करोड़ों रुपये का नुकसान करती है।


हद तब हो गई जब दो वर्ष पहले इस घातक नदी ने अपनी मुख्य धारा को ही बदल दिया और जिस जगह से यह बहती थी, उस जगह वो पूरी तरह से सुख गई। धारा बदल कर जहां पहुंची वहां नदी ने भारी तबाही मचाई। 

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sattelite imagery of nuna nadi changing its route

धारा बदलने से ग्रामीणों में राहत

दो साल बाद नूना नदी फिर अपने पूराने रूट में वापस चली आई है। नूना नदी का बहाव पूरानी धारा में आने से सालगुडी, कचना, कठुआ, बांस बाडी, पडरिया वार्ड नंबर 9 के लोगों में खुशी देखी जा रही है। इन गांवों के लोगों ने राहत की सांस ली।


nuna nadi sikti embankement

ग्रामीण नाजीम, सोएब, रागीब, जफर आदि ने बताया कि नूना नदी ने सितंबर 2020 में दहगामा ईदगाह टोले के पास अपनी धारा में परिवर्तन कर लिया था। इस कारण नूना नदी सालगुडी, कचना, कठुआ, होकर बहने लगी थी। लेकिन जल निस्सरण विभाग द्वारा साढ़े चार करोड़ की लागत से ध्वस्त तटबंध का निर्माण किये जाने से पुनः नूना नदी कालूचौक पड़रिया घोड़ा चौक सिघिया होते हुये बहने लगी है। जिससे लोगों ने राहत की सांस ली है। 

ध्वस्त तटबंध का कार्य हुआ शुरू

जल निस्सरण विभाग द्वारा ईदगाह दहागमा टोला से कालू चौक पड़रिया तक पांच करोड़ 59 लाख रुपए का एस्टीमेट बनाकर टेंडर विभाग को सौंप दिया था। लेकिन, विभाग द्वारा स्वीकृति नहीं मिल रही थी। मगर, स्थानीय लोगों ने हार नहीं मानी। तब पूर्व प्रखंड प्रमुख ने सांसद प्रदीप कुमार सिंह, विधान परिषद डॉ दिलीप जायसवाल व विधायक विजय कुमार मंडल को इससे अवगत कराया।

सांसद प्रदीप कुमार सिंह व विधायक विजय कुमार मंडल ने प्रभावित इलाके सालगुडी, कचना व ईदगाह टोला दहगामा का जायजा लिया। पूर्व प्रमुख कमरूज्जामा ने भी सांसद, विधायक व विधानपरिषद को जल संसाधन मंत्री से बात कर तटबंध निर्माण की स्वीकृति दिलाने की बात कही। इस तरह आखिरकार साढ़े चार करोड़ रुपए की लागत से ध्वस्त तटबंध के निर्माण की स्वीकृति मिली। 

नेपाल में नूना नदी की दोनों तरफ बनाये बनाये गये तटबंध 

नेपाल सरकार ने भी नूना नदी से अपने क्षेत्र में आने वाली बाढ़़ को लेकर सुरक्षा का इंतजाम किया है। नेपाल में नूना नदी की दोनों तरफ तटबंध का निर्माण, भारतीय सीमा तक कर दिया गया है। जिस कारण नेपाल में नूना नदी तबाही नहीं मचा पाती है, लेकिन नूना नदी जैसे ही भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करती है, तो रौद्र रूप धारण कर लेती है।

workers constructing embankmet on nuna nadi in sikti

पूर्व प्रमुख कमरूज्जामा ने बताया कि भारतीय क्षेत्र में भी जब तक नूना नदी की दोनों ओर तटबंध का निर्माण कर बोल्डर पीचिंग नहीं किया जाता है तब तक नूना नदी तबाही मचाती रहेगी। स्थानीय लोगों का मानना है कि नूना नदी के पुराने रूट में लौट जाने से अब दहगामा, कालू चौक पड़रिया, घोड़ा चौक, खान टोला पड़रिया, बलीगढ, सिघिया गांव में तबाही मचेगी।

कब-कब नूना नदी ने किया है धारा परिवर्तन

नेपाल की सीमा से सटे सिकटी प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली बकरा व नूना नदी अपना रास्ता बदलने में माहिर है। नूना नदी ने वर्ष 1999 में सैदाबाद गांव के पास अपना रास्ता बदल लिया था। सैदाबाद गांव के पास रास्ता बदलने के कारण नूना नदी ने वर्ष 1999 में भारी तबाही मचाई थी।

