बिहार के अररिया ज़िले में पिछले दो सालों में पुलिस हिरासत में लगभग आधा दर्जन मौत या विचाराधीन कैदियों के अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु के मामले सामने आए हैं। ये सभी आर्थिक रूप से कमज़ोर, अल्पसंख्यक या महादलित परिवार से हैं।
13 मई, 2020 को मोहम्मद मुमताज़, 31 दिसंबर, 2020 को मोहम्मद अशफ़ाक़, 27 फरवरी, 2021 को इमरान, 14 जून, 2022 को नरेश धरकार और 16 जुलाई, 2022 को मोहम्मद सज्जाद इन कैदियों में शामिल हैं। वहीं एक अन्य कैदी मोहम्मद वसीक ने सदर अस्पताल में इलाज के दौरान जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है।
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पिछले कुछ दिनों में ‘मैं मीडिया’ की टीम ने एक-एक कर इन पांच मृत कैदियों के परिवार से मिलकर उनसे बात की।
13 मई, 2020: मो. मुमताज़, 29 वर्ष
19 अगस्त 2019 को सदर अस्पताल चौक के समीप एक विवाद में जहांगीर टोला निवासी मोहम्मद वसीम की चाकू घोंपकर हत्या कर दी गयी। अररिया शहर के ही आज़ाद नगर निवासी व पान दुकान में काम करने वाले 29 वर्षीय आरोपित मोहम्मद मुमताज को पुलिस ने गिरफ्तार किया।
मई 2020 में अररिया मंडल कारा में मुमताज़ की तबीयत बिगड़ गई और उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी स्थिति गंभीर देखते हुए पटना रेफर कर दिया गया। लेकिन दो दिन बाद फिर उसे सदर अस्पताल, अररिया लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।

उसके परिवार का कहना है कि मुमताज़ तंदरुस्त था, जब तक घर का खाना जेल पहुँचता रहा, वो ठीक था। लेकिन, कोरोना काल में इस पर रोक लगा दी गई। जेल में सही खाना नहीं मिलने से उसकी तबीयत बिगड़ते गई, लेकिन जेल प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उसकी स्थिति जब गंभीर हो गई तब इलाज के लिए ले जाया गया।
31 दिसंबर, 2020: मो. अशफ़ाक़, 48 वर्ष
एक ज़मीन विवाद में मारपीट को लेकर अररिया के पलासी निवासी 48 वर्षीय मो. अशफ़ाक़ और उसके बेटे को पुलिस ने गिरफ्तार किया। तीन महीने जेल में रहने के बाद 31 दिसंबर, 2020 को अररिया सदर अस्पताल इलाज के लिए लाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अशफ़ाक़ के परिवार का आरोप है की मिर्गी की बीमारी बता कर जेल में झाड़ू और चप्पल से अशफ़ाक़ की पिटाई की गई। जेल प्रशासन की लापरवाही की वजह से उसकी मौत हुई है।

मासूम आगे बताते हैं, अशफ़ाक़ के जाने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति और खराब हो गई है। उनके बेटी की शादी में परिवार कर्ज़ में डूब गया, फिर भी दहेज़ पूरे नहीं हुए तो ससुराल वाले उसे लेकर नहीं गए।
27 फरवरी, 2021: इमरान, 35 वर्ष
अररिया के मसेली गांव निवासी 35 वर्षीय इमरान को बौंसी थाने की पुलिस ने हत्या के एक मामले में 27 फरवरी, 2021 की रात हिरासत में लेकर हाजत में रखा। हाजत में उसकी मौत हो गयी।
पुलिस ने मो. इमरान की मौत को आत्महत्या बताया। लेकिन मृतक के परिजनाें ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाकर खूब हंगामा किया। घटना के एक हफ्ते बाद इमरान के पिता लइक ने आरोप लगाया था कि पुलिस इमरान को पीटते हुए मरे हुए मवेशी की तरह आंगन से ले गई थी।

