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जमीन के विशेष सर्वेक्षण में रैयतों को दी गई ऑनलाइन सेवाओं की क्या है सच्चाई

राजस्व व भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बीते सप्ताह कहा कि भूमि के सर्वेक्षण के दौरान अंचलाधिकारी की लापरवाही से या ठीक ढ़ंग से सरकार का पक्ष नहीं रखने के कारण सरकारी जमीन को रैयत के नाम किया गया, तो संबंधित अंचलाधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी।

Novinar Mukesh Reported By Novinar Mukesh |
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bihar bhumi jaankari

राजस्व व भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बीते सप्ताह कहा कि भूमि के सर्वेक्षण के दौरान अंचलाधिकारी की लापरवाही से या ठीक ढ़ंग से सरकार का पक्ष नहीं रखने के कारण सरकारी जमीन को रैयत के नाम किया गया, तो संबंधित अंचलाधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी।


बिहार सरकार के अनुसार, राज्य के नागरिकों को सुव्यवस्थित भूमि प्रबंधन उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है। सफल भूमि प्रबंधन से मतलब है कि राज्य के सभी नागरिकों को पारदर्शी, सुगम व सुलभ राजस्व प्रशासन व्यवस्था उपलब्ध करायी जाए। इसीलिए सरकारी भूमि को रैयत के नाम पर कर देना एक गम्भीर मुद्दा है। इसी वजह से अपर मुख्य सचिव की सरकारी भूमि के प्रति यह चिंता अपनी जगह सही है।

लेकिन, मूल रैयतों की भूमि के प्रति सर्वेक्षण दल की लापरवाही, गलती को रोक पाना भी सरकार के लिए चुनौती है। यह चुनौती तब है, जबकि सरकार आधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित होने के कारण चालू भूमि सर्वेक्षण को बीते सर्वेक्षणों के मुकाबले अलग बता रही है।


बिहार श्रम मुहैया कराने वाला राज्य है। यहाँ के निवासी काम व कमाई की तलाश में बाहर रहते हैं। उनके लिए यहाँ रहकर अपनी भूमि के सर्वेक्षण का इंतजार करना मुमकिन नहीं। इसका कारण है कि चालू भू सर्वेक्षण में भी किसी राजस्व ग्राम के सर्वेक्षण की कोई पूर्व निर्धारित समय सीमा नहीं है। इसी कारण भूमि सर्वेक्षण से जुड़ी व्यवस्था का ऑनलाइन होना बाहर रह रहे बिहारियों के लिए समावेशी विकल्प है जिसके समुचित संचालन के प्रति राजस्व व भूमि सुधार विभाग के पदाधिकारियों को तत्पर रहने की जरूरत है।

राज्य में भू-सर्वेक्षण (सर्वे) का महत्वाकांक्षी काम जारी है। बिहार सरकार ने भूमि सर्वे के लिए ‘बिहार विशेष सर्वेक्षण व बन्दोबस्त अधिनियम, 2011’ (सर्वे अधिनियम, 2011) अधिसूचित किया है। साल 2021 में राज्य में भू-सर्वेक्षण वाले 20 जिलों के रैयतों के लिए अपनी भूमि के ब्यौरे व वंशावली ऑनलाइन जमा करने की व्यवस्था की शुरूआत हुई। सर्वे अधिनियम, 2011 के तहत रैयतों द्वारा अपनी जमीन का ब्यौरा प्रपत्र 2 में व वंशावली प्रपत्र 3(1) में भर कर अपलोड किया जाना है।

इन दस्तावेज़ों को राजस्व व भूमि सुधार विभाग की वेबसाइट पर मुहैया करायी गयी वेबलिंक पर अपलोड करने के लिए रैयतों को अपने मोबाइल नम्बर के जरिये पंजीकरण कराना होता है। इस लिहाज से अपलोडेड भूमि का ब्यौरा रैयत के मोबाइल नम्बर सहित भूमि सर्वेक्षण के लिए बने डेटाबेस में संरक्षित हो जाता है।

vanshawali application dashboard

विभागीय वेबसाइट पर सूचीवार बिहार विशेष सर्वेक्षण संबंधित ऑनलाइन सेवाओं का ब्यौरा दर्ज़ है। इन सेवाओं की सूची के अनुसार कोई भी रैयत अपने गाँव या शहर में विशेष सर्वेक्षण की स्थिति देख सकता है, रैयत अपने स्वामित्व या धारित भूमि की तय प्रपत्र में स्वघोषणा कर सकता है, खानापुरी पर्चा व खेसरा मानचित्र देख सकता है और इसके आधार पर अपना कोई दावा या आक्षेप कर सकता है।