नूना नदी के रास्ता बदलने के कारण दर्जनों परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा था। पहले नूना नदी सोनापुर गांव के आगे बह रही थी, लेकिन वर्ष 1999 के भीषण बाढ़ में नूना नदी के रास्ता बदलने के कारण सैदाबाद सोनापुर गांव के बीच में भारत नेपाल पीलर संख्या 158/43 नूना नदी की तेज धारा में बह गया था। दो माह पूर्व सर्वे आफ इंडिया के अधिकारियों ने नूना नदी में भारत नेपाल पीलर संख्या 158/43 के बह जाने की जानकारी अधिकारियों को देने की बात कही थी।

उसके बाद फिर नूना नदी ने वर्ष 2012 में अपना रास्ता परिवर्तन कर लिया था। वर्ष 2012 में नूना नदी के रास्ता बदलने के निशान के तौर पर कठुआ के पास सड़क पर बना आरसीसी पुल का ध्वस्त हिस्सा अब भी पड़ा हुआ है। जहां वर्ष 2012 में दर्जनों जगहों पर सड़क व पुल ध्वस्त हुआ था, वहां ग्रामीणों के सहयोग से बांस का चचरी पुल देकर आवागमन किया जाता है। बाद में जल निस्सरण विभाग द्वारा लगभग 12 लाख की लागत से सैदाबाद गांव के पास तटबंध का मरम्मत कर नूना नदी को पुरानी धारा में ले जाया गया।

वर्ष 2016 में नूना नदी ने सिघिया गांव के पास अपना रास्ता बदल लिया था, जिस कारण पूर्वी इलाके के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया तथा दर्जनों जगहों पर सड़क व पुल पुलिया को ध्वस्त कर दिया था। सैकड़ों परिवारों को राहत शिविर में शरण लेना पड़ा था। जब भी नूना नदी अपना रास्ता बदलती है, तबाही की नई कहानी लिख जाती है।

तटबंध के कार्य का अररिया एसडीओ शैलेश चंद्र दिवाकर ने जायजा लिया

तटबंध पर काम जारी है, लेकिन इसमें अनियमितता को लेकर ग्रामीणों ने ज़िला प्रशासन से शिकायत की। इसकी जांच के लिए अररिया एसडीओ शैलेश चंद्र दिवाकर कालू चौक पहुंचे और तटबंध की मरम्मत का जायजा लिया।

araria sdo shalesh chandra diwakar inspecting nuna nadi

मौके पर मौजूद इंजीनियर को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि अगर इस काम में जरा भी कोताही बरती गई तो कानूनी कार्यवाही होगी। एसडीओ ने कहा कि ये तटबंध काफी महत्वपूर्ण है। अगर यह कमजोर होगा, तो नूना नदी इसे तहस नहस कर देगी, इसलिए ठोस काम होना चाहिए । उन्होंने ग्रामीणों को पूरा भरोसा दिलाया की अब कार्य में सुधार होगा।

तटबंध मरम्मत के बाद मिलेगी राहत: विधायक विजय कुमार मंडल

सिकटी के विधायक विजय कुमार मंडल ने बताया कि हमारा क्षेत्र नेपाल की सीमा से लगा हुआ है। नेपाल की ओर से आने वाली एक दर्जन के करीब नदियां बरसात के दिनों में रौद्र रूप धारण कर लेती हैं। इस कारण कुर्साकांटा, सिकटी और पलासी के इलाकों में भारी तबाही होती है। इस बर्बादी का आंकलन करना नामुमकिन है।

उन्होंने बताया कि बकरा नदी और नुना नदी काफी तबाही मचाती है। इन दोनों नदियों ने अपनी धारा बदल बदल कर कई गांवों को विस्थापित कर दिया है। अभी दो साल पहले नूना नदी ने धारा बदल कर एक दर्जन से अधिक गांवों को विस्थापित किया था। उन जगहों पर करोड़ों की लागत से पुल और सड़क बनाये गए ताकि दोबारा परेशानी नहीं हो। लेकिन जून महीने में नुना फिर अपनी पुरानी धारा पर लौट गई है। अब उसके बचाव के लिए नूना के ध्वस्त तटबंध पर कार्य चल रहा है। तटबंध का काम पूरा हो जाने से दहगामा, ईदगाह टोला, सालगुडी, कचना, कठुआ गांव को राहत मिल जाएगी।


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