14 जून, 2022: नरेश धरकार, 37 वर्ष
अररिया जिले के फुलकाहा थाना क्षेत्र निवासी 37 वर्षीय नरेश धरकार पेशे से दिहाड़ी मजदूर थे। वह महादलित समुदाय से थे और भूमिहीन थे। नरेश टोकरी बनाने के लिए बांस लाने जा रहे थे। घर से करीब 500 मीटर ही दूर गये होंगे कि रास्ते में ही फुलकाहा थाने की पुलिस ने उन्हें शराब पीने के आरोप में पकड़ लिया और थाने ले गई।
इस घटना के एक हफ्ते बाद 14 जून 2022 की शाम फुलकाहा थाने से नरेश की पत्नी सोलटी देवी को सूचना दी गई कि नरेश की मृत्यु हो गई है।
सोलटी ने पुलिस पर मारपीट का गंभीर आरोप लगाया है। लेकिन, फुलकाहा थाने के एसएचओ नगीना कुमार ने मृतक के परिजनों के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि थाने में किसी ने उसे एक छड़ी भी नहीं मारी है। वह शराब का आदी था।

16 जुलाई, 2022: मो. सज्जाद, 45 वर्ष
45 वर्ष रिक्शा चालक मो. सज्जाद को 13 जुलाई, 2022 को फारबिसगंज पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में अररिया जेल भेजा था। सज्जाद की बेटी निखत बताती हैं कि उनके रिक्शा पर सवारी बैठा था। सवारी के पास से पुलिस को शराब की बोतलें मिलीं, लेकिन पुलिस ने शराब बेचने के आरोप में सज्जाद को भी गिरफ्तार कर लिया।
14 जुलाई को जब उन्हें अररिया मंडलकारा भेजा गया, वो तंदुरुस्त थे। लेकिन 16 जुलाई को सूचना मिली कि उसके पिता सदर अस्पताल में भर्ती हैं। निखत अपने भाई के साथ अस्पताल गई तो उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था।
निखत ने बताया कि पिता के पांव और हाथ में जख्म के निशान थे। ऐसा लग रहा था कि उसके पिता की पिटाई कर बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई है। फारबिसगंज SHO ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि सज्जाद पहले भी कई बार शराब के मामले में जेल जा चुका था।
वहीं, 14 जून, 2022 को घायल अवस्था में अररिया सदर अस्पताल में भर्ती एक कैदी मोहम्मद वसीक ने भी जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हत्या के एक मामले में अररिया मंडल कारा में बंद जोकीहाट के चैनपुर निवासी वसीक ने बताया कि वह जेल कैंपस में टहल रहा था, इसी को लेकर जेल प्रशासन द्वारा झाड़ू लगाने वाले डंडे से उसके साथ मारपीट की गई, जिसमें सिर और एक आंख पर गंभीर चोट लगी।
कानून कहता है कि पुलिस हिरासत में किसी की मौत होने पर प्राथमिकी दर्ज की जाए। साथ ही ऐसी सभी मौतों की सूचना 24 घंटे के अंदर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) को देनी है। दिशानिर्देश यह भी कहते हैं कि पोस्टमार्टम की वीडियो रिकॉर्डिंग होनी चाहिए, क्योंकि हिरासत में होने वाली मौतों के मामले में, पोस्टमार्टम रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण रिकॉर्ड है।
इसको लेकर हमने अररिया पुलिस अधीक्षक और अन्य पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। अररिया जेल अधीक्षक जवाहरलाल प्रभाकर ने हमें बताया की इन मामलों में निर्देशानुसार FIR दर्ज़ की गयी है और इसकी सूचना राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग और बिहार मानवाधिकार आयोग को देकर इन्क्वायरी की जा रही है।
जन जागरण शक्ति संगठन द्वारा जांच की मांग
अररिया में मज़दूरों का एक यूनियन जन जागरण शक्ति संगठन इन मामलों में जांच की मांग कर रहा है। संस्था के सचिव आशीष रंजन कहते हैं कि इस तरह का अत्याचार सबसे गरीब लोगों पर हो रहा है। पूरे पुलिस महकमे में रिफॉर्म की ज़रूरत है। ये लोग अब भी सामंती मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं।
हिरासत में मौत का आंकड़ा
26 जुलाई 2022 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जानकारी दी है की बिहार में 2020-21 में हिरासत में मौत के 159 मामले पंजीकृत किये गए हैं, वहीं 2021-22 में ये आंकड़ा बढ़ कर 237 हो गया। देश भर की बात करें तो 2020-21 में 1940 और 2021-22 में 2544 मामले सामने आये हैं।
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