10 अप्रैल तड़के करीब 2 बजे जब 25 वर्षीया सहमीरा खातून सेहरी के लिए खाना बनाने उठी तो, देखा कि घर में दही नहीं है। हालांकि, 9 अप्रैल को ही सहमीरा ने अपने पति मो. शहबाज आलम से दही ले आने को कहा था, लेकिन शाहबाज भूल गया था।
तड़के सहमीरा ने शहबाज को याद दिलाई, तो वह तुरंत दही ले आने की बात कह मोटरसाइकिल लेकर नेपाल सीमा की तरफ निकल गया, क्योंकि उनका घर नेपाल सीमा से सटा हुआ है और बाजार-हाट सीमा की दूसरी तरफ से ही होता है।
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शहबाज दही लाने तो गया, लेकिन एक घंटे तक नहीं लौटा, जबकि वहां जाने और फिर लौटने में मुश्किल से 10 मिनट भी नहीं लगता है।
बिहार के सीमांचल के अररिया जिले के सिकटी थाना क्षेत्र के बारूदह गांव, जो नेपाल सीमा से लगभग सटा हुआ है, के रहने वाले 28 वर्षीय शहबाज की खोजबीन शुरू हुई और फिर जो बातें मालूम चलीं व अगले दो तीन दिनों तक जो घटनाक्रम हुए, उससे शाहबाज का परिवार सदमे और गुस्से में है।
परिजनों के मुताबिक, 10 अप्रैल की सुबह शहबाज जख्मी हालत में सिकटी थाने में था। बाद में उसे जेल भेज दिया गया। वहां से उन्हें अररिया सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां हालत बिगड़ने लगी, तो भागलपुर के अस्पताल में भेजा गया, जहां आखिरकार उसकी मौत हो गई।
शाहबाज के परिजनों ने उसकी मौत का जिम्मेदार सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवानों को बताया है।
सिकटी थाने में शाहबाज की पत्नी की तरफ से एसएसबी के पांच जवानों इंस्पेक्टर गंतुलम चैतम, सहायक निरीक्षक बबलु राय, एसएसबी जवान धजय कुमार दास, सहायक आरक्षी अमन कुमार और सामान्य आरक्षी दिपेश सुरेश को नामजद करते हुए 14 अप्रैल को आवेदन दिया गया। आवेदन के आधार पर सिकटी थाने की पुलिस ने धारा इंडियन पीनल कोड की धारा 302 (हत्या) व 34 लगाते हुए एफआईआर दर्ज की है। धारा 302 का दोषी पाये जाने पर दोषियों को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
बताया जा रहा है कि एसएसबी की तरफ से भी आरोपी जवानों पर कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।
एसएसबी, गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है।
सशस्त्र सीमा बल का काम देश की सीमा की सुरक्षा करना, सीमा के आसपास रहने वाले लोगों की सुरक्षा, ट्रांस-बॉर्डर अपराधों को रोकना, घुसपैठ पर लगाम लगाना आदि है।
सशस्त्र सीमा बल की तैनाती मुख्य तौर पर खुली सीमा वाले क्षेत्रों में होती है। फिलहाल, यह बल उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर तैनात है। अररिया की सीमा नेपाल से लगती है, तो अररिया में भी एसएसबी की तैनाती है।
शहबाज की पत्नी की तरफ से थाने में दिये गये आवेदन के मुताबिक, वह दही लाने गये हुए थे, लेकिन जब नहीं लौटे, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
कुछ देर बाद पास के ही सरदार टोला के वार्ड नंबर-1 की कुछ महिलाओं ने शहबाज के परिजनों को बताया कि सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवानों ने शहबाज को पकड़ लिया है और मारते-पीटते हुए एसएसबी लेटी कैंप ले गये हैं।
उनके परिजन एसएसबी के लेटी कैंप पहुंचे, तो वहां बताया गया कि शहबाज यहां नहीं है। फिर सिकटी थाने से सूचना मिली कि शहबाज को शराब पीने के जुर्म में एसएसबी के जवानों ने पकड़ कर सिकटी थाने के हवाले कर दिया है।
