सवाल : सीमांचल के सभी ज़िलों में SDRF की यूनिट नहीं है, पूर्णिया से मंगवाना पड़ता है। इसमें कोई बदलाव आएगा?
जवाब : हम लोग हर डिस्ट्रिक्ट में एक इमरजेंसी रिस्पांस फैसिलिटी कम ट्रेनिंग सेंटर खोल रहे हैं। जो बड़े जिले हैं उनमें से 10 करोड़ की लागत से खुलेगा, जो छोटे हैं उनमें करीब 7 या 8 करोड़ की लागत से खुलेगा। उसमें एसडीआरएफ के लोग भी रहेंगे, इंस्पेक्टर भी रहेंगे, उनका अपना वाहन भी होगा और उनको ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इसके लिए अभी फर्स्ट फेज़ में हमने 13 जिले शामिल किए हैं, जिसमें पूर्णिया व अररिया के साथ अन्य 11 जिले हैं। इसके लिए भूमि का चयन हो गया है और कुछ समय में टेंडर भी निकलेगा।
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जहां तक किशनगंज की बात है, तो वहां एनडीआरएफ है जिसमें 32 ट्रेंड जवान हैं और उनके साथ चार मोटर बोट हैं।
सवाल : ऐसा देखा गया है कि डूब कर मरने पर धार्मिक कारणों से अक्सर लोग मृतक का पोस्टमार्टम नहीं करवाते हैं, जिस वजह से उन्हें मुआवजा नहीं मिल पाता है, इसका कुछ समाधान निकाला जाएगा?
जवाब : यह तो एक कानूनी प्रक्रिया है इसमें हम देखेंगे कि इसके लिए क्या बदलाव हो सकते हैं।
सवाल : सैलाब के बाद अक्सर खेतों में बालू चढ़ जाता है, जिसको हटाने के लिए मुआवजे का प्रावधान है। लेकिन, सीमांचल के लोग इसका बहुत फायदा नहीं ले पाते है।
जवाब : जो भी इससे प्रभावित जिले हैं, हम वहां के जिला पदाधिकारी से इसकी रिपोर्ट मनाएंगे। जो भी ऐसे मामले होंगे हम उनको तय मुआवजा देने का प्रयास करेंगे।
सवाल : कोरोना से मरने वाले कई लोगों को मुआवजा नहीं मिला है। यहाँ तक कि रानीगंज में जो एक दंपति की मौत हुई थी, उसके पिता का मुआवजा भी नहीं मिला है।
जवाब : हमने पदभार संभालने के बाद एक समीक्षा बैठक की थी। जिसमें जानकारी प्राप्त हुई कि किसी जिले का जो स्वास्थ्य विभाग होता है, वह लोगों के नाम तय करता है और उन नामों की सूची हम लोगों के पास आती है, फिर हम भुगतान करते हैं। हमें लगता है कि फर्स्ट फेज में बहुत सारे लोगों को दिया गया है मुआवजा और दूसरे फेज का भी हम लोग भुगतान जल्द करने वाले हैं।
सवाल : ठनका से हर बिहार में सैकड़ो मौतें होती हैं, इससे बचाव के लिए आपका विभाग कुछ नया करेगा। झारखण्ड जैसे राज्यों में Lightning arrester लगाए गए हैं, क्या बिहार भी इस पर विचार करेगा ?
जवाब : यह तो हमारे यहां भी लग रहा है। हमारे यहां दूसरी चीज है, पटना में हमारा कंट्रोल रूम है, वहां संभावित क्षेत्रों की जानकारी मिलती है। उन संभावित क्षेत्रों के जिला पदाधिकारियों को हम इसकी सूचना दे देते हैं और उन लोगों को व्हाट्सएप, फेसबुक व मोबाइल नंबर पर sms से जानकारी दे देते हैं।
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