अररिया: कटिहार जोगबनी एनएफ रेल खंड का अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन कहने को तो मॉडल रेलवे स्टेशन है। लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। कोर्ट रेलवे स्टेशन पर पेयजल, शौचालय, प्रतीक्षालय, बोगी कोडिंग, एटीएम, पूछताछ केंद्र सहित अन्य जरूरी चीजों की समुचित व्यवस्था नहीं है।
शौचालय गंदगी से भरा पड़ा है, तो पेयजल स्थल पर गंदगी के साथ किसी नल से पानी खुद निकल रहा था तो कई नल टूटे हुए हैं। कुल मिलाकर इस रेल स्टेशन की स्थिति काफी खराब है जबकि इस रेलखंड पर सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला कोर्ट रेलवे स्टेशन है।
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1909 में हाल्ट के रूप में शुरू हुआ था अररिया कोर्ट स्टेशन
दरअसल 1909 में इस रेलवे स्टेशन को हॉल्ट के रूप में बनाया गया था। उस वक्त अंग्रेज शासकों ने अपनी सुविधा के अनुसार रेलवे स्टेशन को बनाया था क्योंकि व्यावसायिक दृष्टिकोण से अररिया रेलवे स्टेशन पहले से मौजूद था।
इस हॉल्ट बनाने का उद्देश्य था कि शहर से ये स्टेशन करीब हो और मुख्यालय से यहां पहुंचने में कोई परेशानी न हो। लेकिन, इस स्टेशन के 100 वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी बुनियादी सुविधाओं का आज भी घोर अभाव है। कहने को तो स्टेशन के भवन बड़े बन गए, खूबसूरती भी हो गई, लेकिन स्टेशन आज भी डी श्रेणी में ही आता है।
नहीं है सिग्नल की व्यवस्था
इस स्टेशन पर ट्रेन को खड़ा करने के लिए ना तो सिग्नल की व्यवस्था है ना ही यात्रियों को पूछताछ के लिए कोई खिड़की लगाई गई है, जिससे यात्रियों को ट्रेनों के आवागमन की जानकारी मिल सके। इस स्टेशन से सिर्फ समय सारणी के अनुसार ही आप ट्रेन पर आवागमन कर सकते हैं। ट्रेन लेट है या कब आने वाली है इसकी जानकारी स्टेशन पर किसी भी प्रकार से उपलब्ध नहीं करा पाते हैं। क्योंकि इस स्टेशन पर उस तरह की व्यवस्था रेलवे ने नहीं की है।
कोर्ट स्टेशन सबसे ज्यादा देता है राजस्व
जानकारी के अनुसार कटिहार जोगबनी रेलखंड के अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन का राजस्व देने में पहला स्थान है। इसकी वजह यह है कि यहां से सैकड़ों की संख्या में रोजाना मजदूर दूसरे प्रांतों में पलायन करते हैं। बता दें कि यात्रियों की भीड़ को देखकर तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस स्टेशन को मॉडल स्टेशन बनाने की बात की थी।
इस खंड पर आमान परिवर्तन कर मीटर गेज से ब्रॉड गेज रेलवे हो गया। कोर्ट रेलवे स्टेशन पर कम्प्यूटर से आरक्षण की सुविधा हो गई, कंप्यूटर युक्त टिकट भी मिलने लगे। लेकिन मॉडल स्टेशन अब तक नहीं बन सका।
शौचालय और पेयजल की नहीं है उचित व्यवस्था
यात्रियों ने बताया कि स्टेशन परिसर में बनाए गए शौचालय और पेयजल की जो व्यवस्था है, वह भी देखरेख के अभाव में खराब पड़ी हुई है। कहने को तो यहां प्लेटफार्म पर प्रतीक्षालय भी बनाया गया है। लेकिन उस पर हमेशा ताला लटका होता है। आज कथित मॉडल स्टेशन अपनी और असुविधाओं के कारण यात्रियों को कोई सुविधा मुहैया नहीं करा पा रहा है।
ट्रेन क्रॉसिंग के गुमटी केबिन से मिलती है ट्रेन की जानकारी
कोर्ट स्टेशन पर मौजूद एक यात्री ने बताया कि जब वह ट्रेन की जानकारी लेने टिकट काउंटर पर गए, तो उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी आपको पास ही जो रेलवे क्रॉसिंग पर केबिन है वहां से मिल जाएगी। मैं रेलवे क्रॉसिंग के केबिन में पहुंचा, तो वहां के कर्मी ने बताया कि हम लोगों को फोन की सुविधा है जो आरएस स्टेशन या कुसीयरगांव से जोड़ता है। जब ट्रेन यहां से अररिया कोर्ट की तरफ आने वाली होती है तो फोन से सूचना दी जाती है कि गेट को बंद कर दें। तभी पता चलता है कि ट्रेन आ रही है, वरना स्टेशन पर कोई पूछताछ केंद्र उपलब्ध नहीं है।
सौ फीट ऊंचा लगा है तिरंगा
