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पुल कहीं और, नदी कहीं और… अररिया में सरकार को चकमा देता विकास

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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pararia ghat bakra nadi bridge

बिहार के सीमांचल इलाके में सालों साल आने वाली बाढ़ और निरंतर नदी कटान से होने वाली तबाही कोई नई बात नहीं है। ऐसे में सरकार जब किसी नदी पर एक अदद पुल बना देती है, तो लोगों की उम्मीदें जाग जाती हैं।


एक दशक पहले अररिया के सिकटी प्रखंड में कुछ ऐसा ही हुआ। Google Earth की Time Lapse Tool की मदद से निकाली गई इन satellite images से पूरी कहानी समझिये।

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Satellite Images से कहानी समझिये

सिकटी प्रखंड से बहने वाली बकरा नदी के परड़िया घाट पर 2012 में लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत से छः पिलर का एक पुल बनना शुरू हुआ, लेकिन काम होते-होते पिलर बढ़ कर आठ हो गए और खर्चा बढ़ कर 20 करोड़ पहुँच गया। लेकिन, पिलर बनाने के लिए खोद कर निकाली गई मिट्टी को वहीं छोड़ दिया गया, जिस वजह से 2016 आते आते नदी पुल से बाहर भागने लगी। 2018 तक पुल किसी काम की नहीं रही और लोग वापस चचरी पर निर्भर हो गए, ये मंज़र satellite images से आप साफ़ देख सकते हैं।


2019 में वापस नदी पुल के ठीक नीचे से बहने लगी, लेकिन एक साल के अंदर ही पुल एक टापू में रह गया और चारो तरफ नदी बहने लगी। ऐसी सूरत में पुराने पुल से करीब 100 मीटर की दूरी पर जून 2021 में एक नए पुल का निर्माण शुरू किया गया, जिसे एक साल में पूरा कर लेना था। लेकिन, जून से नवंबर आते-आते नदी निर्माणाधीन पुल से भी बाहर निकल गई। यानी लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला यह पुल भी जब मुकम्मल होगा, तो लोग इसका भी इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इसलिए मजबूर ग्रामीण ने वापस नदी पर चचरी पुल बना लिया है।

‘नदी का नाम ही बकरा है, ये वक्र चलता है’

नदी के पुल से इधर उधर भागने की वजह बताते हुए स्थानीय ठेंगापुर पंचायत के मुखिया प्रदीप कुमार झा कहते हैं, पुल के पिलर बनाने में जो मिटटी निकली, उसे ठेकेदार ने हटाया नहीं जिससे नदी का पानी ब्लॉक हो गया और नदी दूसरी दिशा में भाग गई।

बकरा नदी के कटान से इस इलाके में सैकड़ों घर कट चुके हैं। प्रदीप बताते हैं, इस नदी का नाम ही बकरा है, ये वक्र चलता है यानी आड़ा तिरछा चलता है। इसलिए जब तक नदी को बाँध बना कर रोका नहीं जाएगा, पुल बनता रहेगा और नदी भागती रहेगी।

ग्रामणों की शिकायत

स्थानीय ग्रामीणों को जनप्रतिधियों से शिकायतें हैं। अनीता देवी का घर नदी के मुहाने पर है, उन्हें डर है कि इस साल उनके घर के साथ-साथ परड़िया गाँव भी नदी में विलीन हो जाएगा। पुराने पुल पर दुकान चलाने वाले हरी प्रसाद मंडल चाहते हैं कि सरकार बोल्डर पिचिंग करवा कर पहले गाँव को बचाए, नदी को रोके, फिर पुल बनाए।

क्या कहते हैं सिकटी विधायक विजय कुमार मंडल?

बिहार में भाजपा जदयू की साझा सरकार चल रही है। अररिया के सांसद भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह हैं और 2020 में भाजपा के टिकट पर विजय कुमार मंडल लगातार दूसरी बार सिकटी के विधायक बने हैं।

‘मैं मीडिया’ ने इस पुल को लेकर जब उनसे सवाल किया तो उन्होंने पुल की पूरी कहानी हमें सुनाई और बताया कि नदी वहाँ C shape में हो गया है। उसे सीधा करने का प्रयास किया गया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। फिलहाल कोशिश की जा रही है कि नदी को नये पुल के नीचे लाया जाए। आगे उन्होंने बताया कि परड़िया गाँव को बचाने के लिए बोल्डर पिचिंग करवाया जाएगा।


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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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