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इसके अतिरिक्त विभागीय वेबसाइट पर खानापुरी पर्चा के विरूद्ध प्राप्त आपत्ति से संबंधित निपटारा आदेश, प्रारूप खानापुरी अधिकार अभिलेख, प्रारूप मानचित्र, प्रारूप खानापुरी अधिकार अभिलेख के विरूद्ध प्राप्त आपत्ति के निपटारे का आदेश, लगान बन्दोबस्ती दर तालिका, अंतिम प्रकाशित अधिकार अभिलेख, अंतिम प्रकाशित मानचित्र के साथ-साथ नागरिक अधिकार अभिलेख कार्ड (प्रॉपर्टी कार्ड) देख व प्रिंट कर सकता है। हालांकि, सरकार के विभागीय वेबसाइट पर रैयतों को बिहार विशेष सर्वेक्षण से जुड़ी ऑनलाइन सेवाएँ मुहैया कराने का दावा सच्चाई से कोसों दूर है।

dlrs website

अपने गाँव या शहर में सर्वेक्षण की स्थिति देखने की सुविधा की हालत

रैयतों को दी गई इस सुविधा की तह तक जाने पर पता चलता है कि इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए रैयतों को जिला, अंचल व मौज़ा की जानकारी देनी होती है। रैयतों द्वारा इन जानकारियों को दर्ज़ किए जाने के बाद शिविर स्थान का पता, अमीन का नाम व फोन नम्बर, कानूनगो का नाम व नम्बर, शिविर प्रभारी का नाम व नम्बर, भू-सर्वेक्षण की उद्घोषणा की स्थिति सहित कई अन्य जानकारियाँ सार्वजनिक करने की व्यवस्था की गई थी।

dlrs dashboard

मगर, फिलहाल, अज्ञात कारणों से इस विकल्प के जरिये अपने गाँव या शहरों में सर्वेक्षण की स्थिति की जानकारी तक रैयतों की पहुँच बाधित है।

रैयत द्वारा स्वामित्व या धारित भूमि की स्वघोषणा प्रपत्र के जरिये रैयत अपनी स्वामित्व या धारण करने वाली भूमि का ब्यौरा निर्धारित प्रपत्र में भरकर उसे विभागीय वेबसाइट के नियत स्थान पर अपलोड कर सकते हैं।

खानापुरी पर्चा व खेसरावार मानचित्र देखने का विकल्प

बिहार विशेष सर्वेक्षण व बन्दोबस्त अधिनियम, 2011 की धारा 2(7) के अनुसार किस्तवार में तैयार किए गए नक्शे में क्रम के अनुसार नम्बर देने व खेसरा के खानों की पूर्ति को खानापुरी कहा जाता है। अधिकार अभिलेख निर्माण की प्रक्रिया में सर्वेक्षण दल द्वारा किया जाने वाला यह दूसरे चरण का काम है।

विभागीय वेबसाइट पर मौजूद इस विकल्प के तहत रैयत अपनी भूमि का पर्चा व मानचित्र देख सकते हैं। लेकिन, यह सुविधा केवल कुछ जिलों के चुनिंदा अंचलों व मौज़ों के लिए उपलब्ध है।

खानापुरी पर्चा के आधार पर दावा या आक्षेप समर्पित करने का विकल्प

इस विकल्प के तहत फिलहाल 38 में से 20 जिले को सूची में शामिल किया गया है। रैयतों के लिए प्रपत्र 8 निर्धारित किया गया है जिसे सर्वेक्षण की भाषा में दावा या आक्षेपों का प्रपत्र कहते हैं।

रैयतों को प्रपत्र 8 में अपने दावे या आक्षेप ऑनलाइन जमा करने की सुविधा में तकनीकी खामी है। मसलन, उपलब्ध जिलों की सूची में रैयत द्वारा जिलों का चयन तो हो रहा है, लेकिन ‘’अंचलों’’ की सूची विभागीय वेबसाइट के नियत स्थान पर प्रदर्शित नहीं हो रही। यही हाल मौज़ा का भी है।

दावा या आपत्ति के निपटारे का आदेश देखने का विकल्प

किसी रैयत से प्राप्त दावे या आक्षेप के बाद उसका निपटारा सर्वेक्षण दल के संबंधित पदाधिकारियों द्वारा किया जाएगा। दावे के निपटारे के बाद पारित आदेश को विभागीय वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा जिसे रैयत देख सकेंगे।

किसी रैयत को खानापुरी पर्चा के विरूद्ध प्राप्त दावा या आपत्ति के निपटारे का आदेश देखने के लिए मौजूदा ऑनलाइन व्यवस्था के तहत जिला, अंचल, मौज़ा, शिविर, का चयन करना होगा।

फिलहाल, निपटारा आदेश की प्रति कुछ ही जिलों के लिए उपलब्ध है। इस विकल्प के तहत अभी 38 में से 20 जिलों को ही सूची में शामिल किया गया है।

प्रारूप मानचित्र देखने का विकल्प

बिहार विशेष सर्वेक्षण संबंधी ऑनलाइन सेवाओं की सूची में प्रारूप मानचित्र देखने का विकल्प दिखता है।