देश के गौरव व सम्मान के प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज को भारतीय रेल ने अपने सभी प्रमुख स्टेशनों पर शान से फहराने का निर्णय लिया था। आम लोगों के बीच राष्ट्रभावना को प्रोत्साहित करने के लिए पहले सभी ए-1 श्रेणी के स्टेशनों पर 100 फीट का तिरंगा लगाने का निर्णय लिया गया था। अब इससे सारे लोगों को जोड़ने के लिए सूबे के तमाम जिला मुख्यालयों के प्रमुख स्टेशनों पर राष्ट्रीय तिरंगा फहराने का निर्णय लिया गया।
जिस जिला मुख्यालय में रेलवे स्टेशन नहीं था, उसके आसपास के प्रमुख स्टेशनों पर तिरंगा लगाया जाएगा, ऐसा निर्णय लिया गया था। इसके अलावा भी कुछ प्रमुख स्टेशनों पर यह फहराया जाएगा। इस संबंध में रेलवे बोर्ड की ओर से सभी जिला मुख्यालयों के स्टेशनों के अलावा अन्य प्रमुख स्टेशनों की सूची मांगी गई थी और वहां 100 फीट ऊंचा, 40 फीट लम्बा व 30 फीट चौड़ा झंडा लगाने का आदेश जारी किया गया था। कहा गया था कि यह स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में लगेगा।
इस आदेश के बाद कहा गया था कि स्टेशनों पर राष्ट्रीय ध्वज को शान से लहराता देख हर भारतीय को गर्व महसूस होगा। कई प्रमुख जंक्शन व स्टेशनों पर यह शान से लहरा भी रहा है। इस झंडे को कभी नीचे नहीं उतारा जाना था। विशेष परिस्थिति में ही इसे नीचे उतारा जा सकता है। लेकिन अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन पर शान से लहराने वाला तिरंगा खड़े टावर पर कुछ दिनों तक नहीं दिखा। लेकिन समय रहते रेलवे के अधिकारी ने तत्परता दिखाई और नया तिरंगा लगवा दिया जो आज शान से लहरा रहा है। पास ही रौशनी के लिए हाई मास्क टावर लगाया गया था, लेकिन उस टावर पर भी अब सिर्फ एक दो बल्ब ही टिमटिमाते नजर आते हैं।
कम किराए से होता है फायदा
बता दें कि अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन से राजधानी दिल्ली के लिए आनंद विहार एक्सप्रेस ट्रेन है, जो रोजाना यहां से जाती है। दूसरी एक्सप्रेस ट्रेन वेस्ट बंगाल के चितपुर के लिए है, जो बंगाल की राजधानी कोलकाता जाती है। उसके बाद आधा दर्जन लोकल ट्रेन जोगबनी से कटिहार आती जाती है। इन लोकल ट्रेनों के कारण यात्रियों को काफी सुविधा होती है। क्योंकि रेल में कम भाड़ा की वजह से पूर्णिया और कटिहार आया जाया जा सकता है।
अपनी जगह पर नहीं रुक पाती है ट्रेन
सीमांचल या चितपुर रेलगाड़ी आने के समय में स्टेशन पर कोई बोगी कोडिंग तक नहीं है। इस वजह से यात्रियों को ट्रेन आने के बाद अपने बुकिंग सीट के अनुसार रेलगाड़ी के डब्बे में जाने के लिए दौड़ते-भागते भी देखा जाता है।
2005 से ही जारी है आंदोलन
मीटर गेज से ब्रॉड गेज करवाने के लिए अररिया रेलवे संघर्ष समिति ने काफी प्रयास किया था। सन 2005 में मीटर गेज को ब्रॉडगेज में बदलने के लिए कटिहार जोगबनी रेलखंड पर मेगा ब्लॉक लगाया था। काम धीमी गति से होने के कारण संघर्ष समिति ने एक आंदोलन शुरू किया था। समिति के सचिव उजैर अहमद ने बताया कि हमारी मांग थी कि जल्द बड़ी लाइन शुरू हो, कोर्ट रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रोकने के लिए सिग्नल की व्यवस्था की जाए साथ ही इस स्टेशन को जंक्शन के रूप में विकसित किया जाए।
काफी प्रयास के बाद 2008 में अमान परिवर्तन का काम पूरा हुआ और बड़ी लाइन की गाड़ियां पटरी पर दौड़ने लगीं। लेकिन 15 वर्षों बाद भी कोर्ट स्टेशन पर सिग्नल की व्यवस्था नहीं हो पाई और आज भी स्टॉप का बोर्ड देखकर ही ट्रेन खड़ी की जाती है। इससे कोहरे के दिनों में ट्रेन प्लेटफार्म से पीछे या आगे बढ़ जाती है। इस कारण यात्रियों को खतरे के साथ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सचिव उजैर अहमद ने बताया कि जानकारी के अनुसार इस वर्ष के अंत तक इस रेलखंड में इलेक्ट्रिक ट्रेन का परिचालन भी शुरू हो जाएगा।
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