“कैंप में एसएसबी ने पिलाई जबरन शराब”
एसएसबी के जवानों ने शहबाज के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि वह शराब पिये हुए था और एसएसबी जवान को देखकर भागने लगा था। एफआईआर में जांच में शराब पीने की मात्रा 162.8 एमजी का जिक्र करते हुए लिखा गया कि शाहबाज ने एसएसबी के साथ हाथापाई की और सरकारी काम में बाधा डाला।
एसएसबी की तरफ से थाने में आवेदन इंस्पेक्टर गंतुलम चैतम ने दिया है, जो शहबाज की पत्नी की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोपी हैं। चैतन ने जिन चार और जवानों के मौके पर मौजूद रहने का जिक्र किया है, वे भी शहबाज की पत्नी की एफआईआर में नामजद हैं।
पुलिस के अनुसार, शहबाज को 10 अप्रैल को ही कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया, लेकिन तुरंत उनकी तबीयत खराब हो गई और मुंह से खून निकलने लगा, तो उन्हें अररिया सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया वहां से शहबाज को भागलपुर रेफर कर दिया गया, जहां 13 अप्रैल की सुबह उनकी मृत्यु हो गई।
शहबाज के दोस्त सालिक ने ‘मैं मीडिया’ से कहा, “उसने नेपाल सीमा को पार किया भी नहीं था कि तभी एसएसबी के जवानों ने पकड़ लिया। बिना किसी कसूर के उसे बेरहमी से पीटा और कैंप में ले जाकर जबरन शराब पिलाई, ताकि उसके खिलाफ शराब का झूठा मामला बनाया जा सके।”
शराबबंदी कानून में अगर कोई व्यक्ति शराब के नशे में पहली बार पकड़ा जाता है, तो 2500 से 5000 रुपये तक जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाता है। अगर वह जुर्माना दे पाने की स्थिति में नहीं है, तो उसे एक महीने तक जेल में बिताना होता है।
थाने के सूत्रों ने बताया कि शहबाज के खिलाफ शराब से जुड़ा पहले का कोई मामला नहीं था। यानी अगर एसएसबी के दावे को सही माना जाए, तो 2500 से पांच हजार रुपये तक जुर्माना लेकर उसे छोड़ दिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
इस संबंध में सिकटी थाना अध्यक्ष हरीश तिवारी ने मै मीडिया से कहा, “शराबबंदी कानून के अलावा शहबाज के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने को लेकर भी आवेदन दिया गया था। इसी वजह से उसे जेल भेजा गया था।”
एसएसबी की तरफ से दिये गये आवेदन में कहा गया है कि जब शहबाज को पकड़ा गया, तो उसने एसएसबी के जवानों के साथ हाथापाई की और धमकाया। आवेदन के आधार पर पुलिस ने शराबबंदी कानून की धाराओं के साथ ही इंडियन पीनल कोड की विभिन्न धाराएं लगाते हुए एफआईआर दर्ज किया।
जख्मों के चलते सदमा व हेमरेज से मौत – पोस्टमार्टम रिपोर्ट
‘मैं मीडिया’ ने शहबाज की पोस्टमार्टम रिपोर्ट हासिल की है, जिसमें उसके हाथ, पैर, मुंह, सिर समेत अन्य जगहों पर जख्म के 11 निशान होने का जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट में मौत की वजह जख्मों के चलते सदमाग्रस्त होना और हेमरेज बताया गई है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शहबाज के शरीर पर 11 जख्म किसी कठोर वस्तु से आघात के कारण आये हैं।
“इनमें से एक जख्म जो मस्तिष्क के भीतरी हिस्से में आया है, बेहद गंभीर था, जो सामान्य स्थितियों में जानलेवा होता है,” पोस्टमार्टम रिपोर्ट कहती है।