लेकिन, विभागीय वेबसाइट पर इस विकल्प का होना या नहीं होना बराबर है। अज्ञात वजहों से यह विकल्प ऑनलाइन दिखने के बाद भी रैयतों के लिए अनुपलब्ध है।

वहीं, विभागीय वेबसाइट पर प्रपत्र 14 का विकल्प मौज़ूद है जिसके जरिये रैयत प्रारूप खानापुरी अधिकार अभिलेख के विरूद्ध दावा या आपत्ति ऑनलाइन दायर कर सकते हैं।

इसके तहत रैयतों को अपना जिला, अंचल, मौज़ा, शिविर के चयन के बाद नया खेसरा, प्रतिवादी की जानकारी व भूमि का ब्यौरा दर्ज़ करना होगा। यह विकल्प सुचारू रूप से काम कर रहा है।

अंतिम रूप से प्रकाशित अधिकार अभिलेख देखने का विकल्प

बिहार विशेष सर्वेक्षण व बन्दोबस्त अधिनियम, 2011 की धारा 2 उप धारा 18 के अनुसार, अधिकार अभिलेख का मतलब स्वामित्व, रकबा, स्वरूप, आदि के साथ सर्वेक्षित भूमि की सरकारी दस्तावेज़ों में प्रविष्टि के जरिये अधिकार अभिलेख तैयार किया जाता है। विभागीय वेबसाइट पर रैयतों को अंतिम रूप से प्रकाशित अधिकार अभिलेख देख पाने की सुविधा है। यह उन मौज़ा के लिए है जहाँ सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया गया है। मसलन, पूर्णिया जिला के बनमनखी अंचल का हरपुर मादी मिलिक मौज़ा।

रैयतों के लिए विभागीय वेबसाइट पर भूमि सर्वेक्षण के बाद अंतिम रूप से प्रकाशित मानचित्र देखने का विकल्प दिखता है। हालांकि, इस तक रैयतों की सीधी पहुँच नहीं है।

नागरिक अधिकार अभिलेख कार्ड या प्रॉपर्टी कार्ड प्रिंट करने की सुविधा

विभागीय वेबसाइट पर रैयतों के लिए सर्वेक्षण के बाद अपना अधिकार अभिलेख या प्रॉपर्टी कार्ड प्रिंट करने का विकल्प है। प्रॉपर्टी कार्ड में खाता संख्या, खेसरा संख्या, रकबा, चौहद्दी, भूमि का वर्गीकरण, दखल का प्रकार, नजरी नक्शा आदि दर्ज़ रहेंगे। फिलहाल, ये ऑनलाइन सुविधा केवल दो जिले बेगुसराय व पश्चिम चम्पारण के रैयतों के लिए उपलब्ध दिखता है। इसके लिए उन्हें निर्धारित स्थान पर अपने जिले, अंचल, मौज़ा के चयन के बाद अपना नया खेसरा संख्या दर्ज़ करना होगा।

property card slip
प्रॉपर्टी कार्ड की प्रति

बेगुसराय के राजस्व ग्राम गोहिया(446) अंचल शमहो अखा कुर्हा व नए खेसरा के स्थान पर रैंडमली 33 व 67 बारी बारी से दर्ज़ करने पर प्रॉपर्टी कार्ड का प्रारूप प्रदर्शित होता है। इसी तरह से बेगुसराय के दूसरे अंचल व मौज़ा के रैयतों का प्रॉपर्टी कार्ड भी ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है।

भूमि के सफल व सुगम प्रबंधन के लिए बिहार सरकार द्वारा इस अधिनियम को बने व लागू किये एक दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है। इस अधिनियम व चालू भू-सर्वेक्षण के प्रचार-प्रसार में काफी समय व लोक धन का इस्तेमाल हो चुका है।

चूँकि, चालू भू-सर्वेक्षण में कतिपय कारणों से राज्य से बाहर रह रहे लोगों को शामिल किये बिना ‘बिहार विशेष सर्वेक्षण व बन्दोबस्त अधिनियम, 2011’ को बनाने व लागू करने के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं की जा सकती, इसलिए इस अधिनियम से जुड़ी ऑनलाइन सेवाओं की आसान व अबाधित आपूर्ति विभागीय दायित्व है, जिसमें लापरवाही बीते भू-सर्वेक्षणों की तरह नये भूमि विवादों की सुगबुगाहट है।

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मधेपुरा में जन्मे नोविनार मुकेश ने दिल्ली से अपने पत्रकारीय करियर की शुरूआत की। उन्होंने दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर , एडीआर, सेहतज्ञान डॉट कॉम जैसी अनेक प्रकाशन के लिए काम किया। फिलहाल, वकालत के पेशे से जुड़े हैं, पूर्णिया और आस पास के ज़िलों की ख़बरों पर विशेष नज़र रखते हैं।

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