सालिक कहते हैं, “शाहबाज शराब नहीं पीता था। लेकिन झूठा केस बनाने के लिए एसएसबी के जवानों ने उसे शराब पिला दी। उसे इतना मारा गया था कि मुंह से खून निकल रहा था।”
“जब अररिया जेल से उसे इलाज के लिए अररिया सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तो हम लोग मिलने गये थे। शहबाज का चेहरा फूला हुआ था, आंखों में सूजन था। उसे देखकर लगता था कि सिर में इतनी ज्यादा चोट आई है कि दिमाग काम नहीं कर रहा है। वह बेहद डरा हुआ था, इसलिए उसने मुझसे इशारे से कहा था कि मैं अस्पताल में रुक जाऊं।”
“लेकिन, वहां रुकने नहीं दिया गया। तब मैंने वहां उसकी सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मचारी को अपना नंबर देकर कहा कि कुछ भी हो, तो वे मुझसे संपर्क करें,” सालिक ने बताया।
पुलिस कर्मचारी ने 12 अप्रैल की देर रात शहबाज के परिजनों को बताया कि उसकी तबीयत और खराब हो गई, इसलिए उसे भागलपुर के अस्पताल में रेफर किया गया है।
शहबाज के परिजन पैसों का इंतजाम कर 13 अप्रैल की दोपहर भागलपुर पहुंचे, तो अस्पताल में शहबाज की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मचारी ने उन्हें बताया कि शहबाज की मौत सुबह ही हो चुकी है।
रंगाई-पुताई का काम करता था शहबाज
शहबाज गरीब परिवार से आता है। घर में 23 वर्षीया पत्नी, 4 साल की एक बेटी और डेढ़ साल का बेटा है। शाहबाज ने बहुत कम पढ़ाई की थी और फिलहाल घर चलाने के लिए रंगाई-पुताई का काम करता था।
शहबाज के दोस्त सालिक कहते हैं, “हम दोनों ने एक साथ पढ़ाई की थी। हम लोग दिनभर साथ ही रहते थे और शाम को वह अपने घर जाता था। 9 अप्रैल को ही उसकी पत्नी ने कहा था कि घर आते वक्त वह दही लेते आए, लेकिन पता नहीं कैसे वह भूल गया। अगर वह उसी रात दही लेकर घर चला जाता, तो आज जिंदा होता।”
सूत्रों के मुताबिक, शुरुआत में एसएसबी के जवानों ने पंचायत के माध्यम से मामला को स्थानीय स्तर पर सुलझा लेने की कोशिश की। बताया जाता है कि एसएसबी के जवान पांच लाख रुपए मुआवजा देकर एफआईआर दर्ज नहीं कराने के पक्ष में थे, लेकिन बाद उन्होंने कहा कि एसएसबी के जवानों ने शाहबाज से मारपीट नहीं की है, इसलिए वे कोई मुआवजा नहीं देंगे।
शहबाज के भाई मो. उस्मान पुलिस की निष्क्रियता से नाराज हैं। उन्होंने कहा, “पुलिस ने शुरुआत में सिर्फ एक हफ्ते का वक्त मांगा था। आज इस घटना के एक महीने नौ दिन बीत गये हैं, लेकिन कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही है।”
उन्होंने दोषी एसएसबी जवानों को कड़ी सजा देने और शहबाज की पत्नी व बच्चों की देखभाल के लिए सरकार से मुआवजे तथा कमाई के स्थायी स्रोत का इंतजाम करने की मांग की है।
“हमलोग गरीब परिवार से आते हैं। अब शहबाज के परिवार को देखने वाला कोई नहीं है। सरकार से हमारी मांग है कि उसके परिवार की परवरिश का इंतजाम सरकार करे,” उन्होंने कहा।
इस मामले के एक महीने बीत जाने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने के सवाल पर थानाध्यक्ष ने कहा, “अनुसंधान जारी है। हम लोग विभिन्न दस्तावेज जुटा रहे हैं और जल्द ही आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के लिए कोर्ट में आवेदन देंगे।”
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